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शब- ए- बारात:-- नेकी ,गुनाह, रिजेक और जिंदगी का लेखा-जोखा, जिम्मेदार फरिश्तों व मलकुन मौत तक पहुंचता है


चौधरी शौकत अली चेची
शबे बारात त्यौहार मनाने का उद्देश्य क्या है? आइए जान लेते हैं।  भारत देश ही नही बल्कि विश्व भर में त्यौहारों को मनाने का महत्व अलग-2 माना गया है।  इस्लाम धर्म में शब ए बारात यानी शब का अर्थ (रात) बारात का अर्थ (बरी होना) 14 शाबान मोहजम का दिन गुजरने के बाद 15 वी तारीख की रात को शब ए बारात कहते हैं। शबे बारात चांद की तारीख पर निर्भर है। दिन शुक्रवार /14/ 2 / 2025/ तारीख को विश्व में मनाने की तैयारी चल रही है। इस्लामिक कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं। हिजरी सन  1446 चल रहा है । चांद दिखने के बाद पहली तारीख शुरू होती है तथा मुंहर्रम को पहला महीना माना जाता है। शाबान को  आठवां महीना माना जाता है जो अब फरवरी 2025 में चल रहा है।
 अल्लाह  के प्यारे रसूल सल्लल्लाहो आलेहि वसल्लम ने फरमाया कि शाबान मेरा महीना है। हदीस के मानने वालों का कहना है अल्लाह तालाह से बढ़कर दूसरा कोई नहीं है।
 अल्लाह की मर्जी के बगैर कुछ भी नहीं है (रहमतों की रात नेकीयों का साथ गुनाहों से निजात) इस्लाम के मानने वालों के लिए यह रात बेहद फजीलत (महिमा )की रात मानी जाती है । इस रात पूरे विश्व के मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं ,अरब देशों में लैलतुल बराह या लैलतुन निशफे मीन शाबान कहा जाता है ।
भारत, ईरान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान ,नेपाल ,बांग्लादेश आदि में शब ए बारात कहा जाता है। इबादत तिलावत सखावत (दान पुण्य अरदास) मस्जिदों  कब्रिस्तानो में रौनक ज्यादा दिखाई देती है। शहरों में जुलूस निकाले जाते हैं, घरों में भी अलग माहौल दिखाई देता है। नमाज, कुरान ,तस्वी, दरूद शरीफ पूरी रात पढ़कर गुनाहों की माफी मांगी जाती है। सभी के लिए तरक्की ,अमन चैन, भाईचारे की दुआ की जाती है, अपनी हैसियत के हिसाब से खैरात की जाती है । कब्रिस्तानो में मोमबत्तियां जलाकर अपने सगे संबंधियों को याद कर मगफिरेत के लिए अल्लाह पाक से दुआ मांगते हैं, घरों में मुख्य पकवान हलवा व खीर बनाकर दरूद और फतिया पढ़कर अपने बुजुर्गों को याद कर तबररुक तक्सीम एक दूसरे को किया जाता है। सवेरा होने पर कुछ हजरात रोजा रखते हैं।
 शिया, सुन्नी ,देवबंदी, बरेलवी सभी अपने अपने तरीके से शब ए बरात को त्यौहार के रूप में मनाते हैं। कुछ गम और फिक्र में अल्लाह  से गुनाहों की माफी मांग कर सभी के लिए अमन-चैन तरक्की भाईचारे की दुआ मांगते हैं ।
अल्लाह के प्यारे नबी ने फरमाया चार रातों में अल्लाह खैर खूब बहाता है। ईद उल अजहा की रात, ईद उल फितर की रात, हज की रात ,15 वी तारीख की रात शब ए बारात अहम माना गया है, क्योंकि इसमें नेकी ,गुनाह, रिजेक और जिंदगी का लेखा-जोखा जिम्मेदार फरिश्तों व मलकुन मौत तक पहुंचता है, ऐसा हदीसों में कहा गया है।
 लेखक:-- चौधरी शौकत अली चेची,  राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
    किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।