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गलगोटियास विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मनाया योग दिवस




 पूरी दुनिया में योग को मिली है एक नयी पहचानः सुनील गलगोटिया  (चॉसलर गलगोटियास विश्वविद्यालय) 
Vision Live/Yeida City 
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  के द्वारा योग दिवस की ऐतिहासिक क्राँति लाने पर आज पूरा विश्व योग दिवस मना रहा है। इस बार 2024 के योग दिवस की थीम  “वसुधैव-कुटुम्बकम” की भावना को मज़बूती प्रदान करने वाला एवम् पूरी मानवता को एक साथ जोड़ने में सशक्त माध्यम के रूप में योग स्वयं और समाज के लिये थीम पर आधारित दसम् अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस आज शुक्रवार को पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है।  
गलगोटियास विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग कि महान विधाएँ भारतीय संस्कृति से जुडी हैं। और आज दुनिया में योग को एक नयी पहचान मिली है। भारतीय योग गुरुओं ने विदेशी जमीन पर योग की उपयोगिता और महत्व के बारे में जागरूक किया है। आज पूरी दुनिया के लोग योग को अपने जीवन में शामिल कर रहे हैं।सही मायनों में तो योग हमारी भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर है। योग में वो अपार शक्ति है जिसके द्वारा हम मानसिक तनाव, ह्रदय घात, ब्रेन हैमरेज घातक और अनेक जान लेवा बीमारियों से अपना बचाव कर सकते हैं। नियमित रूप से योग को अपनाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। जो अच्छे स्वास्थ्य के लिये बहुत ज़रूरी है।  
विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोरोना काल के बाद योग का महत्व और अधिक बढा है। किसी भी प्रकार के संक्रमण से लडने के लिये और शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिये योग सबसे ज़्यादा कारगर है। 
योग गम्भीर से गम्भीर बीमारियों को ठीक करने में सक्षम है। अतः हमें अपने शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ और ऊर्जावान बनाये रखने लिये योग को नियमित रूप से अपनाना चाहिए। गलगोटियास विश्वविद्यालय के योग गुरु थान सिंह ने विद्यार्थियों को अलोम-विलोम, कपालभाती, प्राणायाम, भुजंगासन शीर्षासन और प्रणव के जाप करने की विधी बतायी। और उनके महत्व को बारीकी से समझाते हुए कहा कि अच्छे स्वास्थ्य के लिये हमें अवश्य ही जीवन पर्यन्त योग की विधाओं का अनुसरण करना चाहिए। एनएसएस की कार्यक्रम समन्वयक प्रांजलि मिश्रा, स्पोर्ट्स ऑफ़िसर प्रशाँत भारद्वाज इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित रहे।