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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 155 वी जयंती विश्व मनाएगा एवं लाल बहादुर शास्त्री जी 120 वी जयंती

चौधरी शौकत अली चेची
2 अक्टूबर जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है? मुख्य बिंदुओं को समझने की कोशिश करते हैं।
 मन में थी अहिंसा की लगन, नंगा बदन और  भाईचारा, अमन चैन,स्वतंत्रता के लिए घूमे थे हजारों किलोमीटर।
 गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। पिता कर्मचंद गांधी, माता पुतलीबाई ,पत्नी कस्तूरबा गांधी। मोहनदास करमचंद गांधी की शादी 13 वर्ष की उम्र में हो गई थी। बापूजी के बच्चे, हरी लाल, मणिलाल, रामदास, देवदास थे। जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात पोरबंदर में हुआ था। मृत्यु 30 जनवरी 1948 को लगभग 5: 17 मिनट शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर 78 वर्षीय गांधी जी की हत्या कर दी थी । नाथूराम गोडसे एक हिंदू महासभा का सदस्य था । उसने महात्मा गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।
 महात्मा गांधी भारतीय इतिहास के एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने देश हित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी और आजादी के आंदोलन के एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला दी और अंग्रेजों को देश छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। महात्मा गांधी को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पिता कहा गया । बापू के सत्य व अहिंसा की विचार धारा से मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला भी काफी प्रभावित हुए। अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता को खत्म करने व भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने में बापू का अहम योगदान था, उनकी सत्य और अहिंसा की नीति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त की। उन्होंने अहिंसक तरीके से ब्रिटिश सरकार के खिलाफ न केवल आवाज उठाई बल्कि कई आंदोलनों की अगुवाई की, गांधीजी की सादगी और सरलता की दुनिया कायल थी।
 गांधी जी के पिता ब्रिटिश राज में कठियावाड़ा की एक रियासत के दीवान थे। गांधी जी का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। विवाह के 2 साल बाद उनके पिता का निधन हो गया और पिता की मृत्यु के  1 साल बाद उनकी पहली संतान हुई और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु हो गई ,
लेकिन हर मुश्किल परिस्थिति में बापू ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। 1887 में अहमदाबाद से हाईस्कूल की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1888 में वकालत की पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गए।  18891 में गांधीजी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत वापस लौटे,लेकिन नौकरी के सिलसिले में महज 23 साल की उम्र में उन्हें दक्षिण अफ़्रीका जाना पड़ा। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय श्रमिकों ,खनन मजदूरों और खेतिहर मजदूरों को एकजुट किया। भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार और भेदभाव के खिलाफ भारतीय कांग्रेस का गठन किया और अंग्रेजी शासन के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। 21 साल दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद गांधीजी 1915 में भारत लौट आए।
गांधी जी ने भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारत लौटने के बाद गांधी ने देश की स्वतंत्रता के लिए कई आंदोलनों का नेतृत्व किया ,वह एक कुशल राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अंग्रेजी राज से भारत की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी और गरीब भारतीयों से अधिकारों के लिए आवाज उठाई। वह देश भर में घूमते रहे और लोगों को अपने देश भक्ति के बारे में जागरूक किया। पूरी दुनिया आज भी उन्हें अहिंसा के पुजारी के रूप में याद करती है। दक्षिण अफ्रीका में एक दौरान डरबन से प्रोटीरिया  की यात्रा करते समय उन्हें तीसरे श्रेणी के डिब्बे में बैठने से रोका गया और उन्हें धक्का मार कर व पीटकर ट्रेन से बाहर निकाल दिया गया, जबकि उनके पास फर्स्ट क्लास का टिकट था। वह नस्लीय भेदभाव कारण था, जो अंग्रेजों को अफ़्रीका में ही नहीं भारत में भी महंगा पड़ा । साल 1915 में अफ्रीका से भारत लौटने के बाद महात्मा गांधी अपने गुरु गोपाल कृष्ण गोखले के पास पहुंचे। इस दौरान देश गुलामी की जंजीरों में बना हुआ था। महात्मा गांधी ने देश के हालात को समझने के लिए देश के भ्रमण की योजना बनाई, साथ ही देश में जाति व धर्म के भेदभाव को खत्म करने व  सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन चलाया।
मुख्य आंदोलन ,दक्षिण अफ्रीका में असहयोग आंदोलन, स्वराज नमक सत्याग्रह, हरिजन आंदोलन, निश्चय दिवस, भारत छोड़ो आंदोलन और फिर राष्ट्रपिता बापू की उपाधि मिली । 
 संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भी  2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया है। यह दिन भारत देश आजादी के बाद राष्ट्रीय अवकाश के रूप में घोषित किया गया , देश के सभी राज्यों में तथा केंद्र शासित प्रदेशों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। महात्मा गांधी शांति सत्य और अहिंसा के प्रतीक थे उनके आंदोलन ने पूरे भारत में सफलता हासिल की।
बाल दिवस, शिक्षक दिवस ,फ्रेंडशिप डे आदि दुनिया में शांति और अहिंसा लाने के लिए उनका मुख्य योगदान रहा था। 2 अक्टूबर को पूरे भारत में कई आयोजन किए जाते हैं ,जैसे प्रार्थना सेवाएं ,गांधी के जीवन और आंदोलनों को दर्शाने वाली फिल्में ,स्मारक समारोह आदि स्वतंत्रता के संघर्ष में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए याद किया जाता है। उनके उद्देश्य एक ऐसे नए समाज का निर्माण करना था जो अहिंसक और इमानदार व्यवहार करता हो।
गांधी जी ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा दोनों का अनुपालन करने की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल कायम करते हुए नेतृत्व प्रदान किया। वह अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे, और आसपास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे, सभी को स्वच्छता अभियान का संदेश दिया  । पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में न मिले।
गांधी जयंती के समय राज घाट नई दिल्ली में प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रार्थना सभाएं आयोजित की जाती हैं ।णभारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री महात्मा गांधी के इस मार्ग पर प्रार्थना के दौरान मौजूद रहते हैं, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था।
गांधीजी का पसंदीदा भक्ति गीत रघुपति राघव राजा राम उनकी याद में गाया जाता है। भारत में स्कूल, कॉलेजों द्वारा हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं तथा सरकारी संस्थाओं में भी इस तरह के आयोजन किए जाते हैं और छात्र छात्राएं उत्साह से गांधी जयंती समारोह में भाग लेते हैं। इस दिन पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस के रूप में मनाया जाता है।
छात्र-छात्राओं द्वारा बापू के सत्य और अहिंसा संदेश पर आधारित  गीत गाया जाता है तथा कविताओं का पाठ करते हैं और गांधीवादी दर्शन पर अपनी खुद की जगह पेश करते हैं । छोटे बच्चे इस कार्यक्रम को गांधी जी की पोशाक के साथ राष्ट्रवादी गीतों की प्रस्तुति देकर मनाते हैं तथा छात्र बैनर का उपयोग करते हुए रैली में भाग लेते हैं जो पूरे देश में शांति और अहिंसा के महत्व को दर्शाता है। पूरे भारत में लोग प्रार्थना सेवा स्मारक समारोह और श्रद्धांजलि देते हैं । कला विज्ञान और निबंध की प्रतियोगिताओं का प्रदर्शन कर अहिंसक जीवन जीने के लिए पुरस्कार की प्रस्तुति होती हैं। 
महात्मा गांधी जी को पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार से नामित किया गया ।.महात्मा गांधी 4 महाद्वीपों और 12 देशों में नागरिक अधिकार आंदोलन के लिए जिम्मेदार माने जाते थे। 1913 से 1938 तक वे लगभग 79000 किलोमीटर चले।
महात्मा गांधी ने बोअर युद्ध सेना में सेवा की और भयानक युद्ध के चित्र को देखकर उन्होंने हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने की ठानी।.गांधी जी  ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे, उनका जीवन गांधीजी को विरोध करने और भारतीयों के अधिकारों की मांग के लिए उनके अहिंसक तरीके के लिए जाना जाता था। उन्होंने अपने कुछ सबसे कठिन समय के माध्यम से भारत का नेतृत्व किया जो अंततः 1947 में भारतीय स्वतंत्रता की ओर ले गया। जय जवान जय किसान का नारा देने वाले राष्ट्र नायक लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में रामदुलारी देवी व शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के घर हुआ था।
 11 जनवरी 1966 में ताशकंद उज़्बेकिस्तान में अकस्मात निधन हो गया। 18 महीने प्रधानमंत्री रहे घर में सबसे छोटे होने के कारण लाल बहादुर शास्त्री जी का नाम नन्हे रखा गया था। उनके पिता पेसे से स्कूली शिक्षक थे, लाल बहादुर शास्त्री की उम्र लगभग 2 वर्ष होने पर पिता शारदा प्रसाद का निधन हो गया, उसके बाद मां रामदुलारी देवी उन्हें व उनकी दो बहनों को नाना हजारीलाल के घर ले गई।
 लाल बहादुर के बचपन में ही साहस धैर्य आत्म संयम शिष्टाचार निस्वार्थ जैसे नैतिकता  को प्राप्त किया ।.उन्होंने मिर्जापुर में अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद वाराणसी गए ,अपने मामा के साथ रहे व मार्क्स रसेल और लेनिन जैसे विदेशी लेखकों को पढ़ने में अपना समय बिताते थे।
 लाल बहादुर प्रचलित जाति व्यवस्था के खिलाफ थे और इसलिए उन्होंने अपना उपनाम छोड़ने का फैसला किया। 1925 में वाराणसी के काशी विद्यापीठ में स्नातक की पढ़ाई पूरी की तब उन्हें शास्त्री की उपाधि मिली । जब से लोग लाल बहादुर शास्त्री के नाम से जानते हैं । 1928 में लाल बहादुर शास्त्री की ललिता देवी से शादी हुई। दहेज व्यवस्था के सख्त खिलाफ थे, उन्होंने दहेज लेने से इनकार कर दिया। लेकिन अपने ससुर के बार-बार आग्रह करने पर 5 गज का खादी कपड़ा दहेज के रूप में स्वीकार किया। शास्त्री जी के 6 बच्चे थे।
 स्वतंत्रता से पूर्व युवा लाल बहादुर राष्ट्रीय नेताओं की कहानी और भाषणों से प्रभावित थे, उन्हें देश को गुलामी से मुक्त करने के लिए किए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने की इच्छा हुई। 1915 में महात्मा गांधी के एक भाषण से प्रभावित हुए और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए पढ़ाई को छोड़ दिया। 1921 में असहयोग आंदोलन के समय लाल बहादुर को विशेषज्ञ के खिलाफ अवज्ञा का प्रदर्शन करने के लिए गिरफ्तार किया गया। नाबालिक होने के अनुसार शास्त्री जी को अधिकारियों ने रिहा कर दिया ।
1930 में लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस पार्टी की स्थानीय इकाई के सचिव और बाद में इलाहाबाद कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने। शास्त्री जी ने महात्मा गांधी के नमक सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, घर-घर जाकर इस अभियान का नेतृत्व किया, जिसमें लोगों ने अंग्रेजों को भू- राजस्व और करों का भुगतान न करने का आग्रह किया। शास्त्री जी एक प्रमुख कांग्रेसी नेताओं में से थे, जिन्हें 1942 में ब्रिटिश सरकार ने जेल में डाल दिया था। कारावास में लंबे समय के दौरान लाल बहादुर शास्त्री ने समय का उपयोग समाज सुधारकों और पश्चिम दार्शनिकों को पढ़ने में किया।
 भारत के प्रधानमंत्री चुने जाने से पहले कई पदों पर कार्य किया । भारत की आजादी के बाद वह उत्तर प्रदेश में गोविंद बल्लभ पंत मंत्रालय में पुलिस मंत्री बने। उन्हें अनियंत्रित भीड़ को तीतर भीतर करने के लिए लाठियां के बजाय वाटर जेट का उपयोग करने के निर्देश दिए थे, जिससे भीड़ को कोई नुकसान ना हो और काम भी हो जाए शांतिपूर्ण तरीके से काम करने से वह बहुत लोकप्रिय होने लगे। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शास्त्री जी को रेल मंत्री के रूप में केंद्रीय मंत्रिमंडल में जिम्मेदारी दी। 1956 में लाल बहादुर शास्त्री ने तमिलनाडु में हरियालुर के पास एक ट्रेन दुर्घटना में लगभग 150 यात्रियों की मौत के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस रेल दुर्घटना की सारी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली ।नेहरू जी ने कहा था कि लाल बहादुर शास्त्री से बेहतर साथी की कोई कामना नहीं कर सकता।
 1957 में पहले परिवहन और संचार मंत्री, फिर वाणिज्य उद्योग मंत्री के रूप में काम किया। 1961 में गृहमंत्री बने आर के संस्थानम की अध्यक्षता में उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण समिति का गठन किया ,जिम्मेदारी और कर्तव्यों को उन्होंने पूरी ईमानदारी और लगन से निभाया। पंडित जवाहरलाल नेहरू की आकस्मिक मृत्यु के बाद सर्व सहमति से लाल बहादुर शास्त्री 9 जून 1964 को देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
 शास्त्री जी की नेहरूवादी समाजवाद के अनुयाई थे और विकट परिस्थितियों में भी शांति से समस्या हल करते थे। प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री का कार्यकाल बहुत ही शानदार रहा। आज भी उनके काम की उपलब्धियां गिनाई जाती हैं, बचपन में शास्त्री जी न भोजन की कमी बेरोजगारी और गरीबों जैसी कई प्राथमिक समस्याओं का भी सामना किया था। भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए शास्त्री ने 1965 में भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा दिया। इससे खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई, खासकर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश राज्यों में उन्होंने विशेषज्ञों से दीर्घकालिक रणनीति तैयार करने को कहा हरित क्रांति के अलावा उन्होंने श्वेत क्रांति को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 प्रधानमंत्री कार्यकाल में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का गठन किया । 1962 के चीनी आक्रमण के बाद 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया। 1962 के युद्ध में भारत चीन से हार गया। पाकिस्तान की अयूब खान सरकार ने भारत को कमजोर समझ कर हमला कर दिया। लाल बहादुर शास्त्री द्वारा बनाई गई रणनीति द्वारा भारत की सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। युद्ध में भारत की विजय हुई ,23 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा युद्ध विराम की मांग का प्रस्ताव पारित हुआ। युद्ध विराम की मध्यस्थता पेशकश रूसी प्रधानमंत्री कोसियन ने की ,जिसमें शर्त रखी गई भारत एवं पाकिस्तान अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे, अपने झगड़ों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाएंगे। प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद देश में आर्थिक संकट था ,सुखा एवं अनाज का अकाल था, उन्होंने देश की जनता से आह्वान किया कि हर हफ्ते उपवास रखें, पूरे देश ने उपवास रखा और दिल्ली में दशहरा के समय जय जवान जय किसान का नारा दिया । यह नारा राष्ट्रीय रूप में समर्पित हुआ शास्त्री जी का जीवन दुनिया के लिए प्रेरणा साबित हुआ।
 प्रधानमंत्री बनने पर परिवार के लोगों ने फिएट कार  के लिए कहा ₹12000 की जरूरत थी लेकिन उनके पास ₹7000 थे । पंजाब नेशनल बैंक से ₹5000 का लोन पास कराया उन्होंने बैंक से कहा यह सुविधा आम लोगों के लिए भी लागू की जाए 1 साल के बाद उनका निधन हो गया। उनकी पत्नी ललिता देवी ने पेंशन से लोन चुकाया ।
साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच जंग खत्म हुई थी जिसके बाद दोनों देशों के बीच ताशकंद में समझौता हुआ।  यह समझौता 10 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के अयूब खान ने ताशकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किए जिसके 12 घंटे बाद ही 11 जनवरी 1966 को रात्रि में शास्त्री की मौत हो गई। आधिकारिक तौर पर बताया गया कि लाल बहादुर शास्त्री की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई थी। बताया जाता है शास्त्री जी की मृत्यु से पहले भी दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था ,उनकी पत्नी ललिता देवी ने आरोप लगाया कि शास्त्री को जहर दिया गया था और प्रधानमंत्री की सेवा करने वाले रूसी बटलर को गिरफ्तार कर लिया गया था ,बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। डॉक्टर ने प्रमाणित किया कि शास्त्री की मृत्यु कार्डियक अरेस्ट से हुई है ।
मीडिया ने शास्त्री की मौत में सीआईए संलिप्तता का संकेत देते हुए एक संभावित षड्यंत्र सिद्धांत भी प्रसारित किया कि  वह भारत के पहले प्रधानमंत्री थे जिनकी मृत्यु विदेश में हुई थी। लाल बहादुर शास्त्री को 1966 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया । 2 अक्टूबर 2024 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी 155 वी जयंती विश्व मनाएगा  एवं लाल बहादुर शास्त्री जी 120 वी जयंती देश बनाएगा के उपलक्ष में शत-शत नमन।

लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय  उपाध्यक्ष,
भाकियू (अंबावता) एवं  पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।