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भाई हो तो ऐसा, राम -भरत जैसा आदर्श भ्रातभाव आज भी है, जीवित

 

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विजन लाइव/ गुरुकुल मुर्शदपुर 

उत्तर प्रदेश की  भूतपूर्व मुख्यमंत्री मायावती के पैतृक गांव बादलपुर निवासी 70 वर्षीय समाजसेवी बुजुर्ग सतीश नंबरदार वर्तमान  ग्रेटर नोएडा के सेक्टर बीटा फर्स्ट डी 13 मे निवासरत सतीश नंबरदार ने अनूठी अनुकरणीय मिसाल पेश की है। सुख में तो हर किसी की मति कार्य करती है लेकिन जो महाशय ,महामना लोग होते हैं विपत्ति में भी धैर्य रूपी धर्म का त्याग नहीं करते इंसान तो वही है जो दुख की घड़ी में भी धैर्य और मानवता को ना छोड़े परसेवा पर उपकार के मार्ग से विचलित ना होवे कुछ लोग तो जरा सी आफत आने पर ईश्वर को कोसने लगते हैं।  कुछ तो नास्तिक होने की घोषणा कर देते हैं । सतीश नंबरदार  ने अपने छोटे भाई स्वर्गीय सुभाष नंबरदार जिनका लीवर की लंबी बीमारी के चलते  निधन हो गया था अनेकों जतन करने पर भी उनको बचाया नहीं जा सका मार्च 2022 के पहले सप्ताह में उनका निधन हो गया 6 मार्च रविवार को उनकी अंत्येष्टि सभा थी । अंत्येष्टि सभा में सतीश नंबरदार  के द्वारा अपने दिवंगत भाई सुभाष नंबरदार  की पुण्य स्मृति मे लिए गए दिव्य संकल्प को आज उन्होंने पूरा करते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुधनगर को बेसहारा गोवंश के पालन गुरुकुल मुर्शदपुर ग्रेटर नोएडा के साधनहीन परिवारों के  25 विद्यार्थियों (ब्रह्मचारीयों) की शिक्षा दीक्षा तथा जीव जंतुओं के दाना पानी  के लिए नगद 101000 दान दिए हैं। सतीश नंबरदार  का अपना भी अलग परिवार है आज के युग में भाई के लिए कौन इतना करता है जीवन के साथ भी मृत्यु के बाद भी । सतीश नंबरदार को यह प्रेरणा आर्य समाज के संस्थापक महान समाज सुधारक दार्शनिक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित ग्रंथ संस्कार विधि से मिली जिसमें  दयानंद सरस्वती जी ने कहा है प्रत्येक मनुष्य को अपने जीते जी अपने लिए ही नहीं  हमें अपने प्राण प्यारे स्वयसंबंधियों के जीते जी या मृत्यु उपरांत भी  उनकी स्मृति में वेदविद्या धर्म के प्रचार अनाथपालन आदि की प्रवृत्ति के लिए चाहे जितना धन प्रदान करें उतना ही थोड़ा है। यही सच्ची वैदिक संस्कृति है यही असली हिंदुत्व है।