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वयोवृ़द्व लेफ्टिनेंट जनरल डीवी कालरा, पीवीएसएम, एवीएसएम ने 88 वर्ष की आयु में एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के पीएचडी अनुसंधान कार्यक्रम में किया नामांकन।
अपनी आयु के 39 गौरव स्वर्णिम युग के कार्यकाल को देश व सेना को समर्पित कर सेवानिवृत्त हुए 88 वर्ष के वयोवृ़द्व लेफ्टिनेंट जनरल डीवी कालरा, पीवीएसएम, एवीएसएम ने अध्ययन के दिनों में वापस जाते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के पीएचडी अनुसंधान कार्यक्रम के लिए नामांकन किया है।
जनरल ऑफिसर अपने सैन्य करियर में सर्वोच्च उपलब्धि हासिल करने वाले व्यक्ति रहे है और नेतृत्व के तारकीय गुणों के प्रतीक है जिन्होनें दुर्लभ समर्पण के साथ अपने नवोन्मेषी संचालित व्यवसायिक कार्यो में संगठनात्मक कौशल को प्रकट किया है और पथप्रदर्शक विचारधाराओं के साथ योगदान दिया और उन्मुख संगठनात्मक हित के लिए निंरतरता प्रदान की है। अपनी पूरी सैन्य सेवा के दौरान उनमें दर्शनशास्त्र में डाक्टरेट करने की प्रबल इच्छा थी लेकिन एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज के बारे मे सुनने के उपरांत उन्होनें 88 वर्ष की आयु में इसके लिए पंजीकरण कराने का प्रबुद्ध निर्णय लिया और जाहिरा तौर में एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक स्टडीज और एमिटी सेंटर फॉर डिफेंस एंड स्ट्रेटेजिक एनालिसिस के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (डा) एस के गिडिऑक के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षी क्षमता के तहत रक्षा अध्ययन में डॉक्टरेट कार्यक्रम प्रारंभ करने वाले सबसे उम्रदराज अनुभवी बन गये है।
एक 80 वर्षीय व्यक्ति के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल डीवी कालरा ने ‘‘संर्घष क्षेत्रों में महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृखंला: यूक्रेेन रूस युद्ध का एक केस स्टडी’’ पर शोध कार्य करने के लिए आंतरिक बौद्धिक क्षमताओं के अलावा अपने समकालीन मस्तिष्कीय विश्लेषण परिपेक्ष्य के साथ उत्साह प्रदर्शित करना जारी रखा है। भारत के प्रसिद्ध शिक्षाविद् और एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान के प्रति अपना गहरा आभार व्यक्त करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल डीवी कालरा ने कहा कि मै एमिटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से पीएचडी रिसर्च प्रोग्राम करने को लेकर बेहद प्रसन्नचित और सम्मानित महसूस कर रहा हूं। इस उम्र में भी मेरे अंदर और अधिक अध्ययन करने की ललक कम नही हुई है और मुझे यह अदभुत अवसर देने और मेरे प्रयासों को समर्थन देने के लिए एमिटी विश्वविद्यालय का आभारी हूं विदित हो कि 31 मार्च 93 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डीवी कालरा, पीवीएसएम, एवीएसएम जनरल ऑफिसर ने उनतालीस वर्षों की अपनी लंबी और मेधावी सेवा के दौरान, सेना में मेजर जनरल ऑपरेशनल लॉजिस्टिक्स कमांड, कमांडेंट और प्रिंसिपल, कॉलेज ऑफ मैटेरियल्स मैनेजमेंट, के साथ आगे बढ़ते हुए महानिदेशक आयुध सेवा पद पर रहे। उनके पास रक्षा अध्ययन में एम.एससी. डिग्री है और मद्रास विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र (एमफिल) में मास्टर डिग्री, एमए राजनीति विज्ञान ) रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (सामग्री) में मास्टर डिग्री, एमएससी (मुनिशन टेक्नोलॉजी) के साथ यूके से तकनीकी योग्यता भी हासिल है। डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज से स्नातक, जनरल ऑफिसर ने सभी स्तरों पर उत्कृष्ट ग्रेड के साथ लॉन्ग डिफेंस मैनेजमेंट कोर्स और नेशनल डिफेंस कॉलेज कोर्स में भी भाग लिया है। वह लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन मैनेजमेंट में विशेषज्ञ हैं। वह रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के प्रबंधन संकाय के डीन, भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सलाहकार, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक और राष्ट्रीय लेखा परीक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी थे।
जनरल ऑफिसर ने कांगो में एक आयुध इकाई की कमान संभाली, नाइजीरिया में प्रतिनियुक्त 30 चयनित आयुध अधिकारियों की एक टीम का नेतृत्व भी किया है। उन्होंने सेवा के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद 25 से अधिक देशों को कवर करते हुए दुनिया भर के सभी महाद्वीपों की व्यापक यात्रा की है। वह इंडियन मैनेजमेंट एसोसिएशन के फेलो, चार्टर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड ट्रांसपोर्ट (यूके) के पूर्व फेलो और भारतीय सामग्री प्रबंधन संस्थान के अध्ययन बोर्ड के प्रतिष्ठित सदस्य हैं। सेवानिवृत्ति के बाद वह कई संस्थानो में आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन में विजिटिंग फैकल्टी बन गए।
लेफ्टिनेंट जनरल कालरा के पास कुछ प्रकाशन हैं, उन्होंने कई पेशेवर पत्र लिखे हैं और उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किया है,। दो अमेरिकी लेखकों के साथ सह-लिखित उनकी पुस्तक आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन रणनीति, योजना और संचालन एक मानक है जो भारतीय और दक्षिण एशियाई प्रबंधन संस्थानों में पठित है। जनरल ऑफिसर को क्रमशः 1988 और 1992 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा परम विशिष्ट सेवा पदक और अति विशिष्ट सेवा से सम्मानित किया गया था।