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अवार्ड वापसी को लेकर मकोडा गांव के किसानों ने किया आंदोलन का ऐलान

 


 जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर के माध्यम से ज्ञापन देते हुए ग्राम की जमीन के अवार्ड वापसी की मांग

 








विजन लाइव/ग्रेटर नोएडा

ग्रेटर नोएडा क्षेत्र के गांव मकौडा के किसानों ने जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर के माध्यम से ज्ञापन देते हुए समस्त ग्राम की जमीन के अवार्ड वापसी की मांग की है। ज्ञापन में जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर को किसानों की ओर से अवगत कराया गया है कि गांव मकौडा, परगना दादरीए तहसील सदर जिला गौतमबुद्धनगर उत्तर प्रदेश की भूमि का अधिग्रहण वर्ष 2008 में ग्रेटर नोएडा विकास के लिए किया गया था तथा धारा 4/17 के पश्चात सीधी धारा 6/17 भूमि अधिग्रहण अधिग्रहण 1894 कर दी गयी थी तथा गांव के अधिकतम किसानों की आबादियां बनी थीं तथा धारा 4/17 धारा. 6/17 का प्रस्ताव 1359 फसली व वर्ष 1884 की चकबन्दी से पूर्व की खतौनी को आधार मानते हुए गाटा 4/17 का प्रस्ताव तैयार किया गया। वर्ष 1984 से वर्ष 2008 तक 24 वर्षो में गांव पास .पास के नम्बरों किसानों की आबादियां बनी हुई हैं तथा ग्रेटर नोएडा एवं सरकार द्वारा उकत अधिनियम 1894 की धारा 5 ए जो मेन्डेट्री प्रोविजन था, पर किसानों को नहीं सुना गया था एवं सीधे ही धारा 9 की कार्यवाही कर दी गई। ज्ञापन में किसानों ने यह भी अवगत कराया है कि गांव में एक पंचायत हुई जिसमें यह तय हुआ कि एक दो व्यक्ति ही उक्त अधिग्रहण की कार्यवाही को माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में चैलेंज करेंगे, जिसके परिपेक्ष में राधेश्याम जयप्रकाश एवं हवन सिंह ( मृतक ) पुत्रगण श्री बाबूराम को मननीय उच्च न्यायालय उक्त अधिनियम अधिग्रहण की घरा 4 6 को चैलेंज करने के लिए अधिगृहित किया गया था तथा उक्त राधेश्याम आदि द्वारा माननीय उच्च न्यायालय में एक सिविल याचिका वर्ष 2009 में प्रस्तुत की गयी थी,् जिसको माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के द्वारा सरकार की अरजेन्सी की बात को सही मानते हुए निरस्त/खारिज कर दिया था तथा उक्त राधेश्याम आदि के द्वारा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश के विरूद्ध माननीय उच्चतम न्यायालय दिल्ली में सिविल अपील/एस०एल0पी0 राधेश्याम एवं अन्य बनाम उ0प्र0 राज्य एवं अन्य प्रस्तुत की थी, जिसमें पहले ही दिन मा० उच्चतम न्यायालय दिल्ली ने अधिग्रहण की प्रक्रियाओं को स्थगित कर दिया था तथा ग्रेटर नोएडा एवं उत्तर प्रदेश से जवाब तलब किए थे तथा सभी पक्षों के जवाबों के पश्चात् उक्त मामले में सुनवाई करते हुए दिनांक 15-04-2011 को उक्त गांव मकोडा की भूमि को समुचा/समस्त अधिग्रहण रद्द कर दिया था तथा उत्तर प्रदेश सरकार पर अंकन पांच लाख रूपये का अर्थ दण्ड किया था। इसके पश्चात ग्रेटर नोएडा द्वारा काफी समय के उपरान्त वर्ष 2017 में एक क्लेरिफिकेशन याचिका 1/2017 मा० सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में योजित किया था, जो माननीय सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर कि इस आदेश की व्याख्या आप उचित प्लेटफॉर्म से कराएं, आदेश 154/ 2011 को खारिज कर दिया। ं इसके बाद में वर्ष 2013 में श्रीमान ए०डी०एम० ;एल०ए० गौतमबुद्धनगर के द्वारा गांव मकौडा के सभी काश्तकारों के नाम गांव मकौडा के किसानों के नाम आदेश दिनांक 15-04-2011 से अधिग्रहण रद्द मानते हुए अंकित कर दिए गए थ, जो करीब 8 माह तक लगातार चले एवं बाद में निवा किसानों को सुने ही खारिज कर दिए हैं एवं इसके बाद में धर्मेन्द्र आदि बनाम उ0प्र0 एवं अन्य याचिका में मा० उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने जिला अधिकारी को 2 माह में नाम चढाये जाने के दिशा निर्देश दिए थे। जिसमें भी जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर ने शासन के मार्ग दर्शन तक नाम दर्ज करने के आदेश पारित किये थे। इसके बाद वर्ष 2019 में गाव मकीडा की ही किसान निर्मला देवी के द्वारा योजित याचिका में राधेश्याम बनाम उ0प्र0 राज्य एवं अनय में पारित आदेश के अनुरूप अनुतोष प्रदान करते हुए भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 6/17 को रद्द मानते हुए भूमि को अधिग्रहण मुक्त कर दिया था तथा इसके बाद में गांव मकौडा में डी.एफ.सी.सी. का प्रोजेक्ट आया, जिसमें करीब 18 हेक्टेयर भूमि डी.एफ.सी.सी.् को चाहिए थी। यही नहीं कमीशनर महोदय ने मकौडा गाव के किसानों से समझौता करते हुए उन्हें 3500000/ रूपये प्रति कच्चा बीचा के हिसाब से प्रतिकर दिए जाने का प्रस्ताव रखा था तथा किसानों की सहमति से 3500000/. रूपये प्रति कच्चा बीघा मुआवजा अदा होने के पश्चात डी.एफ.सी.सी. का निर्माण कार्य चला था एवं निर्मला देवी ने आज भी अपनी जमीन रेलवे डी.एफ.सी.सी.् को नहीं दी है। इस प्रकार यहां पर यह भी अवगत कराना है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने गांव मकौडा की भूमि में से सभी अधिग्रहण रद्द होने एवं कब्जा किसानों के पास होने के कारण आवासीय योजना एवं संस्थागत योजना सभी को रद्द व ट्रांसफर कर दिया था तथा वर्तमान में जमीन किसानों के कब्जे में ही चली आ रही है। एवं किसान ही प्रयोग उपयोग एवं उपभोग कर रहे हैं। ज्ञापन में किसानों ने यह भी अवगत कराया है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण चालाकी एवं हेरा फेरी करते हुए गांव के भोले भाले किसानों की जमीन को जबरन एवं गैर कानूनी तरीके से हथियाने का प्रयास कर रहा है तथा किसान वर्ष 2008 से आज तक लामबंद है एवं समय समय पर आंदोलन करते चले आ रहे है। ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों द्वारा श्रीमान ए.जी.ए. से मिलकर एवं मिथ्या एवं अवैधानिक तथा झूठी रिपोर्ट तैयार कराकर गांव मकोडा की भूमियों का कलेक्टर महोदय पर अवैधानिक दबाव बनाकर 12 वर्षो के बाद अवार्ड अभिनिर्णय घोषित करा दिया है जो कतई गैर कानूनी एवं शून्य तथा निष्पमावी है, जिसकी कोई पावन्दी किसानों पर नहीं है, और न ही कोई विधिक मान्यता ही उक्त अभिनिर्णय की ही है। इस मौके पर किसानों ने गांव में मकौडा में एक पंचायत करते हुए ऐलान किया है कि ग्रेटर नोएडा जिला गौतमबुद्धनगर में पहले से ही किसान एवं ग्रेटर नोएडा एवं सरकार के विरुद्ध आंदोलन चलते रहे हैं।  घोडी बछेडा एवं भट्टा पारसोल जैसे नरसंहार हो चुके है तथा मकोडा के किसान भी आंदोलन करते चले आ रहे हैं। इसलिए इस ज्ञापन के माध्यम से गांव मकौडा के समी किसान यह मांग करते हैं कि उक्त ज्ञापन को माननीय मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल महोदय को भिजवाएं एवं गांव मकौडा के समस्त किसान यह मांग करते हैं कि उक्त अभिनिर्णय को रद्द करते हुए इस मामले में दोषी अधिकारियों के विरूद्ध जांच करवाते हुए उन्हें उक्त गलत एवं गैर कानूनी एवं अमानवीय कार्य के लिए दण्डित करें तथा तत्काल उनका जिले से बाहर ट्रांसफर कराया जावे। यदि ऐसा नही हुआ तो ागांव मकोड़ा के किसान आन्दोलन की रणनीति तैयार कर उक्त संबंध में पहले तो माननीय मुख्यमंत्री  महोदय उत्तर प्रदेश और फिर माननीय प्रधानमंत्री महोदय भारत सरकार से मुलाकात करेंगे। इसके बाद किसान संगठनों को साथ लेकर बडा आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे, जिसके लिए शासन एवं जिला प्रशासन के अधिकारी दोनों, सभी प्रकार से उत्तरदायी होंगे एवं किसी भी प्रकार की अन्होनी के लिए भी शासन एवं प्रशासन जिम्मेदार होगा। इस मौके पर पंचायत में संजय भाटी, कपिल भाटी एडवोकेट, यतेंद्र भाटी, चरण सिंह भाटी, सुधीर प्रधान, बिजेंद्र आर्य, नरेंद्र भाटी, राजू प्रधान, मनोज भाटी, अमित भाटी, ईश्वर भाटी आदि दर्जनों की संख्या में किसान मौजूद रहे।