विजन लाइव/ ग्रेटर नोएडा
उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसानों की आय में अभीवृद्धि हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों के विषय पर आयोजित कार्यक्रम में लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ राजीव अग्रवाल और मनीष सरस्वत के द्वारा उत्तर प्रदेश सरकार के इस कार्यक्रम में कृषि में ड्रोन के उपयोग के विषय पर विस्तृत व्याख्यान दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मौजूद रहेंगे ,विशिष्ट अतिथि के रुप में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी मौजूद रहेंगे। लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ राजीव अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को हम धन्यवाद देते हैं कि आज हमारे किसानों की आय कैसे बढ़ाई जाए ,किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त कैसे किया जाए इसमें ड्रोन जैसे तकनीक का इस्तेमाल कैसे प्रभावी होगा इस विषय पर व्याख्यान देने के लिए हमें आमंत्रित किया है। डॉ राजीव अग्रवाल का मानना है कि 21वीं सदी तकनीकी सदी है और बिना तकनीकी की सहायता लिए हम किसी भी क्षेत्र में आर्थिक उन्नति नहीं कर सकते हैं। प्रोफेसर मनीष सारस्वत के मुताबिक ड्रोन से उन फसलों में भी छिड़काव संभव है जिनमें आकार बड़ा होने के नाते सामान्य तरीके से छिड़काव में दिक्कत आती है। साथ ही इन फसलों में छिड़काव करने वाला भी रसायन के दुष्प्रभाव से असुरक्षित होता है। मसलन गन्ना, अरहर आदि। नैनो यूरिया का छिड़काव बोआई के 30-40 दिन बाद जब खेत फसल से पूरी तरह आच्छादित होता है तब करते हैं। ड्रोन से जो छिड़काव होता है उसके ड्रापलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसी होती हैं। लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है। खड़ी फसल पर छिड़काव होने के नाते इसका असर जमीन तक नहीं पहुंचता लिहाजा यूरिया की लीचिंग (रिसाव) से जल, जमीन को होने वाली क्षति भी नहीं होती। नैनो यूरिया के साथ पानी में घुलनशील जितने तरह के उर्वरक हैं उनको भी फसल की जरूरत के अनुसार मिलाया जा सकता है।