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समाज के बुद्धिजीवी वर्ग और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दहेज प्रथा के खिलाफ “दहेज जन-जागरूकता अभियान” की शुरुआत करते हुए सामूहिक आह्वान किया है। इस अभियान का नेतृत्व चैनपाल प्रधान ने किया। उन्होंने कहा कि “दहेज लेना और देना दोनों ही कुरीतियाँ हैं और यह मानव मात्र के लिए अशांति का कारण बन चुकी हैं।”
प्रधान ने अपने संबोधन में कहा कि आज टीवी, अखबार, सोशल मीडिया और यूट्यूब पर रोज़ाना ऐसी ख़बरें सामने आती हैं जो मन को झकझोर देती हैं। हर बेटी का सपना होता है कि उसे एक अच्छा परिवार मिले जहाँ उसे प्यार, सम्मान और सुरक्षित माहौल मिले। लेकिन हकीकत यह है कि अधिकतर परिवारों में शादियों के समय दहेज की बड़ी-बड़ी मांगें की जाती हैं, जिससे लड़की और उसके परिवार पर मानसिक व आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
उन्होंने कहा कि दहेज की यह कुप्रथा न केवल विवाहिता की खुशियाँ छीन लेती है बल्कि कई बेटियाँ आत्महत्या करने को मजबूर हो जाती हैं, कई की हत्या कर दी जाती है और कई परिवार कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटते रहते हैं।
चैनपाल प्रधान का मानना है कि जब किसी परिवार में ऐसी घटना घटे तो प्रशासन को स्वतः संज्ञान लेकर न केवल दहेज लेने वालों पर बल्कि दहेज देने वालों पर भी मुकदमा पंजीकृत करना चाहिए। तभी समाज से इस कुप्रथा का वास्तविक उन्मूलन संभव है।