BRAKING NEWS

6/recent/ticker-posts


 

ईद उल फितर त्यौहार के मौके पर अल्लाह पाक रहमत और बरकत, बेशुमार बरसाता है

चौधरी शौकत अली चेची
ईद उल फितर त्यौहार मनाने का मुख्य उद्देश्य जानकारों के अलग-अलग मत हैं। लाखों त्योहार विश्व में अलग अलग ढंग से मनाए जाते हैं त्योहारों का मुख्य उद्देश्य (बलिदान "त्याग "अमन"-चैन" तरक्की "भाईचारे" का प्रतीक माने जाते हैं।
 हिजरी कलेंडर के हिसाब से मोहर्रम का महीना 1 तारीख से नई साल मानी जाती है। =चांद की तारीख के हिसाब से 1 साल के 356 दिन होते हैं। 10वां महीना ( शव्वाल  ) 1 तारीख को( ईद उल फितर) का त्योहार माहे रमजान मे 29 या 30 रोजे चांद दिखने के बाद मनाया जाता है । इस बार अप्रैल 2024 में 11 तारीख  को ईद उल फितर त्यौहार देश में मनाया जाएगा। 
 इस्लाम धर्म के पांच अरकान (स्तंभ )मुख्य माने गए हैं (कलमा, नमाज, रोजा, जकात, हज,)
 कलमा का अर्थ= नहीं है कोई माबूद पूजने योग्य सिवा अल्लाह के =नमाज का अर्थ= 9 साल के बाद हर मुस्लिम पर पांचों वक्त की नमाज पढ़ना फर्ज है सच्चाई के रास्ते पर चलने की दुआ मांगना गुनाहों से तौबा करना रोजा  रखना फर्ज है फितरा देना फर्ज है फितरा नहीं देने वाले को ईद मनाने का हक नहीं।
 फितरा का अर्थ= रोजा रखने में जो गलतियां हुई, गरीबों के लिए हर सदस्य पोने दो किलो अनाज या रेट लगाकर धनराशि दान देना अल्लाह का हुकुम माना गया है।= जकात का अर्थ =1 साल के लाभ का 40 वा हिस्सा गरीबों को दान करना , यह साल में कभी भी दिया जा सकता है जो अल्लाह पाक का हुक्म माना गया है।= हज का अर्थ =सऊदी अरब में मक्का मदीना  विश्व का सबसे बड़ा पवित्र इस्लाम धर्म का स्थान 41 दिन के लिए अल्लाह पाक को याद कर गुनाहों से तौबा कर अमन चैन तरक्की भाईचारे की दुआ की जाती है। 
 लेकिन हज पर जाने से पहले सभी जिम्मेदारियों से फारिग हो,बगैर कर्ज के हज करना जायज माना गया है। आखरी पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब 571 ईसवी मे धरती पर आए उन्होंने इस्लाम धर्म की जागरूकता दुनिया में फैलाई।
 ईद उल फितर त्यौहार के मौके पर अल्लाह पाक रहमत और बरकत, बेशुमार बरसाता है , गुनाहों को माफ करता है। इस्लाम धर्म के मानने वालों में अपार खुशी होती है। रोजे रखकर पूरी दुनिया के लिए रोजेदार दुआ मांगते हैं, रात के वक्त तराबियां पढ़ते हैं।  ईदगाह व मस्जिदों में एकत्रित होकर नमाज पढ़ते हैं द्वेष भावनाओं को भूलकर एक दूसरे को गले लगा कर मिष्ठान खिलाते  और खाते हैं। जरुरतमंद को दान देते व एक दूसरे की संभव मदद करते हैं = इसीलिए माहे रमजान को पाक महीना कहते हैं।
 देश में चुनावी प्रचार जोरों पर है नवरात्रि व्रत भी चल रहे हैं मुस्लिम भाइयों से गुजारिश है की ईद उल फितर की नमाज अदा करते वक्त सड़कों एवं रास्तों पर जाम लगाकर नमाज अदा न करें तथा सभी देशवासियों से अपील है  एक दूसरे की छोटी-मोटी गलतियों को  इग्नोर कर मानवता का संदेश देने में अपना अहम रोल अदा करें । पुलिस प्रशासन का  मुख्य सहयोग होता है, शांति व्यवस्था बनाए रखने में सभी जाति धर्म के त्यौहार ,एकता, भाईचारा, अमन चैन तरक्की मानवता का संदेश देते हैं।
 लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भाकियू (अंबावता) है।