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दीपावली : प्रकाश, सद्भाव और मानवता का उत्सव



 चौधरी  शौकत अली चेची 

त्योहार मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। देश और दुनिया में हर वर्ष हजारों त्योहार खुशियां लेकर आते हैं, एक अच्छा संदेश देकर जाते हैं और अगले वर्ष के इंतज़ार के लिए हमें आशा से भर देते हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख पर्व है दीपावली – प्रकाश का पर्व, जो अंधकार से प्रकाश की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर और असत्य से सत्य की ओर अग्रसर होने का प्रतीक है।

🌼 त्योहारों का उद्देश्य और सामाजिक संदेश

हर धर्म, हर जाति और हर संस्कृति में त्योहार अपने-अपने तरीकों से मनाए जाते हैं। इनका मूल उद्देश्य है – आपसी भाईचारा, सौहार्द, प्रेम, सम्मान और अमन-चैन की स्थापना।
लेकिन आधुनिकता और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में यह भावनाएं कहीं धूमिल पड़ती दिखाई देती हैं। त्योहारों का असली मकसद भौतिकता में खोता जा रहा है, जबकि ये पर्व हमें मानवीयता, संयम और सेवा का संदेश देते हैं।

📜 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : मर्यादा पुरुषोत्तम राम की गाथा

राजा दशरथ की तीन रानियां थीं – कौशल्या, कैकेयी और सुमित्रा। उनके चार पुत्र हुए – राम, भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न। माता कैकेयी की जिद के चलते रामचंद्र जी को 14 वर्ष का वनवास काटना पड़ा। इस वनवास में उनके साथ माता सीता और भाई लक्ष्मण भी गए।

इतिहास में वर्णन है कि श्रवण कुमार की मृत्यु राजा दशरथ के हाथों हुई, जब उन्होंने गलती से उन्हें तीर मार दिया। श्रवण के अंधे माता-पिता ने राजा दशरथ को श्राप दिया कि उन्हें भी अपने पुत्र-वियोग का दुख भोगना पड़ेगा — यही कारण बना राम जी के वनवास का।

वनवास के दौरान रावण द्वारा सीता हरण, हनुमान जी की सेवा भावना, जटायु का बलिदान, और विभीषण का सत्यपथ अपनाना — सभी प्रसंग धर्म और नीति की विजय का संदेश देते हैं।

जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी 14 वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या लौटे, तो अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। तभी से यह दीपों का पर्व – दीपावली मनाया जाता है।

🪔 आध्यात्मिक अर्थ और आधुनिक सन्दर्भ

दीपावली केवल धार्मिक पर्व नहीं है, यह मानवता का उत्सव है। यह हमें सिखाती है कि —

"अंधकार चाहे कितना भी गहरा क्यों न हो, एक छोटा सा दीपक भी प्रकाश फैला सकता है।"

श्रीकृष्ण और विष्णु जी की लीलाओं से भी इस पर्व को जोड़ा गया है। धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज तक चलने वाले इन पांच दिनों के त्योहारों में लक्ष्मी जी की आराधना, गोवर्धन पूजा, और भाई-बहन के प्रेम की अभिव्यक्ति निहित है।

🔯 ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, इस वर्ष दीपावली अमावस्या तिथि सोमवार, 20 अक्टूबर 2025 को दोपहर 3:44 बजे आरंभ होकर 21 अक्टूबर की रात्रि 9:03 बजे तक रहेगी।
लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर को सायं 7:08 से 8:18 बजे तक रहेगा।
त्योहारों का क्रम इस प्रकार रहेगा –

  • 🪙 18 अक्टूबर – धनतेरस
  • 💫 19 अक्टूबर – रूप चौदस (छोटी दीपावली)
  • 🪔 20 अक्टूबर – दीपावली (लक्ष्मी पूजन)
  • 🐄 22 अक्टूबर – गोवर्धन पूजा
  • 👩‍❤️‍👨 23 अक्टूबर – भैया दूज

🌍 दीपावली का सामाजिक संदेश

दीपावली केवल दीप जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि अंधकार मिटाने का संकल्प है।
आइए इस दीपावली पर —

  • आतिशबाजी से दूरी बनाएं,
  • पर्यावरण की रक्षा करें,
  • जरूरतमंदों की मदद करें,
  • और मानवता के दीप जलाएं।

“जय जवान, जय किसान, जय हिंद, जय भारतवासी”
पवित्र त्योहारों की खुशियां मनाएं,
भाईचारे और सद्भाव को अपनाएं।


⚖️ कानूनी डिस्क्लेमर (Legal Disclaimer):

यह लेख लेखक के व्यक्तिगत विचारों, ऐतिहासिक स्रोतों और सांस्कृतिक मान्यताओं पर आधारित है। लेख का उद्देश्य किसी भी धर्म, समुदाय या व्यक्ति की भावना को आहत करना नहीं है। सभी धार्मिक घटनाएं और पौराणिक प्रसंग केवल सांस्कृतिक व सामाजिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किए गए हैं। पाठकों से अनुरोध है कि इसे सद्भाव, एकता और ज्ञान-वर्धन की भावना से पढ़ें।

लेखक – चौधरी शौकत अली चेची 

(राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग, उ.प्र. सचिव (समाजवादी पार्टी है)