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हर-हर एमएसपी घर-घर एमएसपी सभी लगाओ ध्यान


जय जवान जय किसान एकता जागरूकता मानवता सबकी तरक्की का समाधान 

चौधरी शौकत अली चेची
किसानों का आंदोलन समाप्त होने के बाद सरकार ने क्या दिया। 19 नवंबर 2021 से शुरू  तीन कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन चला  याने की 19 नवंबर 2022 तक पूरा 1 साल हो गया, लेकिन सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया जिसमें किसानों की मांग थी , कि सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी कानून बने  बिजली विधेयक 2020 -21 ड्राफ्ट वापिस हो ,आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज केस वापस,  अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी हो ,शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा मिले, पराली जलाने पर किसानों को सजा नहीं हो और जुर्माना नहीं लगे । जमीन अधिग्रहण कानून 2013 लागू किया जाए । किसानों की यह लगभग 17 मांगे थी। आंदोलन में लगभग 850 किसान शहीद हो गए और किसानों की आमद हर रोज सरकारी आंकड़े के मुताबिक ₹27 है सालाना लगभग ₹10000 है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का वादा था पिछले 8 सालों में किसानों पर लगभग महंगाई का 46% भार पड़ा और महंगाई तथा माल की सही कीमत नहीं मिलने पर किसानों की इनकम आधी रह गई तथा हर वर्ष बेमौसम बरसात सूखा कीट पतंगा के कारण सही समय पर किसी कारणवश बुवाई नहीं होना या पक्की फसल सही समय पर किसी कारण नहीं कटना आवारा पशुओं से फसलों में नुकसान इन समस्याओं से किसानों का लाखों टन अनाज फल सब्जी दाल चारा खेतों में ही बर्बाद हो जाता है, उसका कोई मुआवजा राशि  सरकार की तरफ से नहीं मिलता। कागजों और भाषणों  तक ही अन्नदाता की आशा दफन हो जाती है। किसानों और पशुओं को एक दूसरे का दुश्मन बना कर खड़ा कर दिया जबकि किसान और पशु एक दूसरे के घनिष्ठ सहयोगी कहलाए गए हैं । पूरा 1 वर्ष बीत जाने के बाद सरकार की तरफ से किसानों के लिए ऊर्जावान संदेश नहीं है  सभी देश के किसान संगठनों को तथा बुद्धिजीवी देशवासियों को विचार करना चाहिए।  इस समय सबसे ज्यादा अपमानित या बर्बाद हो रहा है तो देश का अन्नदाता ही हो रहा है ,बाकी तो सब चंगा सी इसीलिए चौबीसों घंटे कार्य करने वाला देश का अन्नदाता अपने आप को अपमानित व ठगा महसूस कर  रहा है। दोबारा से मजबूती के साथ आंदोलन की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए । झूठा आश्वासन देकर आंदोलन को समाप्त करा दिया  उस समय कई राज्यों में चुनाव में हार के कारण केंद्र सरकार ने कृषि बिलों को वापस कर वाह वाही लूटने की कोशिश की जबकि आज भी किसानों  का माल एमएसपी पर लगभग 14% ही सरकार खरीद पाती है बाकी तो ओने पौने दामों में अपने माल को बेचने में किसान मजबूर है। अन्नदाता देश की रीढ़ है इस बात को दरकिनार कर उद्योग पतियों को लगातार लाभ पहुंचाया जा रहा है  दुनिया में सबसे हिम्मतवाला अन्नदाता ही है इस बात को समझकर  आने वाला समय किस पर भारी होगा देखना समझना बाकी है। हर-हर एमएसपी घर-घर एमएसपी सभी लगाओ ध्यान जय जवान जय किसान एकता जागरूकता मानवता सबकी तरक्की का समाधान ।
लेखक:-- चौधरी शौकत अली चेची, किसान एकता संघ ,उत्तर प्रदेश अध्यक्ष हैं।