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किसानों का दर्द: खून भरे आंसू रो रहा है अन्नदाता


यमुना प्राधिकरण के अंतर्गत किसानों की दुर्दशा पर शासन-प्रशासन मौन


मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ यीडा सिटी
यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। किसानों का आरोप है कि उन्हें 64% और 7% प्लॉट के मुआवजे की सुविधा वर्षों से नहीं मिल रही है, वहीं 20-साला समझौते का लाभ भी अब तक किसानों को नहीं दिया गया। किसान लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है।

अजीत चौहान: किसानों की आवाज

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के वरिष्ठ किसान नेता अजीत चौहान ने किसानों की पीड़ा को मुखरता से उठाते हुए कहा कि किसानों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि अब अन्नदाता खून के आंसू रो रहा है।
उन्होंने सरकार और प्राधिकरण से सवाल किया –

“जब प्राधिकरण के पास धन की कोई कमी नहीं है, तो आखिर किसानों को उनका हक क्यों नहीं दिया जा रहा? आखिर कब तक किसान अपनी सहनशक्ति का इम्तिहान देते रहेंगे?”

अजीत चौहान का कहना है कि किसानों के लिए कॉर्पोरेट हेल्थ पॉलिसी बीमा योजना लागू की जाए, ताकि किसान परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सके। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि किसानों को 64% और 7% प्लॉट का आवंटन तथा 20-साला समझौते का लाभ तत्काल प्रभाव से दिया जाना चाहिए।

जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल

किसानों ने आरोप लगाया कि जनप्रतिनिधि केवल यह दावा करते हैं कि उन्होंने लोकसभा और विधानसभा में किसानों की समस्याओं को उठाया है। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक किसानों को उनका प्रतिकर नहीं मिला।

आखिर कब तक आंदोलन?

अजीत चौहान ने चेतावनी दी कि अगर किसानों की समस्याओं का तुरंत समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि –

“यमुना प्राधिकरण को एशिया का नंबर-वन प्राधिकरण बताया जाता है, लेकिन असल भागीदार किसान ही उपेक्षित हैं। यह दुर्भाग्य है कि जो किसान धरती को सींचते हैं, वही अपने अधिकार के लिए सड़कों पर बैठे हैं।”