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देश कोरोना से हाहाकार कर रहा है, अस्पतालों में बैड नही और सांसे थमती दिख रही हैं, पर प्रधान सेवक साहेब चुनावी खिचडी में बस जुमले बांटते रहे

 




अब तो संभल जाओ, देश व जनता की हालत खराब है। अब तो ध्यान लगाओ। दर्द उसी को होता है जिसे चोट लगती है




जब आंख से आंसू निकलते हैं, ये आवाज तो ऊपर तक जाती है, क्यों भूल जाते हैं? पिछली बातों की ताजा कहानी याद आती हैं।






चौधरी शौकत अली चेची


---------------- ---------------अब तो संभल जाओ, देश व जनता की हालत खराब है। अब तो ध्यान लगाओ। दर्द उसी को होता है जिसे चोट लगती है। जब आंख से आंसू निकलते हैं, ये आवाज तो ऊपर तक जाती है, क्यों भूल जाते हैं? पिछली बातों की ताजा कहानी याद आती हैं। करोड़ों हैं देश में इंसानियत का फर्ज निभाने वाले। नोटबंदी में लाइन लगाई, जीएसटी से हुई तबाही, लॉक डाउन में दूरी बनाई, अब ऑक्सीजन के लिए लाइन लगाई, एक्सपर्टो ने बताया था, कोरोना दोबारा आएगा, फिर भी वैक्सीन व ऑक्सीजन को निर्यात किया। देश को क्या मिला? शिक्षा, रोजगार, नही आपसी प्यार खत्म, छप्पन इंची चौकीदार ने लगाया अपने मन की बात पर मजमा, विदेशों में किए सैर सपाटे, चुनावी रैली सभाओं में जुमले बांटे। हाल में जब पूरा देश कोरोना से हाहाकार कर रहा है, अस्पतालों में बैड नही और सांसे ऑक्सीजन के बगैर थमती दिख रही हैं, पर प्रधान सेवक साहेब पश्चिमी बंगाल की चुनावी खिचडी में बस जुमले बांट रहे हैं। अच्छे दिन आएंगे और ऐसे अच्छे दिन आए हैं कि स्टेचू बनवाएं, भगवान श्री राम का मंदिर भी वनवाया जा रहा है। किंतु क्या ये मंदिर मजिस्द, चर्च और गुरूद्वारे इन त्रासदी में काम आए? जवाब मिलेगा बिल्कुल नही, लॉकडाउन में पहले भी मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरूद्वारों में ताले लटके थे और अब भी ऐसा ही हो रह है। यानी जो मानव जीवन पर्यंत इनकी पूजा, उपासाना करता रहा है जब जरूरत पडी मद्द की फिर क्यों मुंह फेर लिया? अब क्या काम आ रहा है बैड, अस्पताल और ऑक्सीजन। इससे तो मंदिर और मस्जिद की जगह अस्पताल ही बनवा देते। उस श्री राम अस्पताल में सबका इलाज होता न किसी का धर्म पूछा जाता है और न ही किसी जाति। स्वतंत्रता काल से ही भारत धर्म और जाति तथा भेदभाव का शिकार हो गया और अब भी नेता उसे की खाद पानी देते चले आ रहे हैं। पता नही यह देश जाति, धर्म और भेदभाव की राजनीति से कब मुक्त होगा। हिंदु, मुस्लिम, सिक्ख ईसाई, आपस में हैं सब भाई भाई का नारा देने वाले वतन के रखवलों की आत्मा क्या रो नही रही होगी? सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा की धुन देने वाले अल्लामा इकबाल ने इसी दिन के लिए हमे यह संदेश दिया था। पश्चिमी बंगाल चुनाव के चक्कर में कोरोना को भूले गए और अब इस महामारी ने ऐसे सिर उठा लिया है कि तस्वीरेंं न केवल डरावनी हो रही हैं,बल्कि शमशानों और कब्रिस्तानों में लाशों की लाइन लगी हुई है। स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चली है। अब प्रधान सेवक साहेब ऑक्सीजन विदेशों से आयात किए जाने की बात कह रहे हैं। जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी देश में फैल रही है काली नागा बनकर कोरोना की भयंकर बीमारी, हॉस्पिटल, दवाई, तरक्की की बात की गई होती तो शायद इतना डर परेशानी नहीं होती। कोरोना भयंकर बीमारी है समझना आसान नहीं। यदि खबरों के ताजा आंकडों पर गौर करें तो पता चलता है कि कोरोना वायरस के कहर से इस समय भारत का बुरा हाल हो गया है। कोरोना का कहर नए संक्रमितों और मौतों का हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहा है। देश में लगातार तीसरे दिन तीन लाख से ज्यादा और अब तक के सर्वाधिक नए कोरोना संक्रमित मिले। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में महामारी से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 1,89,549 हो गई है। अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1,66,02,456 हो गई है। देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 25,43,914 पर पहुंच गई। यह कुल संक्रमितों की संख्या का 15.3 फीसदी है। इससे पहले गुरुवार रात तक कोरोना वायरस के 3.32 लाख नए केस मिले थे और इसी दौरान करीब 2250 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।


इस तरह से भारत ने दुनियाभर में कोरोना के मामले में रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अमेरिका भी अब डेली केस के मामले में भारत से पीछे छूट गया है जो देश के लिए चिंता की बात है। कोरोना संक्रमित लोगों के स्वस्थ होने की दर गिरकर 83.5 प्रतिशत रह गई है। आंकड़ों के मुताबिक इस बीमारी से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 1,38,62,119 हो गई है। कोरोना से राष्ट्रीय स्तर पर मृत्यु दर गिरकर 1.1 प्रतिशत हो गई है। खबरें तो यहां तक भी मिली हैं कि दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स की इमरजेंसी में भी शनिवार को ऑक्सीजन की कमी के चलते नए मरीजों को भर्ती करने पर रोक लगा दी गई है। ऐसा ही नजारा कई और सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली सरकार के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में सभी आईसीयू बेड पिछले 4.5 दिनों से भरे हुए हैं। कुछ गंभीर रोगियों को ऑक्सीजन स्तर को बनाए रखने के लिए प्रति मिनट 40.50 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन सप्लाई चेन भी प्रभावित हो रही हैं। इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट ने शनिवार को कहा कि अगर केंद्र, राज्य या स्थानीय प्रशासन में कोई अधिकारी ऑक्सीजन सप्लाई में अड़चन डाल रहा है, तो हम उसे बख्शेंगे नहीं, उसे फांसी पर लटका देंगे। जस्टिस विपिन सांघी

और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच की ओर से उक्त टिप्पणी महाराजा अग्रसेन अस्पताल की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आई है। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की सांसों पर आए संकट को देखते हुए महाराजा अग्रसेन अस्पताल ने जल्द से जल्द ऑक्सीजन दिलाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह बताए कि कौन ऑक्सीजन की आपूर्ति को बाधित कर रहा है और कहा कि हम उस व्यक्ति को लटका देंगे। बेंच ने कहा कि हम किसी को भी नहीं बख्शेंगे। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के ऐसे अधिकारियों के बारे में केंद्र को भी बताए ताकि वह उनके खिलाफ कार्रवाई कर सके। इस दौरान गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने हाईकोर्ट को सूचित किया कि देशभर में अधिक संख्या में मामलों के कारण ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों की कमी हो गई है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकारें बहुत मेहनत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली और केंद्र को मिलकर काम करना है। हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को क्रायोजेनिक टैंकरों की खरीद के लिए सभी संभव प्रयास करने चाहिए। हमें उम्मीद है कि दोनों सरकारों के अधिकारी इस संबंध में समन्वय करेंगे।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।