Vision Live/Greater Noida
ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क स्थित लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का सफल आयोजन किया गया। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन 16 सितंबर को हुआ जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व आईआरएस अधिकारी, शिक्षाविद व राजनीतिक डॉक्टर आशीरवोतम आचार्य के द्वारा तकनीक के माध्यम से हो रहे सामाजिक परिवर्तन के बारे में बताया गया। इस दौरान डॉक्टर आचार्य ने बताया कि आज तकनीक के सहायता से ही समाज की उन्नति तेजी से हो सकती है।
लाइट के निदेशक प्रोफेसर राजीव अग्रवाल ने कांफ्रेंस के बारे में विस्तार से जानकारी साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कुल 112 पेपर विभिन्न विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों के द्वारा प्राप्त हुए थे, जिसमें 55 शोध पत्र स्वीकार किए गए हैं ,जिसका प्रस्तुतीकरण छात्रों और शिक्षकों के द्वारा किया गया है. प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि इस कांफ्रेंस का उद्देश्य है कि नवाचार और रचनात्मक कार्यों को प्रोत्साहित किया जाए, इस कांफ्रेंस से जुड़े विद्यार्थियों और शिक्षकों को विभिन्न विषयों में किए जा रहे नवीन कार्यों के बारे में जानकारी प्राप्त हुआ है।
वही कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर पॉला, प्रोफेसर इलोना, प्रोफेसर एकहीको, प्रोफेसर रामकुमार, प्रोफेसर सतीश कुमार सिंह प्रोफेसर एसएन सिंह मौजूद रहे. पोलैंड से आई प्रोफेसर पॉला ने सामाजिक उधमाशीलता के विषय में जानकारी साझा किया, जिसमें उन्होंने आंकड़ों के साथ सामाजिक उधमाशीलता के महत्व के बारे में बताया आज दुनिया सर्वांगीण विकास की ओर अग्रसर है, जिसमें सामाजिक उधमाशीलता के साथ ही प्राकृतिक संरक्षण करते हुए विकास की सतत प्रक्रिया को बनाए रखना संभव है।
प्रोफेसर इलोना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वर्तमान चुनौतियां शिक्षा के क्षेत्र में क्या है इसके बारे में आंकड़ों के साथ जानकारी दिया, जिसमें उन्होंने बताया कि हमारी संवेदनशीलता सोचने ,विचारने की क्षमता मशीन से अलग है ,यदि हम अपनी चिंतन की प्रक्रिया को निरंतर विकसित करते रहे तो हमें तकनीक से कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि तकनीक हमारे लिए सहायक सिद्ध होगा।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंपनी सेक्रेटेरिएट के निदेशक सूर्यनारायण मिश्रा ने अपने संबोधन में यूपीआई के माध्यम से किए जा रहे ट्रांजैक्शन के चुनौतियां क्या है इसके बारे में बताया।
कॉन्फ्रेंस के आयोजक प्रोफेसर अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि 16 और 17 सितंबर को आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में लगभग 500 की संख्या में शोधार्थी, विद्यार्थी, शिक्षक और विभिन्न उद्योग से जुड़े लोग शामिल हुए, कुल पांच ट्रैक बनाए गए थे, जिसमें विभिन्न कॉलेज और विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स को सेशन चेयर बनाया गया था जिनके समक्ष सभी सुकृत शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।