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गलगोटिया विश्वविद्यालय में भव्य योग समापन समारोह — 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की भावना के साथ




मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ यीडा सिटी
गलगोटिया विश्वविद्यालय ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में तीन सप्ताह तक चलने वाले योग महोत्सव का आज अत्यंत उत्साह और गरिमा के साथ समापन किया। इस अवसर ने न केवल योग की शारीरिक और मानसिक उपयोगिता को रेखांकित किया, बल्कि इसे सामाजिक और वैश्विक संदर्भों से भी जोड़ने का प्रयास किया।

भारत सरकार द्वारा निर्धारित इस वर्ष की थीम "योगा फॉर वन अर्थ, वन हेल्थ (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य)" को सार्थक रूप देने हेतु विश्वविद्यालय ने 31 मई से 21 जून तक विविध कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की, जिसमें छात्रों, अध्यापकों, कर्मचारियों और स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी रही।

विविधतापूर्ण कार्यक्रमों ने योग को बनाया जनांदोलन

इस योग महोत्सव के अंतर्गत म्यूजिकल योग, फ्लैश मॉब (योग अनप्लग्ड), समकालीन योग शैलियों की प्रस्तुति, सोशल मीडिया रील प्रतियोगिता, मानसिक स्वास्थ्य पर परिचर्चाएं, राजयोग ध्यान कार्यशाला, और शांति व मानव विकास पर सेमिनार जैसे नवाचारपूर्ण आयोजन हुए। इन कार्यक्रमों ने योग को न केवल एक शारीरिक क्रिया के रूप में, बल्कि मानसिक और सामाजिक कल्याण के माध्यम के रूप में प्रस्तुत किया।

नेतृत्व और प्रेरणा: डॉ. ध्रुव गलगोटिया का संदेश

समापन अवसर पर विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. ध्रुव गलगोटिया ने कहा:

“गलगोटिया विश्वविद्यालय में योग महोत्सव का आयोजन केवल परंपरा निभाने के लिए नहीं, बल्कि युवाओं को योग से जोड़कर भारत की प्राचीन धरोहर को वैश्विक मंच पर मजबूती से प्रस्तुत करने का प्रयास है। हम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' के विचार को केवल आदर्श नहीं, व्यवहार में उतारने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि महामहिम राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन और आयुष मंत्रालय के सहयोग से यह आयोजन युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

समावेशिता और सहभागिता की मिसाल

इस आयोजन को सफल बनाने में विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई (NSS), एनसीसी, खेल विभाग, मीडिया विभाग सहित विभिन्न शिक्षण संकायों की सहभागिता उल्लेखनीय रही। इन सभी ने मिलकर योग को जनसरोकार से जोड़ने का कार्य किया।

भविष्य की ओर

गलगोटिया विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि वह आने वाले वर्षों में भी भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाने हेतु इस प्रकार के आयोजनों को नियमित रूप से करता रहेगा। योग के प्रति यह समर्पण विश्वविद्यालय की शिक्षा-नीति को केवल अकादमिक नहीं, बल्कि समग्र विकास की ओर उन्मुख बनाता है।