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देश के भविष्य को संवारने के लिये युवाओं को मिलें पर्याप्त मौकेः सुनील गलगोटिया।

Vision Live/Yeida City 
गलगोटियाज विश्वविद्यालय के परिसर में भारत सरकार के निर्देशानुसार  “अमृत काल विमर्श/ विकास सैमीनार का आयोजन किया गया। इस सेमीनार में टाटा 1 MG के संस्थापक और सीईओ माननीय प्रशांत नंदन मुख्य अतिथि के रूप में पहुँचे। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि जब भारत आजादी के 100 साल पूरे करे, तो उस वक्त उसके पास ठोस बुनियादी ढांचा हो। इसके लिए सरकार अभी से नीतियां बनाने पर फोकस कर रही है। उन्होंने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारी ये वर्तमान पीढ़ी अमृतकाल की बेला से गुजर रही है। उन्होंने बताया कि ग्लोबल माक्रो ईकोनॉमिक स्केल वर्तमान में भारत के पक्ष  में है। उन्होंने दावा किया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्बैलेंसिंग ने भारतीय बाज़ार में कई अवसरों को दरवाज़ा खोला है। एक विद्यार्थी के प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा कि मानव जीवन के एक सीखने का अनुभव मानकर कभी भी विफलताओं से घबराना नहीं चाहिए। विफलताओं से सीखने के गहरे अध्ययन और विचारशीलता की आवश्यकता है।  
गलगोटियास विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफ़ेसर डा० के० मल्लिकार्जुन बाबू ने बताया कि इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के पीछे भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य है कि भारत अगले 25 वर्षों में एक विकसित राष्ट्र बनकर उभरे। गलगोटियाज विश्वविद्यालय के चॉसलर सुनील गलगोटिया ने कहा कि भारत सरकार का सपना है कि आगे आने वाले समय में आर्थिक एजेंडे के तहत हर नागरिक ख़ासकर युवा वर्ग को पर्याप्त मौके उपलब्ध कराए जाएंगे। विकास और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और वृहद आर्थिक स्थिरता (macro-economic stability) को मजबूत किया जाएगा। इन एजेंडों को पूरा करने के लिए महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को प्रोत्साहन, पर्यटन की अपार संभावनाओं का उपयोग और हरित विकास को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. हरित विकास में ईंधन, ऊर्जा, खेती, मोबिलिटी, भवन और उपस्कर (equipment) को शामिल किया गया है। 

गलगोटियास विश्वविद्यालय के सीईओ डा० ध्रुव गलगोटिया ने अपनी अभिव्यक्ति में कहा कि भारत अगले 25 साल में विकसित राष्ट्र बन जाएगा। उनका कहना है कि भारत का लक्ष्य अपनी विकास यात्रा में इस अमृत काल की बेला में कृषि विकास के साथ-साथ देश को आगे बढ़ाने में पर्यावरण को भी साथ लेकर चलने का है। 
इन प्राथमिकताओं से जाहिर है कि विकसित भारत में हर किसी की उन्नति का ख्याल रखा जाएगा, जिसमें किसान, महिला, युवा, पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांगजन और आर्थिक तौर से कमजोर लोग शामिल हैं. इसके साथ ही हर क्षेत्र के विकास पर भी फोकस रहेगा. समावेशी विकास के तहत कृषि, सहकारिता, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल पर ख़ास ध्यान दिया जाएगा. इन प्राथमिकताओं से साफ है कि सरकार चाहती है कि अगले 25 साल में भारत के विकास मॉडल में कोई भी क्षेत्र पीछे नहीं रह जाएं. चाहे वो अर्थव्यवस्था से जुड़ा कोई सेक्टर हो या फिर सामाजिक-सांस्कृतिक तौर से मायने रखने वाला कोई पहलू हो।  सरकार का मानना है कि भारत को 2047 तक दुनिया का सुपरपावर बनाने में युवा शक्ति का ही सबसे महत्वपूर्ण योगदान होगा. इसके लिए आने वाले समय में भी बड़े पैमाने पर रोजगान सृजन करने में मददगार और बिजनेस के मौके बनाने वाली आर्थिक नीतियां अपनाई जाएंगी।