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मंहगाई डायन खाए जात है.....मंहगाई की मार से चारों खाने चित्त जा पडी है, जनता

 


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दूध, दही और आटा तक भी टैक्स, अब निवाला तक छीना जा रहा है, गरीब के मुंहू का 

चौधरी शौकत अली चेची

मंहगाई डायन खाए जात है, पीपली लाइव फिल्म का यह गाना भाजपा ने सत्ता मेंं आने के लिए खूब गर्माया था। भाजपा आज सत्ता में है और मंहगाई की मार से जनता चारों खाने चित्त जा पडी है। फिर मंहगाई डायन खाए जात है..... यह गाना सोशल मीडिया पर छाने लगा है यहां तक की सोशल मीडिया पर भाजपा सरकार की मंहगाई और बेरोजगारी को लेकर खूब खिल्लियां उड रही हैं। आइए चलते हैं वर्ष 2014 से पहले और अब कुछ बिंदुओं को समझने की जरूरत हैं। ड्राइविंग लाइसेंस 250 में बनता था अब 6000 रुपए में बनता है। स्टील की कीमत 3200 थी, अब 6600 रुपए हैं। 1000 चिनाई वाली ईट 3200 थीं अब 1000 ईट 7000 रुपए  हैं। बैरिंग 150 था अब 350 रुपए हैं, मजदूरी 200 रुपए थी अब 500 रुपए हैं, लेकिन देश में रोजगार है ही नहीं। किराया 2 रुपए प्रति 1 किलोमीटर था अब 5 रूपए किलोमीटर है। डीजल 54 रुपए लीटर था, अब 96 रुपए लीटर है। पेट्रोल 62 रुपए लीटर था, अब 100 रुपए लीटर है। आलू ग्राहक को 5 किलो था अब 15 रुपए किलो है, चावल 65 किलो था,  आज 100 किलो तक है। जब कि किसान की धान पहले 45 रुपए किलो थी अब वही धान 30 रुपए किलो है। समझना है इसका लाभ कौन ले रहा है? घाटा तो अन्नदाता को हो रहा है। धान की रोपाई 300 रुपए बीघे थी अब 900 रुपए बीघे हैं। खरपतवार नाशक दवाई 180 थी अब वही दवाई 600 रुपए है। घरेलू बिजनी यूनिट 2 रुपए 60 पैसे थी, अब 7 रुपए 10 पैसे यूनिट है। ट्यूबेल का रेंट 415 रुपए महीने था अब 1950 रुपए महीने है। रोड टैक्स, टूल टेक्स् तीन गुना हो गया। 100 रुपए  का वाहन चालान था अब 1000 का हो गया।

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  कब फोटो खिंच जाएं पता ही नहीं लगता? देश में नकली करेंसी लगभग 16 प्रतिशत थी अब लगभग 32 प्रतिशत प्रतीत होती है। 23 फसलों पर एमएसपी है इनमें से किसानों का मात्र 14 प्रतिशत माल एमएसपी पर खरीदा जाता है बाकी माल को तथा बाकी वैरायटी  को अन्नदाता ओने पौने दामों में बेच रहा है। सरसो का तेल दुकानों पर 65 रुपए किलो था अब 180 रुपए किलो है। दाल मूंग 50 रुपए किलो थी, अब 140 रुपए किलो है। डीएपी 700 बैग था अब दुकानों पर 1600 बैग है।  सरकारी गोदाम पर डीएपी 1200 बैग मिल रही है वह भी मात्र 20 प्रतिशत।  छात्रों की स्कूल फीस 1000 थी, अब 2500 रुपए है। यूनिफॉर्म 800 थी अब 1800 रुपए हैं। कॉलेज फीस 10000 से 40,000 रुपए थी अब 40,000 से 200000 रुपए तक है और डोनेशन चार गुना हो गया। 20,000 रुपए की सैलरी 10000 रह गई। 35 श्रम कानून समाप्त, आरक्षण लगभग समाप्त हर जगह ठेकेदारी पर काम कराया जा रहा है। यहां तक की सरकारी नौकरियों को समाप्त करने की कोशिश की जा रही है। बीमारी ठीक करने वाली लगभग 850 दवाइयों के दामों में लगभग 350 प्रतिशत तक की महंगाई हो गई। नॉर्मल बुखार दर्द  ठीक करने वाली टैब्लेट एक रुपए 50 पैसे थी, अब वही टैबलेट 8 रुपए 50 पैसे हो गई। खांसी का सिरप 20 रूपए था अब वही सिरप 90 रुपए हो गया। डॉ फीस 100 रुपए थी अब 500 रुपए हो गई। स्पेशलिस्ट डॉक्टर की फीस 1000 रूपए थी अब 10000 रूपए तक है। ब्लड, यूरिन आदि  टेस्ट जो चार्ज 25 रुपए था अब 80 रुपए प्लस हो गया। बेड चार्ज 500 रुपए था अब 2000 रुपए  हो गया। बालू रेत 1500 रुपए ट्रॉली थी अब 7000 रुपए हो गई। सीमेंट एक बैग 180 था अब 400 रुपए हो गया। टू व्हीलर की कीमत 48000 थी अब 97000 रुपए हो गई। गैस सिलेंडर 390 रु था अब 1000 रु का है।  डिस टीवी का रिचार्ज 110 रुपए था अब 360 रुपए है। फोन रिचार्ज अनलिमिटेड कॉल 120 रुपए था अब 340 हो गया। इनकमिंग आउटगोइंग एक महीना रिचार्ज 22 रुपए था अब 28 दिन के लिए 99 रुपए है।

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एक रिपोर्ट के मुताबिक बेरोजगारी दर तीन प्रतिशत थी, अब 22 प्रतिशत हो गई। गरीबी रेखा से नीचे 24 करोड लोग थे अब 80 करोड हो गए। लगभग 44 करोड लोगों ने नौकरी की आस ही छोड़ दी। पिछले 8 सालों में लगभग 800000 लोगों को नौकरी दी। लगभग 22 करोड लोगों ने नौकरी के लिए अप्लाई किया। देश में लगभग 60 प्रतिशत कंपनियां बंद हो गई और लगभग 70 प्रतिशत विदेशी कंपनियां अपने देश लौट गई। लगभग 60 प्रतिशत सरकारी संस्थाओं को बेच दिया गया। उद्योगपतियों का लगभग 1100000 करोड रुपए माफ कर दिया गया। जेसीबी को बिल्डोजर बताकर कमजोर बिना सपोर्ट वाले लोगों के मकानों आदि को ध्वस्त किया जा रहा है। लगभग तीन अरब 50 करोड़ लोगों की संपत्ति जप्त की गई है, भला आम लोगों का इस से क्या भला हुआ है? वर्ष 2014 से पहले देश पर लगभग 54 लाख करोड रुपए का कर्ज था, अब लगभग 154 लाख करोड रुपए का कर्ज हो गया। डॉलर 80 पर पहुंच गया, सोना 24000/- रूपए तोला  था अब 50,000 रुपए तोला हो गया। किसान से संबंधित पुर्जा यंत्रों पर 28ःप्रतिशत  तक जीएसटी लगा दिया। शिक्षा की वस्तुओं तथा दूध जैसी अमृत वस्तुओं तथा कफन  पर जीएसटी  लगा दिया। पहले 12 प्रतिशत टैक्स था अब 18 प्रतिशत हो गया। बैंक में 5 साल के लिए फिक्स कि पर 9 प्रतिशत ब्याज मिलता था अब पांच साल में ढाई प्रतिशत मिलता है और अन्य चार्ज अलग से वसूले जाते हैं। 27 बैंक से अब 12 रह गए  और पांच बैंक करने की तैयारी भी शुरू है। दूध, दही और आटा तक भी प्रधानसेवक महोदय ने टैक्स लगा दिया है और अब गरीब के मुंहू का निवाला तक छीना जा रहा है।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची किसान एकता संघ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।