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महात्मा हंसराज आदर्श विद्यालय बंबावड दादरी गौतम बुध नगर मैं आर्य वीर दल चरित्र निर्माण शिविर का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर भाजपा के विधायक श्री तेजपाल सिंह नागर ने ध्वजारोहण कर प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आर्य समाज एक ऐसी विचारधारा है जो शिक्षा के साथ-साथ संस्कार देने पर भी बल देती रही है। यही कारण है कि आजादी के आंदोलन के दौरान भी इस संस्था के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों ने देश धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य किया और अपने बलिदान दिए। उन्होंने कहा कि आर्य समाज ने भारत के स्वाधीनता आंदोलन में सबसे अधिक योगदान दिया। श्री नागर ने कहा कि स्वामी दयानंद जी महाराज की शिक्षा नीति के माध्यम से ही राष्ट्र मजबूत हो सकता है। इसी शिक्षा नीति के माध्यम से सभ्य नागरिक बनकर हम भारत को विश्व गुरु के गौरवपूर्ण पद पर आसीन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस समय देश के लिए काम करने की बहुत आवश्यकता है । क्योंकि विभिन्न प्रकार के संकट देश के सामने एक चुनौती के रूप में खड़े हैं जिसे आर्य समाज के युवा बहुत बेहतरीन ढंग से समझ सकते हैं।
आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश के संचालक पंकज कुमार आर्य ने इस अवसर पर कहा कि आर्य समाज ब्रह्मबल और क्षत्रबल दोनों पर ध्यान देकर चलने वाली संस्था है। राष्ट्र की रक्षा के लिए जहां क्षत्रिय वर्ग का मजबूत होना आवश्यक है, वहीं बुद्धि बल का भी स्थिर और सात्विक होना आवश्यक है। इन दोनों के मेल से ही राष्ट्र को सही दिशा दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि आज भारतवर्ष को ही नहीं बल्कि सारी दुनिया को आर्य समाज के इस चिंतन के साथ समन्वय स्थापित करके चलने की आवश्यकता है। आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के अध्यक्ष डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि देशभक्ति और संस्कृति प्रेम के लिए अवस्था कोई मायने नहीं रखती। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि शिवाजी महाराज ने छोटी सी अवस्था में ही माता के कहने से देश प्रेम के प्रति अपना पूर्ण समर्पण कर दिया था। इसी प्रकार महाराजा जसवंत सिंह के पुत्र पृथ्वी सिंह के भीतर इतनी बहादुरी आ गई थी कि उन्होंने औरंगजेब की सभा के बीच शेर को ही बीच से फाड़ दिया था। आज के युवा भी यदि समय का मूल्य समझ कर अपने आप को नियमित जीवन चर्या और दिनचर्या के साथ जोड़ लें तो वह भी अप्रत्याशित और अकल्पनीय कार्य कर सकते हैं । इसी भावना से प्रेरित होकर ऐसे शिविरों का आयोजन आर्य समाज की ओर से किया जाता है।
आर्य वीर दल जनपद गौतम बुद्ध नगर के संचालक आचार्य करण सिंह ने इस अवसर पर कहा कि आर्य वीरों के भीतर वीरता के संस्कार राष्ट्र की सुरक्षा के लिए भरे जाते हैं । उनसे अपेक्षा की जाती है कि वह देश ,समाज और संस्कृति के लिए अपना सर्वस्व समर्पित करने की भावना से ओतप्रोत होंगे। इसी क्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए आर्य वीर दल उत्तर प्रदेश के उपसंचालक आर्य वीरेश भाटी ने कहा कि मां भारती के प्रति पूर्ण समर्पण व्यक्त करना और वेदों की ओर लौटकर ऋषियों की पवित्र व्यवस्था को स्थापित करना आर्य समाज का मूल उद्देश्य है । इसी उद्देश्य को प्राप्त कर हम विश्व शांति स्थापित कर सकते हैं। इसके लिए इस प्रकार के शिविर विशेष महत्व रखते हैं।
कार्यक्रम के बारे में विशेष जानकारी देते हुए आर्य समाज के मूर्धन्य विद्वान और शास्त्रार्थ महारथी महेंद्र सिंह आर्य ने इस अवसर पर हमें बताया कि यह शिविर 23 जून तक चलेगा । इस दौरान अनेक विद्वानों के माध्यम से बच्चों को मार्गदर्शन दिया जाएगा । उन्होंने कहा कि शिविर का मुख्य उद्देश्य राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के प्रति बच्चों के भीतर विशेष भाव पैदा करना है। क्योंकि आज के परिवेश में दी जा रही शिक्षा बच्चों को शिक्षित तो कर रही है परंतु संस्कारित नहीं कर रही। जिला आर्य प्रतिनिधि सभा के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ समाज सेवी मुकेश नागर एडवोकेट ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चे राष्ट्र की अनमोल निधि होते हैं। वह गमले में रखे जाने वाले पौधे के समान होते हैं। जैसा परिवेश उन्हें दिया जाता है वे वैसा ही बन जाते हैं । यही कारण है कि आर्य समाज प्रारंभ से ही बच्चों के निर्माण से राष्ट्र निर्माण की योजना पर काम करता आया है । आज भी हम इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर आर्य समाज के विद्वान युवा नेता आर्य सागर खारी , देव मुनि जी, प्रेमचंद आर्य सहित कई विद्वानों ने भी अपने विचार व्यक्त किये और इस बात पर बल दिया कि वैदिक संस्कृति की पवित्रता को बलवती किया जाए। कार्यक्रम में आर्य वीर दल के मंत्री रविंद्र आर्य, आर्य दिवाकर नागर, चरण सिंह आर्य, सत्यवीर आर्य, लीलू सिंह आर्य , सत्यपाल आर्य आदि की विशेष उपस्थिति रही।