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गलगोटिया यूनिवर्सिटी में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ इंटरनेशनल कॉन्फरेंस का हुआ उद्घाटन, देश-विदेश के विद्वानों ने साझा किए अपने विचार

विजन लाइव / ग्रेटर नोएडा
गलगोटिया यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन में तीन दिवसीय इंटरनेशनल कॉन्फरेंस का आयोजन किया गया। तीन दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फरेंस की थीम वसुधैव कुटुम्बकम पर आधारित है। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इस कॉन्फरेंस का आयोजन ऑनलाइन प्लेटफार्म पर किया गया है। 
विश्वविद्यालय के चांसलर सुनील गलगोटिया ने इंटरनेशनल कार्यक्रम की थीम “वसुधैव कुटुंबकम” की प्रशंसा की। सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने कॉन्फरेंस के लिए अपनी शुभकामनाएं व्यक्त कीं। विश्वविद्यालय की डायरेक्टर एडवोकेट अराधना गलगोटिया ने कहा कि पूरे विश्व को एक परिवार मानना ही पूरी दुनिया में शांति और सौहार्द ला सकता है। 
इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. मल्लिकार्जून बाबू, स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन की डीन डॉ. अनुराधा पारासर, विश्वविद्यालय की पूर्व वाइस-चांसलर एवं चांसलर सलाहकार प्रोफेसर रेनू लूथरा उपस्थित थे। पैनल डिस्कशन में न्यूजीलैंड के वेलबीइंग एंड रेसीलेंस सेंटर की डायरेक्टर कैथरीन गावीगैन, रूस के मिनिस्टर काउंसलर रोमन बाबूश्कीन, और यूनाइटेड किंगडम के कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. मितेश देसाई उपस्थित रहे। इस सत्र का संचालन आईसेनेक्स कंसल्टिंग की सीईओ तनूजा वशिष्ठ ने किया।
कॉन्फरेंस के पेपर प्रजेंटेशन सत्र में रिसर्च स्कॉलर्स ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता निर्वाण यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. अरविंद अग्रवाल ने किया। इस सत्र की उपाध्यक्ष डॉ. अनुराधा पारासर थीं। उन्होंने रिसर्च स्कालर्स को उनके शोध-पत्रों में सुधार के लिए सुझाव दिये। परमवीर सिंह, सुरेश घाटगे, सानिया उल्हास, ज्योति सिंह और नंगसांगूल्या इमचेन ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।
कार्यक्रम के तीसरे सत्र में हार्टफुलनेस संस्था के द्वारा मेडिटेशन करवाया गया। चौथे सत्र का संचालन गलगोटिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉं. शादाब ने किया। इस सत्र की पैनल डिस्कशन में यूनाइटेड किंगडम से ऑरिगो के सीईओ डेविड कीनि, जापान के दाइची ट्रेडिंग कंपनी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर नीआज वारिस, और कैक्सिअस यूनिवर्सिटी फाउंडेशन जर्मनी के सीईओ जर्मैनो स्क्वार्ट्ज उपस्थित रहे।
अगले दो दिनों तक चलने वाले इस कॉन्फरेंस में तुर्की, ग्रीस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, थाईलैंड, इसरायल, ताइवान, इरान, अमेरिका, सऊदी अरब, जिम्बॉबे, और दुबई से प्रोफेसर एवं अन्य विद्वान जुडेंगे।