Vision Live/Greater Noida
महाराष्ट्र में गांधी की कर्मभूमि वर्धा में स्थित महात्मा गांधी हिन्दी विश्वविद्यालय कई महीनों से एक स्थायी कुलपति की बाट जोह रहा है। कई महीने गुजर जाने के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय को अब जल्द ही कुलपति मिलने के आसार हैं।
वर्धा विश्वविद्यालय में विवादों का नाता चोली-दामन का रहा है। इसी के चलते अभी कुछ महीनों पहले एक को इस्तीफा पड़ा। नए कुलपति की तलाश में कुलपति सरचिंग कमेटी के सामने दिल्ली में साक्षात्कार हुये थे। हुए साक्षात्कार में टॉप 5 नाम भी फ़ाइनल होकर केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को भेजे जा चुके हैं। विश्वविद्यालय में कुलपति के लिए जिन टॉप 5 को चुना गया हैं उनमें प्रो. कुमुद शर्मा, प्रो. चंदेलकर मुरलीधर, प्रो. विनोद मिश्र, प्रो. सीबी शर्मा, प्रो. ओपी सिंह का नाम सामने आया है। सूत्रों के हवाले से पता चला है इस बार म. गाँ. आ. विवि वर्धा के कुलपति के रूप में प्रो. सी. वी. शर्मा मिल सकते हैं। हिन्दी को समर्पित विश्वविद्यालय को इस बार अँग्रेजी का प्रोफेसर कुलपति के रूप मिलने जा रहा है।
नई कुलपति के रूप में नियुक्त हो रही प्रो. सी. वी. शर्मा का भी विवादों से पुराना नाता रहा है। एनआईओएस में कार्य करते हुये इनका तत्कालीन शिक्षा मंत्री निशंक से भी विवाद हो गया था। नाम नहीं बताने की शर्त पर एनआईओएस के एक व्यक्ति ने बताया कि प्रो. सी. वी. शर्मा निदेशक के रूप में संस्थान को कभी भी सही ढंग से चला पाए। मर्यादा विहीन आचरण इनके स्वभाव का हिस्सा है। उस दौरान इन पर अमर्यादित व्यवहार (महिलाओं से विशेष तौर पर) और आर्थिक अनियमितता के कई आरोप लगे जो आज भी दबा के रखे गए हैं।
ऐसे में सहज हीं अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके जैसा व्यक्ति को वर्धा जैसे संवेदनशील विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में चयन सरकार के लिए कितना आत्मघाती होगा। नई शिक्षा नीति जो भारतीय भाषाओं को प्रथमिकता देने कि बात करती है ऐसे में किसी अँग्रेजी या गैर हिन्दी के प्रोफेसर को कुलपति बनाया जाना न तो वर्धा के हित में दिखाता है और न हीं इसका अंतराष्ट्रीय संदेश हीं सही जाएगा। शायद इनके कॉमन वैल्थ से जुड़े रहने का ये ईनाम मिल रहा है। याद रहे टॉप 5 में हिन्दी के भी प्रोफेसर हैं। फिर भी प्रो. सी. वी. शर्मा चयन कर हिन्दी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रति सरकार मंशा समझ से ऊपर है।