BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts


 

दिल्ली में गूंजी ग्रेटर नोएडा की धुन: इंडिया हैबिटेट सेंटर में ‘गुरु-शिष्य परंपरा’ पर शास्त्रीय संगीत समारोह सम्पन्न


   Vision Live  /  नई दिल्ली 
भारत की महान गुरु-शिष्य परंपरा को समर्पित एक अनुपम संगीतमय संध्या का आयोजन नई दिल्ली स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर के स्टैंन ऑडिटोरियम में किया गया। यह विशेष शास्त्रीय संगीत समारोह गुरुकुल द म्यूजिकोलॉजी फाउंडेशन और श्रुति फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में बनारस घराने के विख्यात तबला वादक स्वर्गीय पंडित बुलबुल महाराज की स्मृति में आयोजित हुआ।

कार्यक्रम में पद्म विभूषण पंडित साजन मिश्रा मुख्य अतिथि के रूप में तथा स्पिक मैके की निदेशक रश्मि मलिक विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।

समारोह का शुभारंभ गुरुकुल द म्यूजिकोलॉजी फाउंडेशन के युवा प्रशिक्षुओं की तबला जुगलबंदी से हुआ जिसने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ग्रेटर नोएडा के बाल कलाकार हनी मिश्रा, ईशान मिश्रा, सात्विक सिंह, अभिनंदन कुमार, आनंद कुमार, कृष्ण कुमार राय, सत्येष मंगलम और अर्जुन कौशिक ने ताल व लय की अद्भुत समझ का परिचय देते हुए बेहतरीन प्रस्तुति दी।

इसके पश्चात बनारस घराने के वरिष्ठ तबला वादक पंडित मिथिलेश झा ने अपने गुरुदेव स्वर्गीय बुलबुल महाराज को समर्पित स्वतंत्र तबला वादन प्रस्तुत किया। हारमोनियम पर डॉ. राजेंद्र बनर्जी ने संगत की। पंडित झा की प्रस्तुति के दौरान सभागार तालियों की गूंज से कई बार प्रतिध्वनित होता रहा।

समारोह में आगे प्रसिद्ध शास्त्रीय गायन युगल पंडित रितेश मिश्रा एवं पंडित रजनीश मिश्रा ने राग मारू बिहाग की विलंबित लय में उत्कृष्ट प्रस्तुति दी, जिसने पूरे वातावरण को सुरमय बना दिया। तबले पर पंडित दुर्जय भौमिक और हारमोनियम पर पंडित सुमित मिश्रा ने साथ दिया।

ग्रेटर नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर के संगीत प्रेमियों ने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज की और भारतीय शास्त्रीय संगीत की इस अविस्मरणीय प्रस्तुति का आनंद लिया। समारोह में सोनम मिश्रा, अवारथंगा चीरु और संगीत जोशी सहित कई प्रतिष्ठित कलाकार उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन श्रुतिप्रिया झा द्वारा किया गया। आयोजन को सफल बनाने में प्रियंका मिश्रा, संयोजक आनंद मिश्रा, हिमांशु मिश्रा तथा आराधना वर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

गुरुकुल द म्यूजिकोलॉजी फाउंडेशन की अध्यक्ष प्रियंका मिश्रा ने कहा कि संस्था का उद्देश्य गुरु-शिष्य परंपरा को प्रोत्साहित करना और भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। उन्होंने बताया कि इस दिशा में भविष्य में भी इसी प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन निरंतर जारी रहेगा।