मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ग्रेटर नोएडा
नॉलेज पार्क स्थित शारदा अस्पताल और शारदा केयर हेल्थसिटी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे के अवसर पर एक भावनात्मक और प्रेरणादायक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन मानव संसाधन प्रबंधन विभाग द्वारा किया गया, जिसमें डॉक्टरों के समर्पण, त्याग और समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को सराहा गया।
डॉक्टरों की भावनात्मक स्थिति को समझना भी जरूरी — डॉ. निरुपमा गुप्ता
स्कूल ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च की डीन डॉ. निरुपमा गुप्ता ने अपने संबोधन में कहा कि—
“डॉक्टर्स डे केवल उन्हें सम्मान देने का दिन नहीं है, बल्कि यह दिन हमें यह सोचने पर विवश करता है कि डॉक्टर भी इंसान हैं और उन्हें भी मानसिक और भावनात्मक सहयोग की उतनी ही आवश्यकता होती है जितनी दूसरों को।”
उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टरों को बेहतर कार्य वातावरण, मानसिक स्वास्थ्य के लिए सपोर्ट सिस्टम और सामूहिक सराहना की आज विशेष जरूरत है।
डॉक्टर आधुनिक समाज के असली योद्धा — रिषभ गुप्ता
शारदा केयर हेल्थसिटी के वाइस प्रेसिडेंट रिषभ गुप्ता ने डॉक्टरों की तुलना सीमाओं पर तैनात सैनिकों से की। उन्होंने कहा—
“डॉक्टर सीमाओं पर नहीं, बल्कि अस्पतालों में हमारी जिंदगियों के लिए लड़ते हैं। कोविड-19, एड्स, इबोला, फ्लू जैसी गंभीर बीमारियों में जब सभी लोग पीछे हट जाते हैं, तब डॉक्टर ही सबसे पहले मोर्चा संभालते हैं।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि डॉक्टरों का योगदान केवल चिकित्सा तक सीमित नहीं है, वे समाज में जीवन प्रत्याशा और विश्वास के सबसे मजबूत स्तंभ हैं।
डॉक्टरों के लिए सम्मान और सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत — वाई.के. गुप्ता
शारदा ग्रुप के वाइस चेयरमैन वाई.के. गुप्ता ने कहा कि डॉक्टरों की भूमिका केवल इलाज तक सीमित नहीं है, बल्कि वे हर मरीज के लिए मानसिक संबल और भावनात्मक समर्थन का भी माध्यम बनते हैं। उन्होंने कहा—
“डॉक्टर दिन-रात दूसरों की सेवा में लगे रहते हैं और कई बार अपनी सेहत की भी अनदेखी कर बैठते हैं। डॉक्टरों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती — इसलिए उन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि डॉक्टर्स डे का उद्देश्य सिर्फ सम्मान देना नहीं है, बल्कि उनके लिए बेहतर कार्यस्थल, ज़रूरी सुविधाएं और सहयोगपूर्ण वातावरण सुनिश्चित करना भी है।
वरिष्ठ डॉक्टरों ने साझा किए अनुभव
कार्यक्रम में अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रामामूर्ति शर्मा, डेंटल कॉलेज के डीन डॉ. एम. सिद्धार्थ सहित कई वरिष्ठ चिकित्सकों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि डॉक्टरी पेशा जितना जिम्मेदारी भरा है, उतना ही संवेदनशील और सेवा भाव से भरा हुआ भी है।
कार्यक्रम का उद्देश्य:
- डॉक्टरों के योगदान को सम्मान देना
- उनके मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना
- कार्यस्थल को उनके लिए और बेहतर बनाना
- चिकित्सा सेवा को एक मानवीय मिशन के रूप में प्रस्तुत करना