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सूरजपुर में प्राचीनकालीन ऐतिहासिक बाराही मेला-2022 का चौथा दिन---- रामिंदर नागर, विनयपाल नागर, ओमवीर विधूडी, मीनू चौधरी, करिश्मा, नेहा और सुरेंद्र भाटी आदि कलाकारांं की रही रागनियांं की धूम
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द्रौपदी चल मेरे संग, अंधा याद करें, मै सभा मे जाने लायक ना तू क्यो इज्जत बबार्द करें, तू इज्जत क्या जाने, जब तुझे शर्म नही ------------------------------------
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अंजलि एकेडमी सूरजपुर की अंजलि और मिताली जोशी ने बेहतर प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही बटोरी
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मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/सूरजपुर
सूरजपुर में चल रहे प्राचीन ऐतिहासिक बाराही मेला-2022 के चौथे दिन रविवार को रागनियों की धूम रही। रविवार को प्रति दिन की भांति बाराही मेले के सर्वोत्तम मंच संस्कृति मंच से रात्रिकालीन कार्यक्रमों की शुरूआत सरस्वती वंदना और आरती के साथ हुई। अंजलि एकेडमी सूरजपुर की अंजलि और मिताली जोशी ने बेहतर प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही बटोरी। वहीं डीएस कान्वेंट स्कूल सूरजपुर के नन्हें मुन्हे बच्चों ने भी गीत संगीत और नृत्य की प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीत लिया। अंजलि शर्मा और मिताली जोशी और डीएस पब्लिक स्कूल के बच्चों को बेहतर प्रस्तुति के लिए शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, संरक्षक श्रीचंद भाटी, महासचिव ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल, मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष बिजेंद्र ठेकेदार, उपाध्यक्ष जगदीश भाटी एडवोकेट और डा0 सुनील देवधर आदि पदाधिकारियों ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। वहीं कुदरती विशेष आकृति और आकार के नन्हे मुन्हें शंकर भाई ने- ओ मां तू कितनी भोली, कितनी अच्छी है, प्यारी प्यारी मां, ओ मा- ओम मा मार्मिक, गीत प्रस्तुत करते हुए दर्शकों की जमकर तालियां बटोरी। एक नन्ही बच्ची ने भी दमदार नृत्य प्रस्तुत किया। रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में रामिंदर नागर, विनयपाल नागर, ओमवीर विधूडी, मीनू चौधरी, करिश्मा, नेहा और सुरेंद्र भाटी आदि कलाकारों ने खास प्रस्तुतियां दीं। सुरेंद्र भाटी ने महाभारत में अचार्य द्रोण और दु्रपद प्रंसग से उंच नीच का ध्यान करा न मूर्ख द्रोण अज्ञानी, इस दुनिया में ना होती काग हंस की यारी, रागनी प्रस्तुत की। मीनू चौधरी ने नरसी के भात प्रसंग से हेरी सासू ताने मारे मतना---- हेंरी कौन भात भरेगा मेरे बाबुल हुए फकीर रागनी की प्रस्तुत की तो जमकर तालियों की गडगडाहट से पूरा प्रांगण गूंज उठा। सुरेंद्र भाटी और नेहा ने महाभारत में दुशासन- द्रौपदी प्रसंग से- द्रौपदी चल मेरे संग, अंधा याद करें, मै सभा मे जाने लायक ना तू क्यो इज्जत बबार्द करें, तू इज्जत क्या जाने, जब तुझे शर्म नही रागनी प्रस्तुत की। वहीं रांमंदर नागर और विजयपाल नागर की जोडी ने महाभारत में कृष्ण अर्जुन प्रसंग से- सब हाल सुनाउं, सुन अर्जुन कर ध्यान, कलयुग की पहचान और साथ ही एक से बढकर एक रागनियों की प्रस्तुति देते हुए खूब वाहवाही बटोरी।
>जब कि कविता चौधरी ने नृत्य प्रस्तुत करते हुए खूब धमाल मचाया। अंत में शिव मंदिर मेला समिति की ओर से रामिंदर नागर एंड पार्टी के इन कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। शिव मंदिर मेला समिति के महासचिव ओमवीर बैंसला ने बताया कि प्राचीनकालीन बाराही मेला-2022 में दर्शकों की भारी भीड उमड रही है। यहां उंट की सवारी कर बच्चे जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। जब कि सर्कस, जादूगर, भूत बंगला, लडकी का नागिन में बदलता रूप, मौत का कुआ, झूले आदि खेल तमाशे लगातार लोगों का मनोंरजन कर रहे हैं। लोक कला संस्कृति मंच से राजस्थान और हरियाणा से आए कलाकारों द्वारा गीत संगीत और नृत्य की प्रस्तुतियां दी जा रही हैं। उन्होंने एनपीसीएल द्वारा बिजली आपूर्ति पर सवाल खडे करते हुए बताया कि एनपीसीएल का रवैया सूरजपुर कसबे के प्रति ठीक नही रहता है, यहां बिजली की आख मिचौनी हमेशा ही बनी रहती है, अब चूंकि प्राचीनकालीन बाराही मेला-2022 चल रहा है, जो सूरजपर ही नही बल्कि पूरे गौतमबुद्धनगर की शान है ऐसे में भी एनपीसीएल संतोषजनक बिजली की आपूर्ति नही कर पा रहा है। जब कि बाराही मेले-2022 में बिजली की पर्याप्त आपूर्ति के लिए शिव मंदिर मेला समिति पहले ही विशेष आर्थिक पैकेज एनपीसील को दे चुकी है, किंतु इन सबके बावजूद बिजली आपूर्ति की लचर व्यवस्था लगातार बनी हुई है, जो कतई भी ठीक नही हैं। मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि दिनांक 19 अप्रैल-2022, मंगलवार की सांय हरियाणा और राजस्थान के कलाकारों तथा विभिन्न स्कूलांं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे। जब कि रात्रिकालीन रागनियों के रंगारंग कार्यक्रमों में कालू इंदौर, सरिता कश्यप, निशा जांगिड,रूबी चौधरी, और मोनू गुर्जर आदि कलाकार खास प्रस्तुतियां देंगे। इस मौके पर कार्यक्रम मे चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, ओमवीर बैंसला, लक्ष्मण सिंघल, मूलचंद शर्मा और राजपाल खटाना, रूपेश चौधरी, हरि शर्मा, भंवर सिंह बैसोया, अनिल कपासिया, अज्जू भाटी, देवा शर्मा और राजकुमार नागर आदि मेला समिति के पदाधिकारी और गणमान्यजन उपस्थित रहे।
विशेष आकषर्णः--------------------
बाराही मेले में बनी चौपाल पर ग्रामीण जनजीवन पर आधारित चीजों की दिखाई दे रही है झलक
कृषि प्रधान भारत की आत्मा गांवों में ही बसती है। प्राचीनकाल से ही मनुष्य की आजीविका कृषि और पशुपालन पर निर्भर है। कंप्यूटरीकरण के इस दौर में अब ग्रामीण संस्कृति एक तरह से लुप्त होती जा रही है। घर में हर दिन काम आने वाली चीजें भी सांस्कृतिक धरोहर के रूप में देखी जानी शुरू हो गई हैं। हुक्का, दही मथने वाली रई, पीढा, ईंढी, चारा काटने वाली मशीन और बैलगाडी अब इतिहास की धरोहर बन गई हैं। बाराही मेले में ग्रामीण संस्कृति की इन चीजों का विशेष ख्याल रखा गया है। यहां एक चौपाल बनी हुई है।
>इस बाराही बैठक पर इन सब चीजों के दर्शन आसानी से किए जा सकते हैं। बाराही चौपाल पर सबसे बडी खाट है जिसकी लंबाई करीब 12 गुणा 6 फीट है। सबसे बडा हुक्का जिसकी उंचाई करीब 5 फीट है। सबसे बडा पीढा है जिसकी लंबाई और चौडाई 2 गुणा 2 है। इसी प्रकार विश्व की सबसे बडी रई है, जिसकी उंचाई करीब 8 फीट और चौडाई 2 फीट है। इसके साथ ही चारा काटने की मशीन,चक्की, कुठला, राया और बैलगाडी भी हैं। शिव मंदिर मेला समिति के अध्यक्ष चौधरी धर्मपाल भाटी प्रधान, महामंत्री ओमवीर बैंसला, कोषाध्यक्ष लक्ष्मण सिंघल और मीडिया प्रभारी मूलचंद शर्मा ने बताया कि कंप्यूटरीकरण के दौर में ये ग्रामीण जनजीवन पर आधारित चीजें अब लुप्त होनी शुरू हो गई हैं। नई पीढी के बच्चों से इन चीजों के बारे में पूछा जाए तो बता नही पाएंगे? ग्रामीण जनजीवन पर आधारित इन चीजों की झलक दिखाने के लिए चौपाल का निमार्ण कराया था। वर्ष 2001 मेंं जब शिव मंदिर मेला समिति आसित्व में आई थी, उसी समय से यह चौपाल शुरू हुई थी। हर बाराही मेले में इन चीजों को प्रदर्शन के लिए रखा जाता है, ताकि लोगों को अपनी धरोहर और संस्कृति का भान होता रहे।