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लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म !

चौधरी शौकत अली चेची
लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में गुजरात के नादियाद जिले (पाटीदार) कुर्मी जाति में हुआ था। पिता किसान थे जिनका नाम  झवेरभाई पटेल और माता का नाम लाडबा बेन था। वल्लभभाई पटेल चौथी संतान थे सोमाभाई, नरसीभाई ,विट्ठलभाई।
सरदार पटेल ने 16 वर्ष की उम्र में शादी की ,मैट्रिक 22 वर्ष में की , वकील की परीक्षा उत्तीर्ण कर गोधरा जिले में वकालत का स्वतंत्र कार्यालय स्थापित किया।  ब्रिटिश न्यायाधीशों को चुनौती देने में मुख्य रोल अदा किया। 1908 में पत्नी का निधन हो गया उनके एक बेटा दहाभाई पटेल और एक बेटी मणि बेन पटेल पैदा हुई। एक बार वे अदालत में केस लड़ रहे थे कि तभी उनके पास एक चिट्ठी आई। सरदार पटेल नें उस चिट्ठी को पढ़ा और अपनी जेब में रखकर फिर से केस लड़ने लगे। जब सुनवाई खत्म हुई तब जज ने उनसे पूछा कि उस चिट्ठी में क्या लिखा था, तो उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी का देहांत हो गया है।
 फरवरी 1913 में लंदन से भारत मैं लौट कर अहमदाबाद आपराधिक कानून में अग्रणी बैरिस्टर बनने के लिए तेजी से काम किया। महात्मा गांधी जी के कुछ विचारों से अस्मत रहे तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के भी कुछ विचारों से सहमत नहीं थे, लेकिन देश के लिए मिलकर काम किया। पटेल ने नैतिक आधार पर नहीं बल्कि व्यावहारिक आधार पर सशस्त्र क्रांति को खारिज कर दिया और भारतीय आत्मनिर्भरता एवं आत्मविश्वास को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। हिंदू मुस्लिम एकता को स्वतंत्रता के लिए एक शर्त नहीं माना, समाजवादी विचारों को अपनाने की उपयोगिता को कम कर रूढ़िवादी तत्वों का विश्वास हासिल किया ।
1928 में बारडोली में अंग्रेजों के बढ़ाए गए जमीन के कर के खिलाफ किसानों को एक-जुट कर  वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में बारडोली के किसानों नें आंदोलन शुरू किया, यह आंदोलन सफल हुआ और तब से वल्लभभाई पटेल को सरदार कहा जाने लगा।
देश आजादी के बाद लोकसभा चुनाव होने से पहले 1947 से 1950 तक देश के कांग्रेस कमेटी की तरफ से उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की  कमान संभाली।  छुआछूत नशा मुक्ति स्त्रियों पर अत्याचार के  खिलाफ  प्रयास जारी रखा और  आंदोलन करने के दौरान कई बार जेल गए। 
आजादी के बाद लगभग 560 से ज्यादा रियासतों को बगैर हिंसा के भारतीय यूनियन में शामिल करने में मुख्य योगदान रहा और लोह पुरुष कहलाए । अंग्रेजों की चालाकी ने देश में फूट डाल दी ,भारत स्वतंत्र होने की कुछ लोग खुशियां मना रहे थे तो कुछ विभाजन का मूल्य चूका रहे थे। लाखों की तादाद में जिंदगियां नफरत की आग में देश के बंटवारे की जिद में समाप्त हो गई । राहत और आपातकालीन आपूर्ति के आयोजन शरणार्थी शिविर स्थापित करने के लिए  सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा किया। शरणार्थियों को पुनर्वास दिलाने में मुख्य भूमिका निभाई।
कमेटी की बैठक में पटेल ने कहा मैं मुस्लिम बहुल इलाके  के अपने भाइयों के डर की पूरी तरह से सराहना करता हूं । भारत का बंटवारा किसी को अच्छा नहीं लगता। चुनाव एक विभाजन और कई विभाजनों के बीच है हमें तथ्यों का सामना करना चाहिए। हम भावुकता को रास्ता नहीं दे सकते हम इसे पसंद करें या ना करें वास्तव में पाकिस्तान पहले से ही पंजाब और बंगाल में मौजूद है इन परिस्थितियों में मैं एक कानूनी पाकिस्तान को प्राथमिकता दूंगा। हमारे पास 75 से 80% भारत है जिसे हम अपनी प्रतिभा से मजबूत बना सकते हैं । इसी प्रकार भारत-पाकिस्तान बंटवारे का प्रस्ताव आगे बढ़ा कांग्रेसी नेताओं में पटेल जी सबसे पहले विभाजन के पक्ष में थे।  26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने पड़े।
 लोह पुरुष सरदार पटेल जी ने 15 सितंबर 1950 की सुबह लगभग 9:37 पर मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से आखरी सांस ली पूर्वी उo प्रo एवं बिहार के (कुर्मी) सरदार पटेल को कुर्मी बताकर उनकी जयंती मनाते हैं । पटेल टाइटल भी लिखते हैं।  31 अक्टूबर 2024 सरदार पटेल की 150वी जयंती पर शत-शत नमन।

लेखक:--- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,
किसान एकता (संघ) एवं पिछड़ा वर्ग उo प्रo सचिव (सपा) है।