BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts


 

श्री द्रोण गऊशाला समिति की बड़ी कार्रवाई, वर्षों से किराया न देने वाली दुकान को कराया खाली


 श्री द्रोण गऊशाला समिति की बड़ी कार्रवाई, वर्षों से किराया न देने वाली दुकान को कराया खाली
कानूनी कार्रवाई की चेतावनी, संपत्ति के दुरुपयोग पर सख्ती का संकेत


Vision Live/ Dankaur 
दनकौर स्थित श्री द्रोण गऊशाला समिति (रजि.), जिला गौतम बुद्ध नगर ने आज एक महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए अपनी स्वामित्व वाली द्रोण मार्केट की एक दुकान को न्यायालय के आदेश के अनुपालन में खाली कराकर अपने अधिकार में ले लिया। यह दुकान अख्तर निवासी दनकौर के किरायेदारी में थी, जिसे जिला न्यायालय द्वारा नियुक्त कोर्ट अमीन और दनकौर कोतवाली पुलिस की उपस्थिति में नियमानुसार खाली कराया गया।

गऊशाला समिति के प्रबंधक  रजनीकांत अग्रवाल ने इस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए कहा कि गऊशाला की कई दुकानें ऐसी हैं, जिनका किराया वर्षों से लंबित है। समिति अब इन सभी मामलों में कानूनी प्रक्रिया तेज करने जा रही है। उन्होंने कहा कि गऊशाला की संपत्ति का दुरुपयोग किसी भी हाल में सहन नहीं किया जाएगा।

कम किराए पर लेकर ऊँचे किराए पर चढ़ाना—अब नहीं चलेगा

श्री अग्रवाल ने यह भी बताया कि कुछ दुकानदार गऊशाला से बेहद कम किराये पर दुकान लेकर उन्हें तीसरे पक्ष को ऊँचे किराये पर चढ़ा रहे हैं। यह अनैतिक और अनुबंध की शर्तों के विरुद्ध है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “यदि भविष्य में कोई दुकानदार इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त पाया गया तो उसके विरुद्ध भी वैधानिक कार्यवाही कर दुकान खाली कराई जाएगी।”

समिति की सख्ती से द्रोण मार्केट में हलचल

गऊशाला समिति की इस सक्रियता से द्रोण मार्केट के व्यापारियों में हलचल है। वर्षों से लंबित किराये और संपत्ति के अनुचित उपयोग के मामलों में यह कार्रवाई एक नजीर के तौर पर देखी जा रही है। समिति द्वारा आने वाले दिनों में अन्य दुकानों की स्थिति की समीक्षा कर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

धार्मिक-सामाजिक संस्था की आय से जुड़ा है मामला

श्री द्रोण गऊशाला समिति एक पंजीकृत धार्मिक एवं सामाजिक संस्था है, जो गोसेवा, धर्मार्थ गतिविधियों और जनहित के कार्यों के लिए समर्पित है। समिति की संपत्तियों से प्राप्त आय का उपयोग गऊशाला संचालन और लोककल्याण में किया जाता है। ऐसे में संपत्ति के दुरुपयोग को समिति धार्मिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर अनुचित मानती है। यह कार्रवाई न सिर्फ समिति की कार्यकुशलता का प्रमाण है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और सामाजिक संस्थाओं की संपत्ति की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है।