चौधरी शौकत अली चेची
नवरात्रि का व्रत रखा जाता है। पहले चैत्र नवरात्रि एवं दूसरा शारदीय नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इन दोनों नवरात्रि का अपना-अपना धार्मिक महत्व है।
ज्योतिष के अनुसार नव वर्ष मैं चैत्र नवरात्रि आरंभ होती है नवरात्रि का यह है पावन पर्व इस बार 30 मार्च-2025 से शुरू होकर 6 अप्रैल तक चलेगा। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को लोग कन्याओं को घर बुलाकर विधिवत पूजा करने के साथ भोजन कराते हैं उपहार देते हैं ।
भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि में ,मां, हवन, जप, ध्यान से नहीं बल्कि कन्या पूजन से भी प्रसन्न होती है और सुख समृद्धि सौभाग्य खुशहाली का आशीर्वाद देती है इस पर्व को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ अखंड ज्योति जलाई जाती है और अगले नौ दिनों तक पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है।
चैत्र नवरात्रि मनाने के पीछे पौराणिक कथा है जब धरती पर महिषासुर का आतंक काफी बढ़ गया था उसे ब्रह्मा जी ने अमर होने का वरदान दिया था। वरदान के कारण कोई भी देवता या दानव उसे पर विजय प्राप्त नहीं कर सका तो देवताओं ने माता पार्वती को प्रसन्न कर उनसे रक्षा करने को कहा इसके बाद माता पार्वती ने अपने अंश से नौ रूप प्रकट किए जिन्हें देवताओं ने अपने शस्त्र देकर शक्तिशाली बनाया। यह कार्य चैत्र के महीने में प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर 9 दिनों तक चला और यही कारण है कि इन 9 दिनों को चैत्र नवरात्रि के तौर पर मनाया जाने लगा। चैत्र नवरात्रि में शैलपुत्री की पूजा की जाती है जो मां दुर्गा का पहला रूप माना जाता है ।
शास्त्रों के अनुसार इसी कारण चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा हर एक दिन की जाती है जिनकी पूजा करने से अलग-अलग फलों की प्राप्ति होती है।
नौ दिनों तक पड़ने वाले नवरात्रि में व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक मजबूती मिलती है, अध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। इसके साथ ही व्यक्ति को काम, क्रोध, मद, मत्सर, लोभ जैसी चीजों से मुक्ति मिल जाती है और व्यक्ति का मन, तन शुद्ध हो जाता है।
चैत्र नवरात्रि में किसी भी शुभ काम या फिर मांगलिक कार्य में कलश स्थापना करने सुख-समृद्धि आती है धन, धान्य की कमी नहीं होती कलश को देवी-देवता, तीर्थ स्थान, तीर्थ नदियों आदि का प्रतीक माना जाता है। कलश में मुख में विष्णु जी, कंठ में शिव जी, मूल में ब्रह्मा जी निवास करते हैं इसके साथ ही कलश के मध्य में दैवीय मातृ शक्तियां निवास करती हैं।
शास्त्रों के अनुसार, जौ को सृष्टि की पहली फसल मानी जाती है इस कारण नवरात्रि में देवी की उपासना करने से पहले कलश के नीचे मिट्टी में जौ बोये जाते हैं जौ जितनी अच्छी तरह से हरे-भरे रहेंगे ,उतनी ही तेजी से व्यक्ति को सुख-समृद्धि, खुशहाली और सौभाग्य मिलता है।
चैत्र नवरात्रि के दौरान पूरे नौ दिनों तक लगातार जलने वाले घी के दीपक को अखंड ज्योति कहा जाता है हर तरह के नियमों का पालन किया जाता है। अखंड ज्योति जलाने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही मां के आशीर्वाद से हर क्षेत्र में सफलता मिलने के साथ सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
लेखक:-- चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उo प्रo सचिव (सपा) है।