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NIMT कॉलेज में परीक्षा तनाव कम करने पर विशेष व्याख्यान

Vision Live/ Greater Noida 
 NIMT कॉलेज में आज छात्रों के परीक्षा तनाव को कम करने के तरीकों पर एक विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कॉलेज के सभी छात्र, शिक्षा समिति के सदस्य और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। व्याख्यान का नेतृत्व ग्रेटर नोएडा की प्रसिद्ध मनोचिकित्सक डॉ. देबोलिना चौधरी ने किया, जो वर्तमान में फोर्टिस अस्पताल में परामर्शदाता (कंसल्टेंट) के रूप में कार्यरत हैं और निरवाणा क्लिनिक, सेक्टर पी, आर्केडिया कॉम्प्लेक्स, ग्रेटर नोएडा की संस्थापक हैं।
डॉ. देबोलिना चौधरी ने अपने संबोधन में परीक्षा के दौरान मानसिक संतुलन बनाए रखने और तनाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि परीक्षा का समय नजदीक आते ही छात्रों और अभिभावकों दोनों में तनाव और चिंता बढ़ने लगती है। हालांकि, कुछ हद तक तनाव प्रेरणा देने और प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, लेकिन अत्यधिक तनाव से थकान, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और सिरदर्द, अनिद्रा जैसी शारीरिक समस्याएँ हो सकती हैं।

तनाव कम करने के लिए आवश्यक उपाय:-

1. सही योजना बनाना:
डॉ. चौधरी ने कहा कि पढ़ाई की अव्यवस्थित दिनचर्या से घबराहट और टालमटोल की प्रवृत्ति बढ़ सकती है। सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर प्रतिदिन के लिए यथार्थवादी लक्ष्य निर्धारित करने से पढ़ाई पर नियंत्रण महसूस होता है। उन्होंने सक्रिय अध्ययन तकनीकों जैसे—संक्षिप्त नोट्स बनाना, विषय समझाना और फ्लैशकार्ड का उपयोग करने की सलाह दी।
2. नियमित ब्रेक लेना:
उन्होंने बताया कि 50-10 नियम अपनाना फायदेमंद हो सकता है—50 मिनट तक पढ़ाई करें और फिर 10 मिनट का ब्रेक लें। इस दौरान स्क्रीन से दूर रहकर हल्का व्यायाम या टहलना ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को बढ़ाता है।
3. शारीरिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना:
परीक्षा के दौरान नींद से समझौता करने से मानसिक स्पष्टता प्रभावित होती है। डॉ. चौधरी ने हर रात 7-9 घंटे की नींद लेने की सलाह दी, ताकि चिड़चिड़ापन और ध्यान केंद्रित करने की परेशानी से बचा जा सके।
4. तनाव कम करने की तकनीकें:
डॉ. चौधरी ने गहरी सांस लेने की 4-4-6 तकनीक (4 सेकंड तक सांस लें, 4 सेकंड रोकें और फिर 6 सेकंड में धीरे-धीरे छोड़ें) पर जोर दिया। उन्होंने ध्यान, संगीत सुनने और प्रकृति में समय बिताने की भी सलाह दी।
5. सकारात्मक आत्मसंवाद:
उन्होंने छात्रों को नकारात्मक सोच से बचने और आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए सकारात्मक आत्मसंवाद करने की सलाह दी, जैसे—"मैंने अच्छी तैयारी की है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूंगा।"

6.अभिभावकों की भूमिका:
अभिभावकों से अनुरोध किया गया कि वे बच्चों के व्यवहार में बदलावों को समझें और यदि वे असामान्य रूप से चिड़चिड़े हो रहे हैं, पढ़ाई से बच रहे हैं या अत्यधिक चिंतित महसूस कर रहे हैं, तो उन्हें भावनात्मक सहयोग प्रदान करें।
डॉ. चौधरी ने अपने व्याख्यान का समापन इस संदेश के साथ किया कि परीक्षा जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से अधिक महत्वपूर्ण नहीं होनी चाहिए। सही योजना, स्वस्थ दिनचर्या और भावनात्मक समर्थन के साथ, छात्र इस चुनौतीपूर्ण समय को आत्मविश्वास के साथ पार कर सकते हैं।
NIMT कॉलेज के छात्रों और प्रशासन ने डॉ. देबोलिना चौधरी के इस ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक व्याख्यान के लिए आभार व्यक्त किया। इस मौके पर डॉ .नित्या प्राचार्य, 
कॉलेज.प्रोफेसर सुष्मिता और सविता, शिवानी पटेल,रिंकी  नेहा सिंह आदि मेडिकल छात्र उपस्थित रहे।