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आजाद होकर देश तरक्की की तरफ तेजी से आया, मगर जनता के अच्छे दिन नहीं आए

 


चौधरी शौकत अली चेची

भारत देश आजाद होकर तरक्की की तरफ तेजी से आया मगर जनता के अच्छे दिन नहीं आए।  लगभग 135 करोड़ जनता में से कितने लोग मानते हैं कि असल तरक्की देश ने 2014 के बाद हासिल की है। गोदी मीडिया नहीं बता रहा कि पिछले 8 सालों का असल ग्राफ किस तरह आगे बढा है? समाजसेवी अन्ना हजारे ने जनलोकपाल बिल के नाम पर पूरे देश को तो जगाया मगर अब कहां छिप कर बैठ गए हैं। देश पूछ रहा है कि क्या अन्ना हजारे को, जो जनता चाहती थी वास्तविक जनलोकपाल बिल गया और रामदेव चाहते थे कि काला धन आए, क्या काला धन गया? यह सब शिगूफे ही साबित हो रहे हैं। प्रधान सेवक कहते थे कि अच्छे दिन आंऐग और हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख रूपये डाले जाएगे यह सभी जुमले साबित हो गए हैं। रोजगार के नाम पर युवाओं को पकोडे तलने वाली बात भी सरकार के जिम्मेदारों से कह दी गई है यह बेरोजगार युवकों को एक तरह से ठेंगा दिखाने वाली बात हैं। भ्रष्टाचार, वंशवाद और परिवारवाद खत्म होकर इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। टीवी  में केवल हिंदू मुसलमान पर बहस हो रही है उल्लू को रात में दिखाई देता है दिन में नहीं, वही हाल है अनजान लोगों का भी है। कोर्ट कचहरी में वकीलों की बहस को होते हुए 1 प्रतिशत लोग ही देखते हैं, लेकिन गोदी मीडिया द्वारा सत्ता पक्ष, विपक्ष बहस के माध्यम से वकीलों को बैकफुट पर फेंक रहे हैं। टीवी पर बहस देखकर अंधभक्त बगैर पढ़ाई कर एडवोकेट की बड़ी डिग्री हासिल की जा रही हैं, फिल्म इंडस्ट्रीज को भी फेल कर दिया 56 इंची सीना कहां हैं देश का हर कोना कंगाल कर दिया। धर्म का चश्मा चढ़ा कर पढ़े लिखे इंसान को भी ख्वाबों में  मालामाल कर दिया। लगभग 70 प्रतिशत देशवासी एक दूसरे को जाति धर्म के नाम से नफरत से देख रहे हैं। जीडीपी  गिर रही है, अर्थव्यवस्था समाप्ति की तरफ जा रही है टेक्निकल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त करने वाला नेता कानून मंत्री है। एडवोकेट की डिग्री प्राप्त करने वाला नेता चिकित्सा  मंत्री है। 12वीं फेल शिक्षा मंत्री है।  एक दोषी को सजा देने की बजाय जेसीबी द्वारा निर्दोष परिवार को बे घर किया जा रहा है। डॉलर 83 तक मजबूत होकर लगातार अर्थव्यवस्था को चिढा रहा है, रुपया कमजोर नहीं हुआ क्या लोगों को दूरबीन से देखना चाहिए?   ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट अनुसार 120 देशों में से भारत 107 वे स्थान पर पहुंच गया। भारत देश के सभी शहर एवं गांव स्मार्ट शहर, स्मार्ट गांव बन गए। विधायक सांसदों के गोद लिए गांव घुटनों पर भी नहीं चल सके हैं। स्विस बैंक में यहां के भ्रष्टाचारियों का काला धन दुगना जमा हो गया, चौकीदार को पता ही नहीं चला वरना तो पूरे वर्ल्ड का ही डॉलर दिनार, रुपया आदि 1000 और 500 के नोटों की तरह रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है। बैंक में बचत खाते का ब्याज लगभग समाप्त  हो गया और कई तरह कानून लाद कर बैंकों का भट्टा ही बैठा दिया। 27 बैंकों को 12 बैंकों में तब्दील कर दिया, शायद अब पांच करने की तैयारी भी है। 2024 के चुनाव से पहले 15 लाख की जगह 30 लाख सब के खाते में जाएंगे का भाषण भी जरूर दिया सकता है। सपने यह भी दिखाए जा रहे हैं कि समूचे विश्व के सभी युवा भारत में पढ़ने के लिए लाइन में लगकर एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं ,बुलेट ट्रेन की रफ्तार इतनी है कि दौड़ती हुई लोगों को नजर नहीं रही तथा हवाई चप्पल पहनने वाला इंसान टिकट के लिए लाइन में खड़ा होकर लगातार पिछले कई सालों से इंतजार कर रहा है। भारत देश के नोटों पर किसकी फोटो लगनी चाहिए इस पर भी मंथन हो रहा है, ताकि भारत देश 5 ट्रिलियन डॉलर को भी पार कर जाए। इससे पकोड़ा तलने की या चाय बेचने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। नाली से गैस, बत्तख से ऑक्सीजन, गधों से प्रेरणा लेने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। दाऊद, माल्या, नीरव आदि थरथर कांपते हुए रडार की रेंज में नहीं रहे?  लगभग 45 करोड़ लोगों ने नौकरी की आस ही छोड़ दी, 20000 की सैलरी पाने वाला अब 10000 की नौकरी करने पर मजबूर है। भारत देश का मंगल ग्रह पर एक छत्र राज चल रहा है मेक इन इंडिया स्टार्टअप इंडिया आदि सिस्टम बुलंदियां छू रहे हैं, इन सभी का गोदी मीडिया गुणगान करने में 24 घंटे लगा रहता है। 



गरीबी ही नही बल्कि गरीब का भी खात्मा हो गया। सत्ता में बैठे लोग चौबीसों घंटे चुनाव प्रचार और विदेशी सैर सपाटा में जनता का पैसा खर्च कर सरकारी खजाना खाली करने से कतई नही चूक रहे है। देश पर लगभग 155 लाख करोड़ रुपए का कर्ज हो गया। 22000 तोला मिलने वाला सोना 268 टन सोना गिरवी रख 50000 तोला पहुंचा दिया। सबका साथ, सबका विश्वास, सबका विकास लेकिन थोड़ा समय लग रहा है, पैदा होने में। यह विकास, साथ और सबका विश्वास सिर्फ गर्भ में ही पल रहा हैं। उद्योगपतियों के लाभ के लिए चौकीदार साहब दिन रात मेहनत कर रहे हैं। गरीब किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ रहा है बेरोजगार तथा किसानों की आत्महत्या दुगनी हो गई। किसानों की आय आधी रह गई, किसानों और पशुओं को  एक दूसरे का दुश्मन बना कर खड़ा कर दिया।  नारियल नहीं फूटता लेकिन सड़क टूट जाती है रोड टैक्स टोल टैक्स चार्ज दुगना और रोड के नियम का पालन नहीं करने पर जुर्माना 4 गुना, राजनीति लाभ के चक्कर में इंसान, गाय, भैंस और गधे से भी कमजोर हो गया। पहली बार देखा गया है कि दूध, आटा, किताब, कफन का कपड़ा पर भी टैक्स थोप दिया गया। पिछले 8 सालों में डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस, सीएनजी, पीएनजी, बिजली, किराया भाड़ा इन सभी पर महंगाई दुगनी हो गई। अगर गहराई से समझा जाए तो लगभग देश की 80 प्रतिशत रोजमर्रा की जरूरत वाली वस्तुओं पर पिछले 8 सालों में चार गुना महंगाई हुई है और पिछले 67 साल में जो सरकारी संस्थाएं बनाई गई थी, लगभग 60 प्रतिशत को बेच दिया गया। नया कुछ बनाया नहीं, लाखों करोड़ रुपए सरकारी संस्थाएं तथा आदि शहरों के नाम बदलने में ही बर्बाद हो गए। 24 घंटे मन की बात, जन की बात भी होनी ही चाहिए।

लेखकः- चौधरी शौकत अली चेची, किसान एकता संघ के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।