Vision Live/Greater Noida
श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के तत्वाधान में गोस्वामी सुशील जी महाराज के दिशा निर्देशन में रामलीला का मंचन राजस्थान के सर्वश्रेष्ठ कलाकारों द्वारा किया जा रहा है । रामलीला मैदान ऐच्छर पाई सेक्टर में दिनाँक 10 अक्टूबर-2024 के मंचन में मुख्य अतिथि के तौर पर श्रीचन्द्र शर्मा जी(सदस्य विधान परिषद) उत्तर प्रदेश ने शिरकत की। श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के द्वारा पटका ,पगड़ी और स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका स्वागत किया गया।
श्री धार्मिक रामलीला कमेटी के अध्यक्ष आनंद भाटी ने बताया कि मंचन का प्रारंभ गणेश पूजन के साथ शुरू हुआ। माता सीता के हरण के बाद जटायु का अंतिम संस्कार करने के पश्चात प्रभु राम जब आगे बढ़े रास्ते में सबरी का आश्रम मिला। शबरी ने प्रभु राम को भोग लगाने के लिए हर बेर चख के रखी थी। एक अछूत का जूठा बेर प्रभु श्री राम पूरे भाव से ग्रहण कर पूरी दुनिया को यह संदेश दिए है ,जब ईश्वर को आप पूरे भाव से भोग लगाते हैं, तो फर्क नहीं पड़ता है कि वह कैसा है भाव में अनंत प्रेम होना चाहिए। भगवान श्री राम आगे ॠष्यमूक पर्वत की तरफ प्रस्थान करते हैं, वहां पर किष्किंधा के राजा बालि के छोटे भाई सुग्रीव बजरंगबली के साथ निवास करते थे। भगवान श्री राम और भैया लक्ष्मण को देखकर उन्हें लगा कि उनके ऊपर आक्रमण करने के उद्देश्य से स्वयं बाली ने उन्हें भेजा है। सुग्रीव के आदेश पर हनुमान जी ब्राह्मण का वेश बनाकर भगवान श्री राम के सामने उपस्थित होते हैं। संतुष्ट होने पर वह अपनी असली वेश में आते हैं और रामलीला में वह घड़ी सामने उपस्थित होती है जब दुनिया का सबसे बड़ा भक्त अपने भगवान से पहली बार मिलता है, यह भाव शब्दों से बताना मुश्किल है। हनुमान जी दोनों भाइयों को लेकर सुग्रीव के पास जाते हैं। सुग्रीव अपने बड़े भाई बाली के अत्याचारों से भगवान श्री राम को परिचित कराते हैं और बताते हैं कि किस तरह से बाली ने उन्हें राज्य से निष्कासित कर उनकी पत्नी को भी अपने साथ रख लिया है। प्रभु श्री राम सुग्रीव के साथ इस अत्याचार से मुक्ति दिलाने के लिए बाली का अंत करते हैं और सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य देते हैं। पूरी वानरी सेना माता सीता की खोज में भारतवर्ष में चारों तरफ निकल जाती है, दक्षिण की टोली में जामवंत, हनुमान जी और नील को जटायु के भाई संपाती मिले जिन्होंने बताया कि माता सीता लंका में अशोक वाटिका में हैं। सूचना के स्पष्टीकरण बजरंगबली को जामवंत ने उनकी शक्ति से परिचय कराया और बजरंगबली माता सीता की खोज करने के लिए प्रभु श्री राम की मुद्रिका साथ लेकर समुद्र पार करने के लिए छलांग लगा देते हैं। समुद्र में देवताओं के आदेश पर सुरसा ने परीक्षा ली लेकिन बहुत चतुरता से हनुमान जी ने वह परीक्षा पास कर लंका पहुंचे । लंकिनी नामक राक्षसी लंका की रक्षा के लिए तत्पर थी हनुमान जी ने उसका वध किया और लंका में प्रवेश कर माता को खोजना प्रारंभ किया और विभीषण से मुलाकात हुई।
इन अद्भुत और पावन लीलाओं का सभी क्षेत्रवासियों ने आज आनंद लिया और अपने जीवन को धन्य बनाया।
इस अवसर पर संस्था के संस्थापक गोश्वामी सुशील जी महाराज, राजकुमार नागर,पंडित प्रदीप शर्मा, शेर सिंह भाटी, संरक्षक हरवीर मावी,नरेश गुप्ता,सुशील नागर, बालकिशन सफीपुर,सतीश भाटी, यशपाल भाटी,अध्यक्ष आनन्द भाटी,महासचिव ममता तिवारी,कोषाध्यक्ष अजय नागर, मिडिया प्रभारी धीरेंद्र भाटी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष महेश शर्मा बदौली, सुभाष भाटी, उमेश गौतम, पवन नागर, विजय अग्रवाल, रोशनी सिंह, चैनपाल प्रधान, मनोज गुप्ता, प्रवीण भाटी, सत्यवीर सिंह मुखिया, सुनील बंसल, जितेंद्र भाटी, फिरे प्रधान, पीपी शर्मा, रकम सिंह, योगेंद्र नागर, अतुल आनंद, जयदीप सिंह, वीरपाल मावी, दिनेश गुप्ता, विमलेश रावल, मयंक चंदेल, यशपाल नागर, गीता सागर, ज्योति सिंह आदि पदाधिकारीगण मौजूद रहे।