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देवी ने रौद्र रूप धारण कर अपने अंश से 9 रूप उत्पन्न किए। सभी देवताओं ने उन्हें अपने शस्त्र देकर शक्ति संपन्न किया
चौधरी शौकत अली चेची
हर वर्ष विश्व
में हजारों
त्यौहार अलग.अलग नामों
से अलग.अलग ढंग
से मनाए
जाते हैं।
नवरात्रि पर्व
भी इनमें
मुख्य त्यौहारों
में से
एक है। बुद्धिजीवियों
के अलग.अलग मतों
अनुसार त्यौहारों
की गाथाओं
को दर्शाया
गया है।
बताया यह
भी जाता
है दैत्य
गुरु शुक्राचार्य
के कहने
से असुरों
ने घोर
तपस्या कर
ब्रह्मा जी
को प्रसन्न
किया और
वरदान लिया
कोई शस्त्र
से न
मार सके
वरदान मिलते
ही असुरों
ने अत्याचार
शुरू कर
दिए।
देवताओं की रक्षा के लिए
ब्रह्मा जी
ने वरदान
भेद बताते
हुए कहा
कि असुरों
का नाश
अब स्त्री
शक्ति ही
कर सकती
है।
ब्रह्मा जी के निर्देश पर
देवताओं ने
मां पार्वती
को प्रसन्न
करने के
लिए आराधना
की और
रक्षा के
लिए मां
पार्वती से
विनती की।
देवी ने
रौद्र रूप
धारण कर
अपने अंश
से 9 रूप
उत्पन्न किए।
सभी देवताओं
ने उन्हें
अपने शस्त्र
देकर शक्ति
संपन्न किया।
9 दिनों तक
मां दुर्गा
धरती पर
रही असुरों
का अंत
करती रहीं।
इसी उद्देश्य
से नवरात्रि
उत्सव मनाया
जाता है।
ऋषि.मुनियों
ने रात्रि
को दिन
की अपेक्षा
अधिक महत्व
दिया है।
यही कारण
है कि
नवरात्रि, दीपावली, शिवरात्रि, होलका आदि
उत्सवों को
रात में
मनाने की
परंपरा है।
26 सितंबर
से शारदीय
नवरात्रि शुरू
हो गए
9 दिनों तक
मां
के नौ स्वरूपों का विधि
विधान से
पूजा अर्चना
की जाती
है, साथ
ही नवमी
के दिन
हवन पूजन
करके कन्या
की पूजा
की जाती
है।
दर्शाया गया है इस बार
नवरात्रि का
समापन 4 अक्टूबर
2022 को हो
रहा है,
इसके अगले
दिन अश्विनी
मास शुक्ल
पक्ष की
दसवीं तिथि
5 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा
। नवरात्रि के
शुरू होते
ही रामलीला
भी प्रारंभ
हो जाती
है और
दशहरे के
दिन रावण
का पुतला
जलाया जाता
है ।
दशहरा एक
प्रमुख त्योहार
है अश्विनी
मास के
शुक्ल पक्ष
की दशमी
तिथि को
इसका आयोजन
होता है। श्रीराम ने
इसी दिन
रावण का
वध किया
था और
देवी दुर्गा
ने 10 दिन
के युद्ध
के बाद
महिषासुर पर
विजय प्राप्त
की थी।
इस त्यौहार
को असत्य
पर सत्य
की विजय
के रूप
में मनाया
जाता है।
इसलिए
विजयदशमी के नाम से जाना जाता
है। विजयदशमी के
दिन जगह-जगह मेलों
का आयोजन भी
होता है।
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दशहरे के दिन रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी श्री रामचंद्र जी की विजय के रूप में मनाया जाता है अथवा दुर्गा पूजा के रूप में दोनों ही रूपों में यह शक्ति पूजा का त्यौहार है । इस दिन रावण दहन के अलावा शस्त्र पूजा का भी विधान है। दशहरा शुभ मुहूर्त दशमी तिथि प्रारंभ 4 अक्टूबर को दोपहर 2:20 से हो रही है वहीं यह तिथि 5 अक्टूबर को दोपहर 12:00 बजे समाप्त होगी। पंचांग के अनुसार इस दिन विजयदशमी की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 2:07 से 2:54 तक है । दशहरे के दिन घर की महिलाएं अपने आंगन में गोबर और पीले फूल से पूजा करती हैं, वही घर के बाकी सदस्य भी नहा धोकर शस्त्रों की पूजा करते हैं। इसी दिन मां दुर्गा का विसर्जन भी बड़े धूमधाम से किया जाता है । नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि पर घरों व मंदिरों में कन्या पूजन किया जाता है। कन्या पूजन का विशेष महत्व माना गया है। अष्टमी व नवमी तिथिओं में मां महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। 9 कन्याओं को भोजन कराना उनके पैर छूना देवी दुर्गा के 9 स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। 9 कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराया जाता है, जिससे बटुक भैरव का प्रतीक मानकर भैरव की पूजा होती है। अष्टमी व नवमी तिथियों पर 2 से 10 वर्ष की कन्याओं का कंजक पूजन किया जाता है। बताया जाता है इस दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर आई थी। शरद नवरात्रि व्रत का पारण अश्विनी शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को किया जाता है। 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के पर्व का समापन किया जाता है। बताया यह भी जाता है कि सर्वप्रथम श्री रामचंद्र जी ने शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुंदर तट पर किया था उसके बाद दसवें दिन लंका पर विजय हासिल की तब से सत्य धर्म की जीत के रूप में दशहरा मनाया जाता है। नवरात्रि संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 9 रातें दसवां दिन दशहरा रूप में मनाया जाता है।
लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची किसान एकता संघ (संगठन) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।