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(इस्लामी शरीयत का बयान)








मौलाना अलीशेर खान सैफी समदी शाबरी ’’दनकौरी’’

 



(1):- इंसान को अल्लाह का जिक्र करना चाहिए |

(2):- इंसान को अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए |

(3):- इंसान को हर हाल में सफर करना चाहिए |

(4):- इंसान को आखिरत के दिन का फिक्र करना चाहिए |

(5):- इंसान किसी को तकलीफ और सताने के लिए नहीं आया है |

(6):- इंसान को हलाल रोजी खाना चाहिए और हराम रोजी से बचना चाहिए |

(7):- इंसान को नमाज पढ़नी चाहिए और रोजे भी रखनी चाहिए |


(8):- इंसान को रोजे रखने से दूसरे की भूख प्यास और परेशानी का पता चलता है |

(9):- इंसान को इस्लामी सभी फराइज समझने की जरूरत है |

(10):- रोजा नमाज हज जकात और फितरा वगैरा भी हमारे ऊपर फर्ज है |

(11):- इंसान को हर वक्त अपने बदन से शरीर से पाक पवित्र रहना चाहिए |

(12):- इंसान को मौत से गाफिल नहीं रहना चाहिए हर वक्त मौत को याद रखना चाहिए |


(13):- मुस्लिम इंसान को इस्लामी शरीयत पर अमल करना चाहिए इसको झूठ लाना नहीं चाहिए |

(14):- कर जमी के नीचे जाने की भी फिक्र ऊंचे ऊंचे यहां तो बनवाएं महल |

(15):- रोशनी का कब्र में सामान कर महज है बेकार समय वो कवल |

(16):- कर जवानी में इबादत काइली अच्छी नहीं जब बुढ़ापा आ गया कुछ बात बनती नहीं |

(17):- चलते फिरते मौत आई मर गए हैं ना गहा से बुढ़ापा भी ना होगा मौत जिस दम आ गई |



(फकत)

(अस्सलाम अलेकुम)

मौलाना अलीशेर खान सैफी समदी शाबरी ’’दनकौरी’’

दनकौर शरीफ, जिलाः- गौतमबुद्धनगर, उत्तर प्रदेश