BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts


 

समाज निर्माता भाग्यनिर्धाता राष्ट्रनिर्माता, जब शिक्षक बन जाता इन सबका दाता

 

आचार्य करणसिह   नोएडा

शिक्षक दिवस पर स्वरचित कविता

सभ्यतासंस्कृति,शिक्षा और शिष्टाचार।

 ये सब गुण हैं,शिक्षक केजीवनाधार।।

समाजनिर्माता भाग्यनिर्धाता राष्ट्रनिर्माता, जब शिक्षक बन जाता इन सबका दाता।

तभी समाज में  वह सर्वोच्च पद पा जाता ।

इन्हीं गुणों से शिक्षक समाज का दर्पण कहलाता।

यह सब गुण ही है सब उन्नति के आधार।।१।।

त्याग तप सेवा संयम का पाठ पढता और पढ़ाता।

श्रेष्ठ गुणों से शिक्षक समाज में, गुरु पदवी को पाता।

गुरु को ब्रह्मा, गुरु को विष्णु, गुरु को महेश्वर सम जान।

गुरु का आसन ऊंचा जग में, सब करते रहेंगे सम्मान।

इन्हीं कारणों से सब जग में, बनते रहेंगे  प्रगति के आधार।।२।।

समय में परिवर्तन आया, छल-बल ने अपना रंग दिखाया।

शिक्षक भी इस परिवर्तन से, आज नहीं बच पाया।

परिश्रम कम विश्राम ज्यादा,यह गुरुओं के मन भाया।

तभी तो देखो रंग बिरंगा, बहु रंग रूप बनआया।

करण इन व्यवहारों से ना बनेगा श्रेष्ठाधार ।।३।

 शिक्षक का जीवन सादा संयमी होना चाहिए। सभी बुराइयों से दूर होना चाहिए। क्योंकि शिष्य, शिक्षक का अनुसरण करते हुए अपना आचरण और व्यवहार बनाता रहता है।