चौधरी शौकत अली चेची
हर वर्ष बजट आता है। किसी को खुशी, किसी को मायूसी देकर अगले वर्ष का इंतजार छोड़ जाता है । 2025-26 का बजट लगभग 50 लाख करोड रुपए का है और जीरो टैक्स 1275000 का ढोल सरकार द्वारा बजाया जा रहा है लेकिन छूट किसको मिली यह गंभीर विषय है । महंगाई एवं जीएसटी के बोझ से दबे गरीब एवं मिडिल क्लास को टैक्स में राहत कितने लोगों को मिली जो साल का 12 लाख रुपया कमाते हैं । सरकार ने संख्या नहीं बताई और हम भी संख्या के बारे में नहीं जानते हैं लेकिन 12 लाख तक टैक्स नहीं लगेगा की घोषणा से लगभग 85% लोगों की मुराद पूरी हो गई। स्लैब में बेशक बदलाव किए गए लेकिन इससे टैक्स रेट की उसकी पीड़ा क्या कम हो जाती है या सिर्फ दर्द अपनी जगह बदल लेता है।
कुंभ में सर पर सूटकेस ब्रीफकेस और अटैची की जगह बोरी में सामान कंधे पर पटरी से चला जा रहा है। क्या इस घोषणा से उत्साहित होगा इन लोगों की साल की कमाई के बारे में जानने की जरूरत है? उनके लिए तो अभी कुछ नहीं बदला 3 करोड़ से ज्यादा लोग आयकर रिटर्न भरते हैं। इन्हीं में लगभग दो करोड़ लोग सरकारी मुलाजिम है, ज्यादा इन्हीं लोगों को लाभ पहुंचेगा।
142 करोड़ की आबादी वाले भारत में 15 लाख तक की कमाई पर रिटर्न भरने वाले 7 करोड़ ही है लेकिन मानव समूह महंगाई और कम कमाई के बोझ के चलते दबा हुआ है वरना 12 लाख पर जीरो टैक्स की घोषणा को वह अपनी मुक्ति समझकर एक डुबकी और लगा लेता। 12 लाख तक की आमदनी वाले को 80000 का फायदा होगा।
सितंबर 2019 में मोदी सरकार ने कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 25% कर दिया था। इस उम्मीद में की कॉर्पोरेट निवेश करेगा नौकरियां देगा मगर दोनों हुआ नहीं फिर 2024 की जुलाई में विदेशी कंपनियों पर लगने वाला कॉरपोरेट टैक्स 40% से घटकर 35% कर दिया गया ताकि चीन की जगह विदेशी कंपनियां भारत आने लग जाए । लेकिन 2024 के शुरुआती 8 महीना के मुकाबले पिछले आठ महीने में भारत में आने वाला विदेशी निवेश लगभग 80000 करोड रुपए कम हो गया है। अक्टूबर नवंबर में एफडीआई ने भारत से डेढ़ लाख करोड़ से ज्यादा निवेश निकाल लिया। 2025 जनवरी में विदेशी निवेशकों ने 64000 करोड़ से अधिक की राशि भारतीय बाजार से निकाल ली। 1275000 पर टैक्स नहीं लगने से देश की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी यह सच नहीं है । इसमें भी सरकार का वोट बैंक छुपा है। टैक्स रेट में बदलाव से मिडिल क्लास को राहत नहीं मंदी और ठंडी से गुजर रही भारत की अर्थव्यवस्था उपभोग और मांग का इंतजार कर रही।
हर महीने 10000 से 25000 कमाने वाले व्यक्ति को बजट में क्या छूट मिली? देश में इनकी संख्या लगभग 65% है। हर महीने 10000 से कम कमाने वालों की संख्या लगभग 20% है, बाकी 15% देशवासी अच्छी खासी कमाई करते हैं । स्वयं बिजनेसमैन, कॉरपोरेट, उद्योग धंधे व्यापार, प्राइवेट नौकरी, सरकारी मुलाजिम आदि में अच्छी खासी तरक्की करते ही जा रहे हैं । विदेशो से कुछ आयात वस्तुओं पर 5% टैक्स घटा दिया ,इसके कई मायने हैं। आम जनमानस नहीं समझता लेकिन देश का 85% आमजन टैक्स महंगाई बेरोजगारी से जूझ रहा है। नोटबंदी से काला धन वापस आएगा। कोरोना काल से मोदी जी ने भारत को बचा लिया जैसी 12 लाख पर 80000 रुपए का लाभ होगा ,हैडलाइन चलाई जा रही है।
एक तरफ वित्त मंत्री कह रही है 12 लाख तक जीरो टैक्स लगेगा और फिर यह भी कह रही है कि आज से 12 लाख के स्लैब में 10% का टैक्स लगेगा जिनकी कमाई 12 लाख से ज्यादा होने लग जाती है जैसे किसी की आमदनी साल में 30 लाख है पहले क्या होता था 30 लाख को 15 -15 लाख के टैक्स लगता था और बाकी 15 लाख पर 30% के हिसाब से तो इस तरह से जो 30 लाख साल का कमाता था, पुरानी दरों के हिसाब से साल में 6 लाख 13600 टैक्स देने पड़ते थे। अब उसे 4 लाख पर 99200 टैक्स देने पड़ेंगे । इस तरह से 30 लाख सालाना कमाने वाले को 1 वर्ष में 114400 की बचत होगी, महीने के हिसाब से लगभग 9500 रुपए उसके बचने लग जाएंगे।
2025 -26 के बजट में 7 प्रकार के स्लैब हो गए। अब 30% का टैक्स आपकी सालाना आमदनी 24 लाख या उससे अधिक होगी । 0 से 4 लाख रुपए पर शून्य टैक्स लगेगा। 4 से 8 लाख रुपए पर 5% 8 से 12 लाख रुपए पर 10% 12 से 16 लाख रुपए पर 15% 16 से 20 लाख रुपए पर 20% 20 से 24 लाख रुपए पर 25% 24 लाख रुपए से अधिक पर 30% होगा। जिसकी आय 16 लाख तक की होगी उसे 120000 तक का टैक्स देना होगा । अगर आय 20 लाख तक होगी तो 2 लाख का टैक्स बनेगा। अगर आपकी आय 24 लाख है तो आप पर 3 लाख का टैक्स लगेगा और अगर आपकी आय 50 लाख है तो 10 लाख 80 हजार का टैक्स बनेगा । अलग-अलग स्लैब के हिसाब से 30000 से लेकर 120000 तक का फायदा हो रहा है, अभी बजट के डिटेल आएंगे और एक्सपर्ट देखेंगे तो उसके बारे में और जानकारियां मिलेगी।
एक बार फिर से 16 लाख तक की सालाना आय पर 50000 का फायदा होगा। एक वर्ष में 20 लाख की सालाना आय पर 90000 का फायदा होगा। 24 लाख की आय पर 110000 का फायदा, लेकिन टैक्स बनेगा 10 लाख 80 हजार का अगर आपकी आय 12 लाख से ऊपर है तो आपको रिबेट का कोई फायदा नहीं मिलेगा, केवल फ्लैट के बदलने का फायदा मिल रहा है । विल बी पत्रकार हैं अपने ब्लॉग पर लिखा है कि 2018-19 में 3.3 करोड़ करदाताओं में 4.6 लाख करोड़ आयकर दिया। 2023 24 में सिर्फ 2.8 करोड़ लोगों ने 10.4 लाख करोड़ आयकर तो भारत में करदाताओं की संख्या घटी और टैक्स की वसूली बढ़ गई। इसलिए सरकार ने 7 लाख तक की आमदनी पर टैक्स जीरो किया था । इससे आयकर का संग्रह बढ़ गया मगर आयकर भरने वाले कम हो गए । औसत आयकर बढ़ गया इसका हिसाब खबर अनुसार 2018-19 में आप औसतन 9600 आयकर दे रहे थे । लेकिन 2023 24 में यह बढ़कर 240000 हो गया 5 वर्ष में आयकर दाताओं पर टैक्स का बोझ औसतन 20% बढ़ गया। उसकी आमदनी बिल्कुल नहीं बढ़ी आर्थिक सर्वे का डाटा 4 साल में कॉर्पोरेट का मुनाफा 22% बड़ा और इंडिया चक्रवर्ती दिखा रहे हैं कि इसी दौरान टैक्स देने वाले पर टैक्स का वजन 20% बढ़ा है । सरकार के बही खाते में पर्सनल इनकम टैक्स से आने वाला पैसा बढ़ता ही जा रहा है । कॉरपोरेट टैक्स से आने वाला पैसा घटता ही जा रहा है । नए बजट में सरकार का अनुमान है कि पर्सनल इनकम टैक्स से 12.6 लाख करोड़ आएगा। कॉरपोरेट टैक्स से 9.8 लाख करोड़ आएगा । अभी भी आयकर दाता ही ज्यादा टैक्स दे रहे हैं। कॉर्पोरेट जिसका टैक्स कम किया गया मुनाफा बटोरा रोजगार नहीं बढ़ाया और जिन्हें नौकरी भी नहीं एवं सैलरी नहीं बढ़ाई जो कॉर्पोरेट पांच साल से मुनाफा कमा रहा है उसका आम आदमी पर 5 से 20% टैक्स लग रहा है, उसे कुछ परसेंट की राहत दी गई है । अभी तक औसतन 20% टैक्स का भार ढो रहे थे, इस बार 6.67 प्रतिशत घटा दिया गया।
अब सवाल है कि क्या 80 हजार से 120000 की छूट 1 साल में इतनी बड़ी है, तो कुछ लोगों के लिए बहुत बड़ी है। कुछ लोगों के लिए शायद मामूली एक ऐसा आदमी, जिसकी सैलरी नहीं बढ़ रही है। महंगाई से परेशान है टैक्स के कारण कंगाल है। जीएसटी के कारण भाग दौड़ में उसे सांस लेने की थोड़ी जगह तो मिल ही रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से काम खत्म कर अपने-अपने घरों को लौटने के लिए सीडीओ पर दौड़ता आम आदमी ताकि लोकल ट्रेन बस आदि पर सवार हो कर 24 घंटे संघर्ष में रहता है । लेकिन टीवी चैनलों पर इनका दर्द एवं कमाई नहीं बताई जाती। मिडिल क्लास केवल टैक्स का मारा नहीं ,कम सैलरी ,कम मजदूरी काम का मारा है। जीएसटी का मारा है, महंगाई का मारा है, शिक्षा एवं चिकित्सा किराया आदि की महंगाई का मारा है। ऊंट के मुंह में जीरा टैक्स की छूट से गरीब या मिडिल क्लास अमीर हो जाएगा। उसके हाथ में कोई नई दौलत आ जाएगी।
2024 के चुनाव के बाद मिडिल क्लास को लगने लगा कि अब वह और सहन नहीं कर सकता । जीएसटी के कारण उसकी बची हुई, कमाई हवा हो रही थी। टैक्स के कारण उसके लिए बचाना मुश्किल हो रहा था। हाहाकार मच रहा था, अब उसके हाथ में 80000 रुपए आएगा ,बाजार दौड़ने लगेगा, उपभोग बढ़ जाएगा ,अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी । फिलहाल एक्सपर्ट उत्साहित नहीं है, हर आदमी मुद्रा स्थिति के आधार पर अपनी आज की कमाई को नहीं समझ पाता है। मैं भी नहीं आर्थिक सर्वे के अनुसार 2024 25 में सवार रोजगार और सैलरी वाले कर्मी की वास्तविक मजदूरी 2017-18 से भी कम हो गई है। 2023 24 में स्वरोजगार में पुरुष 8591 कम रहा था ,यानी उसकी कमाई की वैल्यू 2017-18 में 12655 रुपए कमाता था यानी आपकी ग्रह शक्ति घट गई ।आपके पैसे का मूल घट गया है ,आपकी वास्तविक कमाई जितनी घटी है ,उस अनुपात में क्या आपको इनकम टैक्स में राहत मिली है। गणित का कोई विद्वान ही बता सकता है महिलाओं की वास्तविक मजदूरी लगभग 33% घट गई ,क्योंकि महंगाई बढ़ गई। मुद्रा स्थिति बढ़ गई, मगर सरकार एवं मीडिया हैडलाइन लेकर दौड़ रही है कि 12 लाख 75 हजार तक की आमदनी पर जीरो टैक्स होगा।
देखना होगा कि टैक्स में छूट मिली है तो और कहां-कहां से सरकार ने हिसाब बराबर कर लिया है। 1 अप्रैल से बदलाव शुरू होगा। कई लोगों को लगता है कि उनकी कमाई 12 लाख से कम है । टैक्स नहीं लगता उन्हें टैक्स रिटर्न भरने की जरूरत नहीं। उन्हें भी टैक्स रिटर्न भरना है, अब सरकार ने टैक्स रिटर्न में जोड़ घटाव के लिए समय की सीमा 2 साल से बढ़ाकर 4 साल कर दी ,लेकिन इसके लिए आपको अलग-अलग मदों में भारी जुर्माना देना पड़ता है । इस बार के बजट में कुछ और फायदे की बात नजर आती है।
अगर किसी ने आयकर रिटर्न नहीं भरा है तो अधिक दर से टीडीएस काटा जाता था लेकिन अब यह नियम हटा दिया गया अगर रिटर्न नहीं भरा है तब भी टीडीएस सामान्य दर पर ही काटा जाएगा। यही नियम टीसीएस पर भी लागू होगा
लेकिन सवाल है कि सरकार इसकी भरपाई कैसे करेगी? क्या जीएसटी के रास्ते से जीएसटी की वसूली बढ़ाकर टैक्स कानून को लेकर अभी काफी कुछ साफ होना है? जल्दी ही सरकार जब नया टैक्स बिल पेश करेगी, बहस होगी तो उससे और बातें साफ होगी।
बजट के बाद नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी विपक्ष के आदि नेताओं ने सवाल खड़े किए हैं वैसे तो टैक्स में कुछ ऊर्जावान नहीं है। अर्थव्यवस्था, बचत ,उपभोग, निवेश और रोजगार पर टिकी होती है। भारत की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ गई है, विदेशी निवेश नहीं है। अर्थव्यवस्था इस समय तीन संबंधित संकटों से ग्रस्त है। स्थिर वास्तविक मजदूरी, सामूहिक उपभोग में उछाल की कमी, निजी निवेश सुस्त जटिल और पेचीदा जीएसटी प्रणाली बजट इन बीमारियों को दूर करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है। केवल आयकर दाताओं के लिए राहत दी गई है, कुछ एक्सपर्ट भी सवाल कर रहे हैं कि महीने के 6000 से लेकर 9000 की बचत से मिडिल क्लास को कितनी बड़ी राहत पहुंचेगी ? क्या युवा मनोवैज्ञानिक रूप से सुखी महसूस करेगा या आर्थिक रूप से खुद को सक्षम महसूस करेगा ? 2018-19 में प्रत्यक्ष करों में कॉरपोरेट टैक्स के हिस्सेदारी 59% थी इस समय 47% हो गई है। इनकम टैक्स 41% से बढ़कर 53% हो गया आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 2024 में कॉर्पोरेट का मुनाफा 22.3 प्रतिशत रहा जनता पर लगाया गब्बर सिंह टैक्स 5% 12% 18% 28% से पहले ही परेशान है।
अन्नदाताओं को एक तरीके से बजट मे बड़े स्तर पर मायूस किया है। 5 लाख के लोन से किसानों को लाभ नहीं है । असल हकदार किसान क्रेडिट कार्ड देश में लगभग 5% हो सकते हैं। सरकार को सार्वजनिक करना चाहिए अब तक किसान क्रेडिट कार्ड पर कितने किसानों को लोन दिया या लोन नहीं चुकाने पर कितने किसानों की संपत्ति कुर्क की। लगभग 60% किसानों का बैंक अनाज मंडी का आढ़ती है। लगभग लगभग 25% को खेती करने के लिए किसी से रकम लेने की जरूरत नहीं पड़ती। लगभग 10% बगैर ब्याज के यार रिश्तेदार पड़ोसियों से रकम लेकर खेती कर लेते हैं, बाकी 5% किसान खेती करने के लिए सरकार से कितनी मदद लेता है ,वह उसकी जागरूकता पर निर्भर है । सरकार को बजट में किसान के लिए डीजल, पेट्रोल, बिजली, गैस, खाद, बीज, कीटनाशक, खरपतवार नाशक, दवाइयां, सभी फसलों पर उचित मूल्य, मौसम की मार से फसल खराब होने पर उचित मुआवजा, आवारा पशुओं से नष्ट फसलों पर सहायता, किसान की आत्महत्या होने पर, कृषि यंत्रों पर छूट, कृषि से संबंधित स्पेयर पार्ट पर छूट, डीजल पंप एवं टायर पर कितना टैक्स घटाया, किसान की उचित रेट एवं समय पर फसल बिक जाए उसके उपाय नहीं है, किसानों के लिए कुल बजट 1.27 लाख करोड रुपए रखा है। 2024 में कितना खर्च किया कितना बाकी सार्वजनिक नहीं, किसानों से जुड़े बिंदुओं पर कोई ऊर्जावान बजट नहीं है। जब भाजपा विपक्ष में थी तो किसानों के लिए सत्ता पक्ष को निशाने पर लेकर किसान की मसीहा बनती थी। सत्ता में आने के बाद भी झूठे वादे किए । 2022 तक किसानों की आय दुगनी हो जाएगी बीजेपी सरकार में डीएपी एवं युरिया समय पर नहीं मिलने से किसानों को हर फसल में परेशानियां झेलनी पड़ती हैं ।पुलिस की लाठियां खानी पड़ती हैं, किसान आपस में टकराते हैं ।
वित्त मंत्री बजट पेश करते समय यूरिया का प्लांट लगाने की बात कह रही थी तो पिछले 10 सालों से बीजेपी क्या पकौड़े तल रही थी? किसानों के लिए बजट में kcc के तहत 7.7 करोड़ किसानों को लाभ देने की बात कही गई है । देश की रीड है किसान, देश की आर्थिक व्यवस्था को लगभग 70% अपने कंधों पर संभाले हुए हैं। देश की सीमाओं की रक्षा करने में किसानों के बेटे अपना मुख्य रोल अदा करते हैं, अपने प्राणों की आहुति देते हैं। हर वर्ष लगभग 12 000 किसान अनेक परिस्थितियों में आत्महत्या कर रहा है ,थोथा चना बाजे घना, हर वर्ष की तरह बजट केंद्र सरकार का जुमला, कॉर्पोरेट के लिए लगातार खुल रहा है पिटारा, जय जवान- जय किसान।
लेखक:--चौधरी शौकत अली चेची,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उ0 प्र0 सचिव (सपा) है।