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पटेल लोक संस्थान में आयोजित गुर्जर संस्कृति ट्रस्ट के द्वारा वैवाहिक जीवन में अधिवक्ता विचार गोष्ठी

Vision Live/Greater Noida 
पटेल लोक  संस्थान में आयोजित गुर्जर संस्कृति ट्रस्ट के द्वारा वैवाहिक जीवन में अधिवक्ता विचार गोष्ठी का आयोजन, जिसमें लड़कियों के शादी में दहेज प्रथा को रोकने और दहेज हत्याओं जैसी घिनौनी हरकत हो रही है उसके विषय में समाज के लोगों में जागृति पैदा करने के लिए आयोजन हुआ। सबसे सुझाव मांगे गई और दहेज न दें इसके विषय में भी बातचीत हुई ,जिसमें क्षेत्र के सम्मानित लोग शामिल हुए। इस विचार गोष्ठी में डूंगरपुर  रिलका का गांव के राजेंद्र प्रधान, दादूपुर से सुल्तान नागर, नवादा से पूर्व प्रधानाचार्य नरपत सिंह, गुर्जर महासभा के अमरजीत चौधरी, अखिल भारतीय गुर्जर महासभा से पूर्व मंत्री हरचंद भाटी, राजकुमार भाटी, कमल सिंह आर्य,  विजेंद्र आर्य ,हरेंद्र भाटी आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखें । रागिनी गायक मास्टर ब्रह्मपाल नागर  ने भी एक रागनी सुनाई।  इस मौके पर अखिल भारतीय गुर्जर महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष सुखबीर सिंह आर्य ने अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सीडी ऊपर से साफ होती है । इस बिरादरी के लोग इस दहेज की बुराई को दूर कर सकते हैं, क्योंकि दहेज देना बुरी बात नहीं है जो बेटी पिता के घर 25 साल तक पाली है अगर उसको कुछ सामान या देते हैं तो बुराई भी नहीं है ,लेकिन शादी के बाद में जो लोग मांगते हैं वह दहेज की श्रेणी में आता है और लड़की को परेशान करते हैं, पैसा मांगते हैं, तरह-तरह की डिमांड रखते हैं तो यह बुराई बंद होनी चाहिए। श्री आर्य  ने बात रखी कि यहां पर कटनी और करनी में अंतर है क्योंकि यह शपथ ली कि हम दहेज न लेंगे ना देंगे और एक समाज के सामने आईना प्रस्तुत करें तो मध्यम श्रेणी का आदमी अपने आप दहेज लेना या देना बंद कर देगा । दूसरा जो दिखावा है गाड़ियों का उसे बंद करें, उसके बदले में लड़कियों के नाम फिक्स डिपाजिट करें या उसकी प्लॉट दें जिससे शादी के बाद में उसके पैसे में वृद्धि हो सके लेकिन ऐसा नहीं होता जब शादी होती है कोई पिता की नौकरी देखता है ,कोई घर को देखता है । लड़की के बराबर शिक्षा कोई नहीं देखता, लड़का क्या कर रहा है अगर दोनों पढ़े लिखे होंगे और घर में संस्कार होगा तो यह चीज नहीं आएगी इसके दोषी भी घर के सदस्य होते हैं जो दिखावे में समान ऊपर के कपड़ा तरह की डिमांड रखते हैं । यह चीज बंद होनी चाहिए क्योंकि यह प्रथा बहुत बढ़ रही है। जब बारात जाती है 50-50 समाधियो की मिलाई होती है, जो निरर्थक है। लड़की को लहंगा चुन्नी देते हैं इन पर रोक लगनी चाहिए और सबसे बड़ी बात है की जो बेवजह से डीजे वगैरा बजाए जाते हैं, वह बंद होने चाहिए । पिता शादी के टाइम में कहता है कि मुझे तो लड़के ने बताया नहीं और लड़के ने कर लिया तो जब संस्कार सही नहीं है । वही बच्चे इस तरह का काम करते हैं तो यह प्रथा बंद होनी चाहिए।  समाज में यह चीज बंद हो सकती है आज हम लोग पंचायत में जाते हैं सबसे ज्यादा अगर समाज में पंचायत है तो लड़कियों के छूटने की है । कुछ लड़कियां जिनमे संस्कार नहीं होते उनको सीखाकर नहीं भेजते वह अपने ससुराल में इस तरह का व्यवहार करती है कि घर के परेशान हो जाते हैं इसलिए दोनों तरफ से ही यह काम चलेगा नहीं तो जात बिरादरी से सीखना चाहिए जो बहुत आराम से एक ट्रैक्टर में बैठकर लड़की को ले आते हैं और वह सब शिक्षित होते हैं लेकिन इस दिखावे ने समाज को कलंकित कर दिया है । चाहे वह शादी में अपनी जमीन बेच या कर्ज करके ले आए दिखावे में ही किया जा रहा है। सब गाड़ियों को फाइनेंस किया जाता है फिर उनकी किस्त नहीं पटती वह भी एक लड़की छोड़ने का कारण होता है। इसलिए यह सब दिखावा बंद होना चाहिए और घर-घर यज्ञ हो। इसलिए मेरा समाज के लोगों से यही आग्रह है कि इसमें सब की आहुति जरूरी है और लड़कियों को शिक्षा दें और लड़कों को भी शिक्षा दें जिससे यह समाज सुधार कर खुशहाली की तरफ बढ़े।