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शारदीय नवरात्र का पावन पर्व और जीवन में इसका आध्यात्मिक महत्व


‼️जय माता दी‼️

संपूर्ण भारतवर्ष में नवरात्रि का पर्व श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है, परंतु चैत्र और शारदीय नवरात्र का विशेष महत्व होता है। विशेषकर शारदीय नवरात्र, जो शरद ऋतु में मनाए जाते हैं, देवी शक्ति के जागरण और आराधना का उत्सव हैं। इस अवसर पर देशभर में शक्ति पीठों, मंदिरों और घर-घर में माता रानी की विशेष पूजा-अर्चना होती है।

आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी या दशमी तक चलने वाले इन नौ दिनों में देवी माँ के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। यह पर्व केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, संयम, साधना और सकारात्मकता का भी संदेश देता है।



नवरात्र का आध्यात्मिक संदेश

नवरात्र का अर्थ है — नौ रातें। इन नौ रातों में साधक माता के नौ रूपों की आराधना करके अपनी आत्मा को शुद्ध करता है। दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती तीनों ही स्वरूपों की कृपा साधक को मिलती है। देवी दुर्गा हमें शक्ति और साहस देती हैं, माता लक्ष्मी धन-धान्य और समृद्धि का वरदान देती हैं, जबकि माँ सरस्वती ज्ञान, विद्या और विवेक प्रदान करती हैं।

इन नौ दिनों में उपवास और साधना का उद्देश्य केवल शरीर को हल्का करना नहीं है, बल्कि मन और आत्मा को भी शुद्ध करना है। उपवास से आत्मसंयम का विकास होता है और आराधना से जीवन में दिव्यता का संचार होता है।



शास्त्रों में नवरात्र

मार्कण्डेय पुराण में देवी महात्म्य (दुर्गा सप्तशती) का वर्णन मिलता है, जिसमें देवी की महिमा का गान है। इसमें बताया गया है कि कैसे माँ दुर्गा ने महिषासुर, शुंभ-निशुंभ और चंड-मुंड जैसे असुरों का वध कर धर्म की रक्षा की।

"या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः"

यह श्लोक बताता है कि देवी माँ प्रत्येक जीव में शक्ति के रूप में विद्यमान हैं। जब भी धर्म पर संकट आता है, तब देवी स्वयं प्रकट होकर अधर्म का नाश करती हैं।



नौ दिनों की साधना और स्वरूप

  1. शैलपुत्री माता – पर्वतराज हिमालय की पुत्री, शक्ति और दृढ़ता की प्रतीक।
  2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या और संयम का आदर्श।
  3. चंद्रघंटा – साहस और पराक्रम की देवी।
  4. कूष्मांडा – सृष्टि की उत्पत्ति कराने वाली।
  5. स्कंदमाता – मातृत्व और करुणा का स्वरूप।
  6. कात्यायनी – दुष्टों का संहार करने वाली शक्ति।
  7. कालरात्रि – अज्ञान और भय का नाश करने वाली।
  8. महागौरी – पवित्रता और शांति की देवी।
  9. सिद्धिदात्री – सिद्धि और मुक्ति प्रदान करने वाली।

इन नौ स्वरूपों की उपासना से साधक जीवन में शक्ति, धन, ज्ञान और शांति प्राप्त करता है।



माता और भोलेनाथ का अटूट संबंध

नवरात्र में जहाँ देवी शक्ति की उपासना होती है, वहीं भोलेनाथ की महिमा भी अनंत है। शिव और शक्ति का यह अटूट संबंध जगत को संतुलित रखता है। शक्ति बिना शिव शून्य हैं और शिव बिना शक्ति मृत समान। यही कारण है कि नवरात्र की आराधना में माता और भोलेनाथ दोनों का स्मरण किया जाता है।

शास्त्रों में कहा गया है—

"ॐ अविकाराय शुद्धाय नित्याय परमात्मने |
सदैकरूपरूपाय विष्णवे सर्वजिष्णवे ||
नमो हिरण्यगर्भाय हरये शंकराय च |
वासुदेवाय ताराय सर्गस्थित्यन्तकारिणे ||"

यह मंत्र हमें याद दिलाता है कि शक्ति, विष्णु और शिव – सब मिलकर सृष्टि का निर्माण, पालन और संहार करते हैं।



नवरात्र और सामाजिक महत्व

नवरात्र केवल पूजा-पाठ का पर्व नहीं है, यह समाज को एकजुट करने का भी साधन है। भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से नवरात्र मनाया जाता है। गुजरात में गरबा और डांडिया, पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा, उत्तर भारत में रामलीला और दशहरा – सबका स्वरूप भिन्न है, लेकिन उद्देश्य एक ही है — धर्म की विजय और अधर्म का नाश

गांव-गांव और शहर-शहर में मेले लगते हैं, झांकियां निकलती हैं, और लोग मिलकर माँ की आराधना करते हैं। यह पर्व लोगों को एक-दूसरे से जोड़ता है और भाईचारे का संदेश देता है।




उपवास और स्वास्थ्य

नवरात्र में उपवास का भी विशेष महत्व है। आयुर्वेद के अनुसार मौसम बदलने के समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। नवरात्र के उपवास में सात्विक भोजन – फल, दूध, कंद-मूल आदि – लेने से शरीर शुद्ध होता है और रोगों से बचाव होता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी उपयोगी है।



विजयादशमी – असत्य पर सत्य की विजय

नवरात्र का समापन विजयादशमी या दशहरा के रूप में होता है। यह दिन भगवान श्रीराम की रावण पर विजय का प्रतीक है। जो बुराई पर अच्छाई की विजय का संदेश देता है।


आज के समय में नवरात्र का महत्व

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में नवरात्र हमें ठहरकर आत्ममंथन करने का अवसर देता है। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि शक्ति हमारे भीतर ही है, हमें केवल उसे जागृत करने की आवश्यकता है।

नवरात्र हमें सिखाता है कि—

  • जीवन में संयम और तपस्या जरूरी है।
  • बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंततः पराजित होती है।
  • मातृशक्ति का सम्मान ही जीवन का वास्तविक धर्म है।
  • समाज में एकता, भाईचारा और परस्पर सहयोग जरूरी है।


मंगल संदेश

आइए, इस शारदीय नवरात्र पर हम संकल्प लें कि अपने भीतर की नकारात्मकताओं को नष्ट करेंगे और सत्य, धर्म व सद्गुणों को अपनाएंगे। माता भगवती से प्रार्थना करें कि वे हम सबको शक्ति, ज्ञान, धन और शांति प्रदान करें।

‼️जय माता दी‼️
माता रानी एवं भोलेनाथ जी सभी भक्तों का कल्याण करें और सबके जीवन से दुख-कष्ट दूर हों।



✍️ शुभाकांक्षी
अनन्तश्री विभूषित
श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर आचार्य अशोकानन्द जी महाराज

संस्थापक/अध्यक्ष, श्री मोहन दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट, बिसरख धाम
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, हिन्दू रक्षा सेना (भारत)
आजीवन संरक्षक, दिव्य प्रेम सेवा मिशन, हरिद्वार