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गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में डॉ अंबेडकर के विचारों पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन

Vision Live/Greater Noida 
गौतम बुद्ध यूनिवर्सिटी में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी "डॉ. अम्बेडकर का आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान: प्रभाव और इसकी आज की प्रासंगिकता" का समापन सत्र अत्यधिक उत्साह और चर्चा के साथ सम्पन्न हुआ। इस संगोष्ठी का उद्देश्य डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा आधुनिक भारत के निर्माण में दिए गए अमूल्य योगदान की समीक्षा और इसके वर्तमान सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक संदर्भों में पुनर्मूल्यांकन था।

मुख्य अतिथि  आकाश पाटिल , डायरेक्टर डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर , मिनिस्ट्री ऑफ़ सोशल जस्टिस  ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. अम्बेडकर ने संविधान निर्माण में जो योगदान दिया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में रहेगा। बाबा साहब जी के योगदान को समझने के लिए भारत सरकार के द्वारा निर्मित डॉ अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर का भ्रमण हर के नागरिक को करना चाहिए जहां सीखने की कोई सीमा नहीं है  साथ  ही उन्होंने ने कहा कि  बच्चे आजकल कार्टून पत्रों में अपना सुपर हीरो देखने की जगह  जब की इस देश की स्वतंत्रता के लिए जिन्होंने अपना योगदान दिया उनकी वीरगाथा को से भी प्रेरणा लेनी चाहिए  । 
इस संगोष्ठी  में  विद्वानों और प्रमुख वक्ताओं, एक उत्साही डेमोक्रेट के रूप में अम्बेडकर-संवैधानिक लोकतंत्र, नागरिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के मुद्दे , भारत के आर्थिक विकास में डॉ. अम्बेडकर का योगदान- कृषि अर्थव्यवस्था, भूमि का राष्ट्रीयकरण, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों की अवधारणा, आरबीआई और श्रम कानून आदि मुद्दे ,सामाजिक परिवर्तन और परिवर्तन में डॉ. अम्बेडकर का योगदान और सामाजिक समावेशन का उनका विचार, जैसे विषयों पर अपने  विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि डॉ. अम्बेडकर के विचार आज भी सामाजिक समानता, मानवाधिकारों और संवैधानिक मूल्यों के संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनके दृष्टिकोण ने भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक न्याय प्रणाली को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ रवींद्र कुमार सिन्हा ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए डॉ पंकज डीप को इस संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए बधाई दी । मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान संकाय  की अधिठाता प्रो० बंदना पांडेय ने  बाबा साहब के योगदान को विकसित भारत की नींव बताते हुए कहा कि  उनके मूल्यों और योगदान पर चलकर   ही एक विकसित  भारत की परिकल्पना  की जा सकती है । संगोष्ठी के अयोजनकर्ता  डॉ पंकज डीप  ने भी इस सत्र की सफलता पर खुशी जाहिर की और धन्यवाद ज्ञापन करते हुए सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान की सराहना कि। समापन सत्र का सफल संचालन डॉ विभावरी और बिपाशा सोम के द्वारा किया गया ।