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गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मे "बायोमेडिकल डिवाइसेस एंड असिस्टिव टेक्नोलॉजी" पर संपन्न

विजन लाइव/ गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय
गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय मे  "बायोमेडिकल डिवाइसेस एंड असिस्टिव टेक्नोलॉजी" पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. नीलेश कुमार, सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट, बायोमेडिकल एप्लीकेशन, सीएसआईआर-सीएसआईओ, चंडीगढ़, ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बायोमेडिकल एप्लीकेशन ग्रुप चिकित्सा प्रौद्योगिकियों के विकास में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। यह सीएसआईओ में अनुसंधान एवं विकास के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है और फोकस क्षेत्रों में डायग्नोस्टिक्स और चिकित्सीय उपकरण, बुजुर्गों और अलग-अलग लोगों के लिए पुनर्वास और सहायक प्रौद्योगिकियां, इमेजिंग आधारित चिकित्सा उपकरण और उन्नत विनिर्माण आधारित आर्थोपेडिक और डेंटल इम्प्लांट्स हैं। उन्होंने मानव कल्याण के लिए निदान और सहायक प्रौद्योगिकी के लिए बायोमेडिकल उपकरणों में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी। विकसित की गई कुछ तकनीकों में सर्जिकल उपकरणों के लिए प्लास्मोनिक फोटोथर्मल आधारित नसबंदी उपकरण शामिल हैं, जो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी हैं; रीढ़ की हड्डी की चोट के रोगियों (आरओबीओजी) के पुनर्वास के लिए रोबोटिक गैट ट्रेनर सिस्टम; मोटर विकारों के पुनर्वास के लिए बायो-मेक्ट्रोनिक ऑर्थोटिक डिवाइस (बायो एमओडी); मोटर विकलांगता वाले व्यक्तियों के गृह आधारित पुनर्वास में वर्चुअल इंटेलिजेंस; मस्कुलोस्केलेटल विकारों (एमएसडी) के निदान के लिए थर्मल इमेजिंग आधारित गैर-इनवेसिव तकनीक; थर्मोग्राफिक डायग्नोस्टिक मेथड (थर्मो-रिहैब-रोब) का उपयोग करके ऊपरी अंग रोबोटिक पुनर्वास की प्रभावशीलता के आकलन और सुधार के लिए आईसीटी आधारित उपकरण; गैर इनवेसिव हीमोग्लोबिन निगरानी; ऑक्सीजन संरक्षक उपकरण; डिफ्यूज़ रिफ्लेक्शन स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके डायबिटिक फुट अल्सरेशन डिटेक्शन के लिए रक्त ऑक्सीजनेशन की निगरानी के बारे मे जानकारी दी। कुलपति प्रो. आर.के. सिन्हा, डीन स्कूल ऑफ आईसीटी, प्रोफेसर संजय कुमार शर्मा, डीन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग डॉ. कीर्ति पाल, एवम स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग और स्कूल ऑफ आईसीटी के संकाय सदस्य और छात्र व्याख्यान के दौरान उपस्थित थे। कुलपति प्रो रवींद्र कुमार सिन्हा ने अपने समापन भाषण में स्वास्थ्य देखभाल के लिए सहायक प्रौद्योगिकी के लिए उन्नत जैव चिकित्सा उपकरणों और स्वदेशी तकनीक के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। प्रो सिन्हा ने यह भी कहा कि युवा पीढ़ी के नेतृत्व में कई स्टार्ट-अप सहायक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। कार्यक्रम का अयोजन डॉ शक्ति साही एवम डॉ विनय लिटोरिया ने किया।