मौहम्मद इल्यास- "दनकौरी"/ग्रेटर नोएडा
मां सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि स्नेह, त्याग और ममता का जीवंत स्वरूप हैं। इसी भावना को साकार करते हुए नन्हक फाउंडेशन ने मातृ दिवस के मौके पर बिगनिंग मिशन एजुकेशन सेंटर में एक विशेष आयोजन कर, समाज के कमजोर आर्थिक वर्ग की माताओं को समर्पित एक सशक्त संदेश दिया — "सम्मान, सहयोग और संकल्प"।
इस अवसर पर उन माताओं के प्रति आभार व्यक्त किया गया, जिनके बच्चे नन्हक फाउंडेशन के माध्यम से निःशुल्क शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। कार्यक्रम में शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक जुड़ाव को केंद्र में रखते हुए कई रचनात्मक गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियाँ:
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मातृ सम्मान समारोह:
फाउंडेशन की ओर से सभी माताओं को प्रतीकात्मक रूप से सम्मानित किया गया। उनके जीवन-संघर्ष और बच्चों के भविष्य को संवारने में निभाई गई भूमिका को सराहा गया। कई माताएं मंच पर आईं तो उनकी आंखें नम थीं — यह सम्मान उनके वर्षों के समर्पण की सार्वजनिक स्वीकृति थी। -
बच्चों का प्रेम प्रदर्शन:
बच्चों ने अपनी माताओं के लिए प्यार से तैयार किए गए कार्ड, स्वरचित कविताएं, शेरो-शायरी और नृत्य-प्रस्तुतियाँ मंच पर प्रस्तुत कीं। इस दृश्य ने उपस्थित सभी लोगों की आंखें नम कर दीं। बच्चे जब अपनी मां के चरण स्पर्श कर उन्हें कार्ड दे रहे थे, तो हर दृश्य भावनाओं से भर गया। -
स्वास्थ्य और जागरूकता सत्र:
सीमित संसाधनों में स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखा जाए, इस पर विशेषज्ञों ने माताओं को उपयोगी जानकारी दी। मातृत्व के दौरान पोषण, बच्चों की साफ-सफाई और मानसिक स्वास्थ्य जैसे विषयों पर संवाद हुआ। -
अनमोल पल:
जब महिलाओं से पूछा गया कि फाउंडेशन से मिले सहयोग (किताबें, ड्रेस, भोजन आदि) से उन्हें क्या मदद मिली, तो कई माताएं भावुक हो उठीं और बोलते-बोलते उनकी आंखें छलक उठीं। यह नन्हक परिवार के उस भरोसे की जीत थी, जो वर्षों से दिलों में पनप रहा है। -
संकल्प और साथ:
कार्यक्रम के अंत में फाउंडेशन के वरिष्ठ मार्गदर्शक एस.पी. गर्ग ने सभी माताओं से यह संकल्प लिया कि वे अपने बच्चों की शिक्षा में भागीदार बनेंगी और प्रतिदिन थोड़ा-सा समय उनके साथ बिताएंगी। उन्होंने कहा, “बच्चों का भविष्य केवल किताबों से नहीं, मां के सान्निध्य से भी सँवरता है।”
कार्यक्रम का समापन सामूहिक अल्पाहार के साथ हुआ, जहां बच्चों और माताओं ने साथ बैठकर भोजन का आनंद लिया।
नन्हक फाउंडेशन की संस्थापक साधना सिन्हा ने इस मौके पर कहा:
"यह सिर्फ एक आयोजन नहीं था, बल्कि एक भावनात्मक यात्रा थी। जब मां मुस्कराती है, तो बच्चा संवरता है। आज हमने देखा कि प्रेम, सहयोग और शिक्षा मिलकर किस तरह जीवन में प्रकाश भर सकते हैं। हमारा प्रयास यही रहेगा कि हम इस प्रकाश को हर घर तक पहुंचाएं।"