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"शैक्षणिक ईमानदारी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता" पर सत्यम कॉलेज ऑफ एजुकेशन में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न




विजन लाइव/नोएडा
सत्यम कॉलेज ऑफ एजुकेशन के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के तत्वावधान में एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सम्मेलन का विषय था — "शैक्षणिक ईमानदारी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता: उच्च शिक्षा में चुनौतियाँ और संभावनाएँ", जो समकालीन उच्च शिक्षा प्रणाली में तेजी से बदलती तकनीकी और नैतिक आवश्यकताओं पर केंद्रित था।
तकनीक और नैतिकता के संतुलन की वैश्विक चर्चा
इस आयोजन का उद्देश्य उच्च शिक्षा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के बढ़ते उपयोग के बीच शैक्षणिक ईमानदारी, नैतिक मूल्यों और शिक्षा की गुणवत्ता पर केंद्रित संवाद को आगे बढ़ाना था। कार्यक्रम की रूपरेखा सत्यम ग्रुप की चेयरपर्सन डॉ. स्नेह सिंह और सचिव सीए (डॉ.) प्रदीप कुमार गुप्ता के मार्गदर्शन में तैयार की गई, जिनकी दूरदर्शिता और दिशा-निर्देशन से यह आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन का उद्घाटन और मुख्य वक्ता
कार्यक्रम की शुरुआत कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. बिनिता अग्रवाल के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने अतिथियों, विशेषज्ञों, शोधार्थियों और प्रतिभागियों का अभिवादन करते हुए सम्मेलन के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. डॉ. अमरेन्द्र बहेरा, संयुक्त निदेशक, CIET, NCERT, ने उद्घाटन सत्र में AI के नैतिक उपयोग और शिक्षा में उसके दीर्घकालिक प्रभावों पर गहन चर्चा की।
मुख्य भाषण (Keynote Address) अंतरराष्ट्रीय वक्ता डॉ. ओबेही सुले, वरिष्ठ व्याख्याता एवं अकादमिक डेवलपर, एंग्लिया रस्किन यूनिवर्सिटी, यूके द्वारा प्रस्तुत किया गया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार संस्थान AI के उपयोग को नैतिकता और अकादमिक गुणवत्ता के साथ संतुलित कर सकते हैं।
AI और उच्च शिक्षा: भारतीय परिप्रेक्ष्य
सम्मेलन में डॉ. आर.सी. शर्मा, ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग के वरिष्ठ विशेषज्ञ, ने डिजिटल शिक्षा में AI की भूमिका, सीखने की पहुँच और समानता पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने AI को शिक्षा में समावेशीता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बताया।
तकनीकी सत्रों में विविध विषयों पर विमर्श
सम्मेलन के दौरान दो समानांतर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनका संचालन डॉ. समीर बाबू एम. और श्री मृणाल सिन्हा ने किया। इन सत्रों में विभिन्न शोधार्थियों और शिक्षाविदों ने AI, अकादमिक ईमानदारी, नीति निर्माण, शिक्षण पद्धतियों में परिवर्तन जैसे विषयों पर शोध प्रस्तुत किए, जिससे विचार-विमर्श को गहराई और बहुआयामी दृष्टिकोण प्राप्त हुआ।
सम्मेलन का समापन और धन्यवाद ज्ञापन
समापन सत्र का संचालन फिर से डॉ. ओबेही सुले द्वारा किया गया, जिन्होंने सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया और सभी सहभागियों का धन्यवाद किया।
समापन टिप्पणी डॉ. समीर बाबू और मृणाल सिन्हा ने दी, जबकि सम्मेलन का औपचारिक समापन Ms. प्रीति गोयल, हेड – इंडस्ट्री एवं IQAC कोऑर्डिनेटर, के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने शिक्षकों, आयोजकों, तकनीकी सहयोगियों, वक्ताओं और स्वयंसेवकों के योगदान की सराहना की।
सत्यम कॉलेज की प्रतिबद्धता: गुणवत्ता, नवाचार और वैश्विक जुड़ाव
यह सम्मेलन सत्यम कॉलेज ऑफ एजुकेशन की गुणवत्ता-केन्द्रित सोच और वैश्विक अकादमिक सहभागिता की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह आयोजन न केवल शैक्षणिक विमर्श को समृद्ध करने वाला सिद्ध हुआ, बल्कि शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए विचारों के आदान-प्रदान, सहयोग और नवाचार का एक प्रेरक मंच भी बन गया।