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बौद्ध शिक्षा और चरित्र निर्माण” नामक पुस्तक प्रकाशित

जीबीयू की शोधार्थी की “बुद्धिस्ट एजुकेशन एंड करैक्टर बिल्डिंग अर्थात बौद्ध शिक्षा और चरित्र निर्माण” नामक पुस्तक प्रकाशित
Vision Live/Greater Noida 
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के बौद्ध अध्ययन विभाग की शोधार्थी न्गुएन मोंग थाओ न्गुएन द्वारा लिखित पुस्तक “बुद्धिस्ट एजुकेशन एंड करैक्टर बिल्डिंग बेस्ड ऑन पाली त्रिपिटक बौद्ध” प्रकाशित हुआ है जो इनका पीएचडी शोध कार्य था, जो डॉ. अरविंद कुमार सिंह के मार्गदर्शन में किया गया था।
इस पुस्तक में बौद्ध शिक्षा के पाली त्रिपिटक में वर्णित सिद्धांतों को आधुनिक चरित्र निर्माण में उपयोग करने की संभावनाओं की खोज की गई है। यह प्राचीन बौद्ध दर्शन और शैक्षिक मनोविज्ञान के बीच तालमेल का विश्लेषण करती है और इन दोनों के संयोजन पर आधारित एक समग्र मॉडल प्रस्तुत करती है। पुस्तक में सांख्यिकीय आंकड़ों के साथ सुझाई गई कार्यप्रणाली को प्रस्तुत किया गया है, जिससे इस विषय पर आगे शोध के द्वार खुल सकते हैं।
लेखिका नगुयेन मोंग थाओ नगुयेन ने बताया कि पुस्तक को छह अध्यायों में विभाजित किया गया है, जो व्यक्ति और समाज के निर्माण में बौद्ध शिक्षा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालती है। पुस्तक में बौद्ध शिक्षा प्रणाली और आधुनिक शिक्षा पद्धति में बौद्ध शिक्षाओं के द्वारा चरित्र निर्माण की मनोवैज्ञानिक तुलना करते हुए इस विषय का विस्तृत अवलोकन प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक में त्रिपिटक अर्थात् बौद्ध साहित्य विशेष रूप से विनय पिटक, सुत्त पिटक और अभिधम्म पिटक में चरित्र निर्माण से संबंधित तथ्यों की भूमिका पर चर्चा की गई है।
पुस्तक का एक प्रमुख अध्याय बौद्ध गुणों जैसे कि मेत्ता (मित्रता), करुणा (दया), मुदिता (प्रसन्नता), और उपेक्षा (समभाव) पर केंद्रित है और उनके चरित्र निर्माण में योगदान को रेखांकित करता है। अभिधम्म पिटक के मनोवैज्ञानिक अंतर्दृष्टि और आधुनिक मनोविज्ञान के बीच संबंधों को भी विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
पुस्तक को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रवींद्र कुमार सिन्हा को भेंट किया गया, जिन्होंने इसे स्वीकार करते हुए शोधार्थी को इस उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए बधाई दी। इस अवसर पर डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि इस पुस्तक के लेखन के लिए शोधार्थी ने कई ग्रंथों का अध्ययन किया है, जो भविष्य के शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत सामग्री बनेगी। उन्होंने यह भी बताया कि यह उनकी मार्गदर्शन में प्रकाशित होने वाली षढ़ार्थियों की 7वीं पुस्तक है। डॉ सिंह ने आगे बताया कि पुस्तक की भूमिका बौद्ध अध्ययन के विद्वान प्रो के टी एस सराओ ने लिखी है और प्रस्तावना डॉ सिंह ने ख़ुद लिखी है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने शोधार्थी नगुयेन मोंग थाओ नगुययेन को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह पुस्तक अन्य छात्रों को भी अपने कार्यों को प्रकाशित करने के लिए प्रेरित करेगी। बौद्ध अध्ययन विभाग की डीन प्रो. श्वेता आनंद ने शोधार्थी और उनके मार्गदर्शक डॉ सिंह को इस उपलब्धि के लिए शुभकामनाएं दीं और साथ ही यह उम्मीद जतायी कि भविष्य में भी अन्य छात्र अपने शोध को प्रकाशित करें।
यह पुस्तक शिक्षकों और शोधार्थियों के लिए बौद्ध सिद्धांतों को आधुनिक शैक्षिक पद्धतियों में शामिल करने के नए आयाम खोलने का एक अनमोल स्रोत है।