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सत्ता संग्राम:-- बैसाखी की सरकार चलेगी या बीच मझधार में रुकेगी


मुस्लिम समाज देश विरोधी है या देशभक्त है या फिर मुसलमानों का नाम लिए बगैर कुछ  का खाना हजम नहीं होता 

चौधरी शौकत अली चेची
400 पार की निकली हवा, बीजेपी का वोट शेयर लगभग 35%, बाकी 65% विरोधी कौन हैं। जोड़-तोड़ का संघर्ष जारी विचारों में भिन्नता, सहमति पर कितना और किस उद्देश्य से होगा  भरोसा। बैसाखी की सरकार चलेगी या बीच मझधार में रुकेगी ,अंदाजा लगाना मुश्किल है ।
 देश में लगभग 5000 जातियां निवास करती हैं।  संविधान में एससी -एसटी ,ओबीसी ,माइनॉरिटी, आदिवासी अन्य में बताकर सबको सम्मान अधिकार दिया है। संविधान में हिंदू मुसलमान का अर्थ नहीं है। मुगल शासन से लेकर अंग्रेजी शासन तक एवं देश आजादी के बाद हमेशा मुस्लिम समाज ही राजनीतिक पार्टियों के निशाने पर रहा है।
 पिछले 10 सालों में तो हद हो गई मुस्लिम समाज किसी को वोट दे या ना दे या अपने अधिकार की आवाज़ उठाएं या किसी का समर्थन करें या कोई लड़ाई झगड़ा उन्माद पैदा हो  जाए या कोई अपराध हो मुसलमानों को ज्यादातर निशाने पर  विरोधियों ने रखा, जिसमें सहयोग के लिए मीडिया  ने अहम रोल अदा किया है।
 समझना बड़ा मुश्किल है मुस्लिम समाज देश विरोधी है या देशभक्त है या फिर मुसलमानों का नाम लिए बगैर कुछ  का खाना हजम नहीं होता या उनको लाभ  मिलता है ,जबकि अपराधी हर जाति और धर्म में पाए जाते हैं।
 जाति और धर्म दोनों ही मुख्य बिंदु हैं किसी की लोकप्रियता को बढ़ाते हैं किसी को बदनाम करते हैं। मुस्लिम को किस कैटेगरी में खड़ा किया जाए इसका आकलन किस तरह किया जाए, बुद्धिजीवियों को विचार करना चाहिए।
  भारत की पावन धरती पर क्या सभी की तरह मुसलमानों का अधिकार नहीं है या फिर कारण कुछ और है जीएसटी, टैक्स वेट, वोट आदि से देश की तरक्की में मुस्लिम का भी अहम रोल है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। मुसलमानों के लीडर देश में हैं, लेकिन नहीं दिखाई देते। मुस्लिम देश की तरक्की में अहम किरदार  निभाते हैं, लेकिन नहीं दिखाई देते।
 लेकिन गैर मुस्लिम देशवासी काफी तादात में मुसलमानों की सपोर्ट में एवं मुस्लिम देशभक्त है  की चर्चा में मजबूती से खड़े  हैं, लेकिन कुछ  मुसलमानों का विरोध करने वाले उन सपोर्टेड गैर मुसलमानों को अपराधी एवं देश विरोधी मानते हैं यह मानसिकता कहां  से उत्पन्न होती है ? इसका भी अंदाजा लगाना आसान भी है और मुश्किल भी है क्योंकि सभी भारतवासियों को अनेक तरह की फुलवारी जैसी बगिया की महकती हुई अनेक तरह की खुशबू की तरह बताया गया है। गंभीर विषय यह भी है जो लोग जाति और धर्म के नाम से एक दूसरे से नफरत करते हैं, उन्हें गहराई से मंथन करना चाहिए। कोई भी कुआं खोद पानी नहीं पीता, एक दूसरे के सहयोग के बिना कोई नहीं जीता, जिसके हजारों उदाहरण देश में ही नहीं दुनिया में भी मौजूद हैं।
 विषय आसान है जब हम एक हवा में सांस लेते हैं ,एक जैसा पानी पीते हैं तो फिर नफरत की नीति क्यों अपनाते हैं। स्वार्थी होना चाहिए लेकिन नफरत का स्वार्थ क्यों लोग अपनाते हैं । देश के हर गली मोहल्ले में गैर मुस्लिम नेता दिखाई देते हैं ,लेकिन मुस्लिम नेता खोजने से भी नहीं मिलते, इसके कारण भी तलाशने की जरूरत है।
 हम किसे कहते हैं कौन बताएगा जब आफत किसी मुसलमान पर पड़ती है ,तो मानवतावादी गैर मुस्लिम भी सहायता करने आता ही है । देश की आजादी के लिए कुर्बानी तो सभी समुदाय के पूर्वजों ने दी थी, फिर देश में जहरीली दोगली नीति क्यों चलाई जा रही है । बगैर भेदभाव के मुस्लिम पूर्वजों ने देश की आजादी के लिए अपनी जान माल की कुर्बानियां दी एवं देश आजादी के बाद राजनीतिक सत्ता में बड़े-बड़े पदों पर मुस्लिम नेता विराजमान रहे, जिन्होंने देश और जनता के लिए काबिले तारीफ कार्य किए। दोनों ही परिस्थितियों में इतिहास में नाम अपना दर्ज करा गए लेकिन उनकी कुर्बानियां एवं उपलब्धियां  की चर्चाएं कौन करेगा?
 2024 चुनाव से पहले भी मुस्लिम सांसद चुने गए  थे ,2024 चुनाव में लगभग 26 सांसद चुने गए हैं, इनकी भी चर्चाएं शायद नहीं सुनाई देगी , लेकिन बदनामगी के लिए हर नुक्कड़ पर मुस्लिम का नाम सुनाई देता है। दिलचस्प यह भी है गैर मुस्लिमो की मुस्लिमो में रिश्तेदारियां हैं ,लेकिन वह गैर मुस्लिम मुसलमान को क्यों तिरछी नजर की दृष्टि से नफरत करते है। यह सब अनेकों पन्नों में दर्ज हैं विचार तो सभी देशवासियों को करना पड़ेगा कि मुसलमानों को ही निशाने पर रखकर तीर कब तक छोड़े जाते रहेंगे, लेकिन मानवतावादी ,बुद्धिजीवियों को मजबूत संदेश देना होगा कि सबके साथ न्याय संगत व्यवहार करने से पुण्य मिलता है।
 खैर मैंने अपने शब्दों में लिख दिया जो समझे उसका भी भला, जो ना समझे उसका भी भला, मुझे किसी से नहीं कोई गिला, एक दूसरे के सहयोग से होता है सबका भला, किस-किस का चमन उजड़ा और किस-किस का सिक्का चला, प्रकृति का नियम है चलता रहेगा सिलसिला,, 

लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,भाकियू (अंबावता) एवं प्रदेश सचिव ,पिछड़ा वर्ग  ,उoप्रo (सपा) है।