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बाबा साहब अम्बेडकर दलित आध्यात्मिकता और समानता के थे, अग्रदूत: आर. के. सिन्हा


गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए
विजन लाइव/ गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय 
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर के जन्म दिवस पर उन्हें विश्वविद्यालय परिवार की ओर से श्रधांजलि अर्पित करने हेतु एक कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय में स्थित बाबा साहब दीक्षा स्थल, जहां बाबा साहब और उन्हें दीक्षा देते हुए भिक्षु चन्द्रमणि और उनके तीन शिष्यों की अष्ट धातु से बनी आदम क़द की प्रतिमा है, पर आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान कुलपति प्रो आर. के. सिन्हा, कुल सचिव डॉ विश्वास त्रिपाठी, के अलावा बड़ी संख्या में विशवव्विदयलय के पदाधिकारी, शिक्षकगण एवं कर्मचारीयों ने पुष्पित अर्पित कर श्रधांजलि दी। कार्यक्रम में बाबासाहेब अंबेडकर उपलब्धियों पर चर्चा की गयी और उस क्रम जो मुख्य बातें चर्चा रही वो थे कि बाबा साहब की प्रतिष्ठा एक महान विद्वान और कानूनविद की थी। और यही कारण था कि आजादी के बाद उन्हें देश का पहला कानून मंत्री बनाया गया। उन्हें भारतीय संविधान निर्माण की सबसे अहम जिम्मेदारी देते हुए संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष भी बनाया गया। संविधान निर्माण के लिए उन्होंने कई देशों के संविधान का अध्ययन किया। उन्हें संविधान का जनक व संविधान निर्माता भी कहा जाता है। इसके अलावा वह एक महान अर्थशास्त्री थे। आरबीआई की परिकल्पना उनके विचारों पर ही आधारित थी। अंत में कुलपति जीबीयू ने कहा कि अम्बेडकर उच्चतम ज्ञान और दलित आध्यात्मिकता और समानता के अग्रदूत थे। साथ ही यह भी कहा कि बाबा साहब अंबेडकर सिर्फ दलित वर्ग के लिए नहीं बल्कि महिलाओं व श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी लड़े थे। वह चाहते थे कि महिलाओं को समाज में बराबरी का हक मिले। वे कहते थे कि मैं किसी समाज की प्रगति का आकलन यह देखकर करूंगा कि वहां की महिलाओं की स्थिति कैसी है। कार्यक्रम में प्रो एन. पी. मलकनिया, प्रो  बंदना पांडेय, प्रो संजय शर्मा, डॉ कीर्ति पाल, डॉ मनमोहन सिंह, डॉ विवेक मिश्रा, डॉ प्रदीप तोमर, डॉ ओम् प्रकाश, डॉ चंद्रशेखर पासवान, डॉ जेपी मुयाल, डॉ शुभोजीत बैनर्जी इत्यादि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।