चौधरी शौकत अली चेची
ईद उल फितर त्यौहार के मौके पर अल्लाह पाक रहमत और बरकत बेशुमार बरसाता है और गुनाहों को माफ करता है। इस्लाम धर्म के मानने वालों में अपार खुशी होती है। रोजे रखकर पूरी दुनिया के लिए रोजेदार दुआ मांगते हैं ,रात के वक्त तराबियां पढ़ते हैं। ईदगाह व मस्जिदों में एकत्रित होकर नमाज पढ़ते हैं । द्वेष भावनाओं को भूलकर एक दूसरे को गले लगा कर मिष्ठान खिलाते और खाते हैं। जरुरतमंद को दान देते व एक दूसरे की संभव मदद करते हैं। इसीलिए माहे रमजान को पाक महीना कहते हैं। ईद उल फितर का त्यौहार भारत में 31 मार्च-2025 यानी सोमवार को मनाया जाएगा।
लाखों त्यौहार विश्व में अलग अलग ढंग से मनाए जाते हैं। त्यौहारों का मुख्य उद्देश्य बलिदान "त्याग "अमन"-चैन" तरक्की "भाईचारे" का प्रतीक माने जाते हैं।
हिजरी कलेंडर के हिसाब से मोहर्रम का महीना 1 तारीख से नई साल मानी जाती है । चांद की तारीख के हिसाब से 1 साल के 356 दिन होते हैं। 10वां महीना ( शव्वाल ) 1 तारीख को( ईद उल फितर) का त्योहार माहे रमजान में 29 या 30 रोजे चांद दिखने के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है।
इस्लाम धर्म के पांच अरकान (स्तंभ )मुख्य माने गए हैं और जिनमे कलमा, नमाज, रोजा, जकात, हज हैं। कलमा का अर्थ= नहीं है कोई माबूद पूजने योग्य सिवा अल्लाह के और जिसके मोहम्मद रसूलुल्लाह हैं। =नमाज का अर्थ= 9 साल के बाद हर मुस्लिम पर पांचों वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज है। सच्चाई के रास्ते पर चलने की दुआ मांगना गुनाहों से तौबा करना है। रोजा रखना फर्ज है फितरा देना फर्ज है, फितरा नहीं देने वाले को ईद मनाने का हक नहीं है। फितरा का अर्थ= रोजा रखने में जो गलतियां हुई गरीबों के लिए हर सदस्य पोने दो किलो अनाज या रेट लगाकर धनराशि दान देना अल्लाह का हुकुम माना गया है।= जकात का अर्थ =1 साल की बचत और मालियत का 2.5 प्रतिशत हिस्सा गरीबों को दान करना होता है ,जिसे साल में कभी भी दिया जा सकता है । अल्लाह पाक का हुक्म माना गया है= हज का अर्थ =सऊदी अरब मैं मक्का मदीना विश्व का सबसे बड़ा पवित्र इस्लाम धर्म का स्थान है। सभी हक और फर्जो से फारिग होने के बाद हज बैतुल्ला और हज तमाम अरकान पूरे किया जाना जरूरी है।
लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ,किसान एकता (संघ) एवं उo प्रo सचिव पिछड़ा वर्ग (सपा) हैं।