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एयर इंडिया हादसे के मृतकों को श्रद्धांजलि: ग्रेटर नोएडा में सर्वधर्म प्रार्थना सभा, संवेदना और एकता का अद्भुत संगम



मौहम्मद इल्यास "दनकौरी" / ग्रेटर नोएडा

देश को झकझोर देने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 की दुर्घटना ने समूचे भारत को शोकसंतप्त कर दिया है। अहमदाबाद से लंदन जा रही यह उड़ान टेकऑफ के चंद मिनटों बाद मेघाणी नगर क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस हादसे में 242 लोगों की दुखद मृत्यु हुई, जिनमें 169 भारतीय, 53 ब्रिटिश, 7 पुर्तगाली और 1 कनाडाई नागरिक शामिल थे। विमान का मलबा एक मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल पर गिरा, जिससे जमीनी नुकसान भी हुआ।

इस भीषण हादसे के पीड़ितों की स्मृति में 13 जून की शाम ग्रेटर नोएडा के सिटी पार्क में एक सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। यह सभा राजनैतिक शोरगुल, नारों या कैंडल मार्च से परे — पूरी गंभीरता, एकाग्रता और करुणा के साथ संपन्न हुई।



विविध धर्मों की एक ही प्रार्थना – शांति, संबल और चेतना का जागरण

सभा में शहर के प्रमुख धर्मगुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जागरूक नागरिकों ने भाग लिया। सभी ने एक स्वर में मृतकों की आत्मा की शांति और उनके परिजनों को धैर्य प्रदान करने की प्रार्थना की।


“ॐ अकाल मृत्यु हरणाय नमः” – महामंडलेश्वर गोस्वामी सुशील महाराज

अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा, "यह हादसा केवल एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि मानवता के लिए एक चेतावनी है। ये यात्री शहीद के समान हैं। अब समय है, जब हमें चेतना के उच्च स्तर पर उठकर व्यवस्था और तकनीक दोनों में ईमानदारी लानी होगी।"



"यह संसार अस्थायी है" – फादर एंड्रयू कोरिया

सेंट जोसेफ चर्च के फादर ने कहा, "लगता है जैसे हमारा कोई अपना हमसे छिन गया हो। इस त्रासदी ने न जाने कितने घरों में चूल्हा बुझा दिया है। हम ईश्वर से उनके लिए शांति और उनके परिवारों के लिए सहनशक्ति की प्रार्थना करते हैं।"

“मौत बिना बताये आती है” – ज्ञानी गुरबचन सिंह

गुरुद्वारा नॉलेज पार्क के ज्ञानी जी ने गुरु ग्रंथ साहिब का उद्धरण देते हुए कहा, "हर सांस ईश्वर का उपहार है। यह घटना बताती है कि जीवन कितना अस्थायी है। हमें हर पल को आत्मिक दृष्टि से जीना होगा।"



"हम सब भाई हैं" – मौलाना मोहम्मद नदीम

मस्जिद नॉलेज पार्क के मौलाना ने कहा, "यह समय मजहब देखने का नहीं, बल्कि एक-दूसरे के दर्द को महसूस करने का है। हम अल्लाह से इन मासूम जानों के लिए जन्नत और उनके परिजनों को सब्र अता करने की दुआ करते हैं।"



"मृत्यु निश्चित है, लेकिन कब, कैसे – ये अनिश्चित" – बौद्ध गुरु आनंद

गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध धर्मगुरु ने कहा, "भगवान बुद्ध ने जीवन की अनिश्चितता को स्वीकार करने की शिक्षा दी। इस दुर्घटना ने हमें यही सिखाया है – जीवन को सजगता से जिएं और हर क्षण में करुणा बनाए रखें।"


“आत्मा अमर है” – आचार्य मनीष कौशिक

प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य ने श्रीमद्भगवद्गीता का उल्लेख करते हुए कहा, "मृत्यु अंत नहीं, एक नई यात्रा की शुरुआत है। इन दिवंगत आत्माओं का पुनर्जन्म होगा और वे अपने अधूरे कार्यों को आगे बढ़ाएंगी।"



मौन श्रद्धांजलि: एक भावनात्मक समापन

कार्यक्रम का अंत दो मिनट के मौन के साथ किया गया। सभा में उपस्थित हर व्यक्ति की आँखों में नम्रता, दिल में पीड़ा और होठों पर मौन की भाषा थी। यह मौन, किसी भाषण या बयान से अधिक प्रभावशाली था।


मानवता का संदेश: चेतना, करुणा और ज़िम्मेदारी

सभी वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए तकनीकी सावधानी, मानवीय ज़िम्मेदारी और नीति में पारदर्शिता अत्यंत आवश्यक हैं।

यह सभा, धर्मों की सीमाओं से परे मानवता की साझा संवेदना का जीवंत उदाहरण बनी। ग्रेटर नोएडा की यह शाम, मातम से नहीं — मौन करुणा से गूंज रही थी।



एक कैंडल नहीं जली, पर हर दिल में रोशनी थी।
एक भी नारा नहीं गूंजा, पर हर आंख नम थी।
यह थी — श्रद्धांजलि, सच्ची और सजीव।