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---------------------अरे देशवासियों संविधान बचा लो

 
चौधरी शौकत अली चेची
संविधान के 74 वें संविधान संशोधन में,1992 में एससी, एसटी ओबीसी और महिलाओं को नगर निकायों में आरक्षण मिला था और  एक जून 1993 से लागू हुआ।ओबीसी को नगर निकायों में आरक्षण देने के लिए डेडीकेटेड आयोग गठित किया जाएगा जो ओबीसी आरक्षण मामले में जांच करेगा और उनके पिछड़ेपन का अध्ययन कर उसकी संस्तुति रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी को आरक्षण दिया जाएगा ओबीसी को नगर निकायों में दिया जाने वाला आरक्षण उस नगर निकाय में उनकी जनसंख्या के अनुपात से अधिक नहीं होगा ओबीसी एससी एसटी का आरक्षण किसी भी दशा में 50% से अधिक नहीं होगा। इससे मजेदार बात यह भी है देश के अंदर लगभग 60% ओबीसी जनसंख्या है। माननीय नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री हैं जो अपने आप को ओबीसी कहते हैं अब डेडीकेटेड आयोग कैसे चेक करेंगा तथा पिछड़ेपन के मूल्यांकन का कोई फार्मूला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बताया देश की ओबीसी जनता वोट देकर सरकार बनाती है या गिराती है तो आने वाला समय किसके लिए भारी होगा यह तो गर्भ में छुपा है। लेकिन योगी सरकार ने ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाई जबकि अब से पहले की सरकारों ने ऐसा नहीं किया  जबकि बहुत सारी राजनीतिक पार्टियां और बुद्धिजीवी लोग जातिगत आधार पर आरक्षण की मांग उठा रहे हैं समझना यह भी जरूरी है चुनाव के दौरान पिछड़ी जाति का प्रधानमंत्री बताया जाता है जो उत्तर प्रदेश से सांसद के रूप में संसद में प्रतिनिधित्व कर रहे है जिन्होंने प्रधानमंत्री बनते समय संविधान को प्रोटेक्ट करने की शपथ ली है लेकिन अभी तक प्रधानमंत्री जी का कोई बयान तक नहीं आया है। हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण देने के लिए संसद और विधानसभा को सुपरसीड कर डेडीकेटेड आयोग को संसद और विधानसभाओं से अधिक शक्ति प्रदान कर दी है, जिससे यूपी सरकार ने आनन-फानन में गठित कर दिया। हाईकोर्ट ने संसद और विधानसभाओं द्वारा बनाए तथा महामहिम राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित हाईएस्ट कानून में एडमिशन डीलीशन और मोडिफिकेशन की शक्ति प्रदान कर दी लेकिन जनता ने कानून बनाने के लिए सांसद और विधायक को देश की सबसे बड़ी पंचायत में भेजे हैं । बीजेपी में जनता द्वारा चुने गए ओबीसी के सांसद विधायक मौन क्यों हैं?  क्या लोकतंत्र को समाप्त कर अंग्रेजी शासन लगाने की प्रक्रिया चल रही है या ओबीसी एससी एसटी के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है । उच्च पदों पर कितने प्रतिशत ओबीसी एससी एसटी के लोग विराजमान हैं। अंध भक्तों तथा गोदी मीडिया पर भाषण देने वालों को समझना चाहिए आगे आने वाला समय किसके लिए कितना खतरनाक होगा?  गुलामी की तरफ कौन जा रहा है लगभग 60% सरकारी संस्थाएं बेची जा चुकी हैं। क्या ओबीसी आरक्षण को भी बेचा जा रहा है और अगला नंबर एसटी व एससी व महिलाएं का हो सकता है? 73वें संविधान संशोधन से पंचायत आरक्षण मिला है। अब उस पर भी विरोधियों की निगाहें हैं। ओबीसी के सांसद और विधायकों से जनता को जरूर बात करनी चाहिए। वोट देकर  सबसे बड़ी पंचायत में आपको क्या मलाई खाने के लिए या संविधान द्वारा जनता के अधिकार के लिए भेजा है?

 चौबीसों घंटे टीवी पर हिंदू मुसलमान, हिंदुस्तान-पाकिस्तान, मंदिर और मस्जिद तथा जहरीले बयानों की आवाज देश के कोने-कोने में गूंज रही है। अंधभक्त बुद्धिहीन लोग अपनी बर्बादी का तमाशा देख कर तालियां बजाते हुए नाच रहे हैं। नोटबंदी, जीएसटी  और लॉकडाउन इन तीनों के जीते जागते उदाहरण पूरी दुनिया न  देखें। लेकिन सत्ता में बैठे लोग सच्चाई की आवाज उठाने वाले व जायज हक की मांग करने वालों को देशद्रोही व अपराधी बताकर व मानकर चल रहे हैं। अपने आप को ओबीसी कहने वालों को आंखें खोल लेनी चाहिए। पिछले 8 सालों में अपने लिए तथा अपने बच्चों के लिए या अपने यार रिश्तेदार पड़ोसी के लिए बेरोजगारी, महंगाई, अत्याचार ,भ्रष्टाचार, बलात्कार, हत्या ,आत्महत्या जाति धर्म की द्वेष भावना के सिवा क्या मिला?।मोदी सरकार में सबसे ज्यादा अपमानित देश का अन्नदाता महिला शक्ति और आवारा पशु हो रहे  है। भारत जोड़ो यात्रा को बीजेपी पचा नहीं पा रही है, जो देश में एकता भाईचारा सम्मान अधिकार का संदेश लेकर चल रही है। इसीलिए  कोरोना को जिंदा करने की कोशिश की जा रही है। सत्ता में बैठे लोगों को समझना चाहिए ऊपर वाले के पास देर है अंधेर नहीं। जनता शायद जागने की कोशिश कर रही है, क्योंकि झूठ गुमराह नफरत ज्यादा दिन तक नहीं चलती। टैक्स, जीएसटी ,वेट स्टांप आदि जनता द्वारा दिए गए चार्ज से सरकारी खजाना भरता है ,जिसमें देश की 135 करोड़ जनसंख्या की भागीदारी है । सत्ता में बैठे चंद लोग जनता के पैसों से ऐसो आराम की जिंदगी जी रहे हैं तथा देश को बर्बादी की तरफ  धकेल रहे हैं और जनता को अपने अधिकारों से वंचित कर संविधान को समाप्त करने की कोशिश हो रही है । ऊपर वाले ने कहा है छोका छोका क्या फिरे है क्या लगावे घाट तुझसे पहले मैं फिरू हूं लिए तराजू बाट और भगवत गीता में लिखा  है, करनी का फल भोगना पड़ेगा आज नहीं तो कल समझना पड़ेगा यह बातें  सभी पर लागू होती हैं । अरे देशवासियों  संविधान बचा लो अपने अधिकारों को एक दूसरे को समझा लो आगे आने वाली पीढ़ियों के लिए इतिहास बना लो। जय जवान जय किसान सभी देशवासियों की पहचान तिरंगा और संविधान (जय हिंद )।
लेखक:- चौधरी शौकत अली चेची किसान एकता संघ उत्तर  प्रदेश अध्यक्ष हैं।