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साईकिल राईडिंग- औलंपिक और एशियाड में भी शामिल, बदलते हुए दौर में खत्म सी होती जा रही है

 



ग्रेटर नोएडा में साईकिल राईिंडंग के लिए कई सीनियर सिटीजन आगे आए

 


साईकिलस्टों को दनकौर बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट तक साईकिल राईडिंग करते हुए देखा जा सकता है

 



आइए एक नजर डालते हैं कि गौतमबुद्धनगर दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट को कैसे साईकिल राईडिंग ंमें दिलचस्पी पैदा हुई और आज किस प्रकार साईकिल राईडिंग में नए मुकाम को हासिल करते जा रहे हैं।

 



मौहम्मद इल्यास-’’दनकौरी’’/ग्रेटर नोएडा

साइकिल एक आम आदमी के सवारी से जुड़ा महत्वपूर्ण साधन है। खासकर किसान, मजदूर और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए यह वरदान की तरह हैं। साइकिल के अपने कई लाभ है, एक से दो लोगों को कम दूरी के गन्तव्य तक जाना हो तो बिना कुछ भी व्यय के समय पर यात्रा की जा सकती हैं। साइकिल चलाने के लिए न किसी विशेष प्रशिक्षण अथवा लाइसेंस की जरूरत होती हैं। साइकिल से सड़क दुर्घटना की सम्भावना भी काफी कम रहती हैं। यदि साईकिल के स्वरूप की बात करें तो आज हम जिस रूप में साइकिल को देखते है इसका पहला ढांचा 1839 में स्काटलैंड के किर्कपैट्रिक मैकमिलन ने तैयार किया था, इस साइकिल को चलाने के लिए ऊपर बैठे व्यक्ति को अपने पैर जमीन पर पीछे की ओर धकेलने पड़ते थे। जाहिर है यह साइकिल का उतना सफल मॉडल नहीं था। कालान्तर में  में जर्मनी के बैरन फ़ॉन ड्रेविस ने लकड़ी की बनी एक साइकिल तैयार की। इसे ड्रेसियन का नाम दिया गया था। यह एक घंटे में पन्द्रह किलोमीटर की दूरी तय कर सकती थी। अगले कुछ वर्षों में मैक मिलन अपने इस मॉडल में निरंतर सुधार करते गए। अन्तः उन्होंने साइकिल के साथ वेलोसिपीड नामक यंत्र लगा दिया जिससे पैरों द्वारा चलाया जाने लगा। साईकिल यात्रा की बात करें तो एक व्यक्ति की यात्रा के लिए साइकिल एक उत्तम परिवहन साधन है, जो बेहद कम समय में अल्प खर्च और जोखिम के साथ हमारे पर्यावरण को प्रदूषित करे बगैर हमारी यात्रा को सफल बनाता हैं। दूर दराज के इलाके, ग्रामीण, पहाड़ी, रेतीले भागों में जहाँ पक्की सड़के नहीं हैं वाला कंक्रीट या पथरीली सड़क पर भी साइकिल को आसानी से चलाया जा सकता हैं। साइकिल का मॉडल इतना सरल है कि कोई भी व्यक्ति उसमें हुई किसी खराबी को आसानी से रिपेयर कर सकता हैं। बहुत से लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए भी साइकिल चलाते हैं। यह तेजी से वजन घटाने, शरीर को तन्दुरस्त बनाने में एक कारगर उपाय माना जाता हैं। बिना एक पैसे के ईधन खर्च के आप इसकी मदद से सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं। पर्यावरण संबंधी समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए, अब शहरों में भी साइकिल को पुनः तेजी से अपनाया जा रहा हैं। बहुत से लोग अपने ऑफिस, दुकान कार्यस्थल जाने के लिए साइकिल ले जाते हैं। साइकिल चलाने वाले व्यक्ति को स्वावलंबी माना जाता हैं,उन्हें न किसी तरह के ट्रैफिक जाम में फसने का भय रहता हैं न किसी बड़ी दुर्घटना का संदेह। इस कारण वह नियत समय पर अपने कार्य के लिए पहुंच पाता हैं। साईकिल राईडिंग औलंपिक और एशियाड में भी शामिल हैं। किंतु इन सबके बावजूद बदलते दौर में साईकिल की सवारी करना शान से जोड कर देखा जाता है पहले शौकीन लोग साईकिल की सवारी किया जा करते थे। लेकिन आज के दौर में लग्जरी कार ही ज्यादा तौर पर हैसियत में चार चांद लगाने के लिए जानी जाती हैं। हाईटेक शहरों में कुछ साईकिलस्ट साईकिल राईडिंग के लिए मशक्कत करते हुए दिखाई देते हैं। बात हाईटेक शहर ग्रेटर नोएडा की करें तो यहां नॉलेज पार्क में साइकिल ट्रैक बनाया गया है। वहीं दूसरी ओर यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा दनकौर बुद्ध इंटरनेशनल सार्किट तक साइकिल ट्रैक बनाया गया है। ग्रेटर नोएडा में साईकिल राईिंडंग के लिए कई सीनियर सिटीजन आगे आए हैं। यही कारण है कि ग्रेटर नोएडा साईकिल क्लब में अब दर्जनों की संख्या में लोग शामिल हो चुके हैं। इनमें अशोक मिश्रा 44 वर्ष, गुलशन अरोडा 47 वर्ष, विनता अरोडा टीचर वाईफ गुलशन अरोडा 43 वर्ष, किरण सिंह 59 वर्ष, नंदिता दास 45 वर्ष, जेबी भट्ठ 53 वर्ष, तेजिंग 38 वर्ष, अरूण शर्मा 70 वर्ष और संजीव वर्मा एडवोकेट 54 वर्ष आदि शामिल हैं। ग्रेटर नोएडा साईकिल क्लब के साईकिल राईडर हर दिन कई किमी तक साईकिल राईडिंग करते हैं। सुबह को इन साईकिलस्टों को दनकौर बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट तक साईकिल राईडिंग करते हुए देखा जा सकता हैं। इनमें बात यदि ग्रेटर नोएडा साईकिल क्लब के साईकिल राईडर संजीव वर्मा एडवोकेट 49 वर्ष की करें तो वह गौतमबुद्धनगर दीवानी एवं फौजदारी एसोसिशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कानून के पेशे से अचानक साईकिलस्ट बने संजीव वर्मा एडवोकेट एक बार तो साईकिल पर ही पीडित की मद्द किए जाने के उद्देश्य से थाना बीटा-2 कोतवाली अचानक सुबह सुबह पहुंच गए तो पुलिसकर्मी हक्के बक्के रह गए। आइए एक नजर डालते हैं कि गौतमबुद्धनगर दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट को कैसे साईकिल राईडिंग ंमें दिलचस्पी पैदा हुई और आज किस प्रकार साईकिल राईडिंग में नए मुकाम को हासिल करते जा रहे हैं। भारतीय आदर्श इंटर कॉलेज तिलपता कर्णवास के प्रिंसीपल बीएल वर्मा के परिवार में संजीव वर्मा का जन्म 14-08-1972 को हुआ। कानून की पढाई करने के बाद संजीव वर्मा एडवोकेट ने गौतमबुद्धनगर जिला न्यायालय में प्रैक्टिस शुरू कर दी। संजीव वर्मा एडवोकेट वर्ष 2009-2010 में गौतमबुद्धनगर बार एसोसिएशन के सचिव चुन लिए गए। इसके 10 साल बाद फिर संजीव वर्मा एडवोकेट ने बार अध्यक्ष पद का चुनाव लडा तो वे चुनाव जीत गए। 23 दिसंबर-2019 से बार अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट का कार्यकाल शुरू हुआ मगर अगले ही साल-2020 में कोरोना जैसी महामारी आ टपकी। लॉकडाउन हुआ और लोगों का घरों से निकलना बंद हो गयां। ऐसे में जिम और सभी तरह के खेल की गतिविधियां भी बंद थीं, आखिर साईकिल चलानी शुरू कर दीं। ग्रेटर नोएडा के सेक्टर जीटा-1 एसीई प्लेटिनम में संजीव वर्मा एडवोकेट साईकिल चलाने का तो अवसर निकाल ही लिया करते थें। साईकिल में रूचि बढती ही गई और जैसे जैसे लॉकडाउन में पांबंदिया कम होती चली गई साईकिल राईिंडंग बढती ही गईं। संजीव वर्मा एडवोकेट ने साईकिल राईडिंग को दिनचर्या में शामिल कर लिया। वकालत का काम और उपर से बार एसोसिएशन अध्यक्ष पद का दायित्च होने के नाते कई सारे काम, हर रोज सुबह 4.30 बजे उठना और 30-35 किमी तक साईकिल राईडिंग करना फिर करीब 7 बजे तक घर लौट आना तथा तय समय पर कोर्ट पहुंचना दिनचर्या का एक हिस्सा बन गया। 24 मार्च-2020 से संजीव वर्मा एडवोकेट ने 6 महीने अकेले ही साईकिल चलाई। काम का बोझ जब होता तो हर दिन वह 130 मीटर रोड पर 30-35 किमी साईकिल चलाया करते थे और शनिवार रविवार अथवा अन्य कोई अवकाश के दिन साईकिल का रूख ग्रेटर नोएडा से शुरू हांकर दनकौर बुद्ध इंटरनेशनल सार्किट तक हो जाया करता था। 15 अगस्त-2020 को बार अध्यक्ष रहते हुए संजीव वर्मा एडवोकेट ने 76 किमी, ग्रेटर नोएडा परी चौक से लेकर नोएडा गेट तक साईकिल राईंडिंग की। 


पूर्व बार अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट, साईकिल राईडिंग के इतने दीवाने हो गए कि अब तक वह 54 बार-100 किमी साईकिल चला चुके हैं। इसके बाद संजीव वर्मा एडवोकेट साईकिलस्ट बन ग्रेटर नोएडा साईकिल क्लब में बतौर सदस्य शामिल हो गए। पूर्व बार अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट की साईकिल यहीं नहीं थमी बल्कि उन्होंने 5 बार-200-200,1 बार-300 और 1 बार-400 किमी की साईकिल राईडिंग कर मेडल हासिल कर लिए। इनमें 200 किमी साईकिल राईडिंग जून-2020 में बेटे विभु तंवर, साथी राजीव गहलोत और अविश भाटी के साथ गुडगांव तक की थी, जबकि दूसरी बार बीआरएम यानी ब्रिरेविट रैडांनियर मॉडेक्स-2021 के तत्वाधान में दिल्ली आयानगर घिटोरनी से वाया वैर्स्टन पैरीफेरल एक्सप्रेस-वे सोनीपत मन्नत ढाबा तक, तीसरी बार नोएडा सेक्टर-62 से लेकर गजरौला तक और चौथी बार ग्रेटर नोएडा से लेकर जेवर यमुना एक्सप्रेस-वे शिवा ढावा तक की थी। 13 नवंबर-2021 को 1 बार 300 किमी साईकिल राईडिंग ग्रीन पार्क दिल्ली से मुजफ्फरनगर  तक 15 घंटे में पूरी की थी। हाल में ही 22 नवंबर-2021 को फिर एक बार 400 किमी तक साईकिल राईडिंग आया नगर घिटोरनी दिल्ली से हिसार हरियाणा तक 26 घंटे में ही पूरी कर ली थी। वैसे इस बार साईकिल राईडिंग का टाईम 27 घंटे तय था मगर एक घंटे पहले ही हिसार से वापस दिल्ली पहुंचे चुके थें। 200,300 और 400 साईकिल राईंडिंग लक्ष्य रैंडोनियर दिल्ली के तत्वाधान में हुई, जो एक सहयोजक संस्था है। जब कि नेशनल लेवल पर ऑडेक्स इंडिया रैंडोनियर यानी लंबी दूरी की साईकिल रेस प्रतियोगिता-2021 संस्था जो लगातार साईकिलस्टों के प्रोत्साहन के लिए इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित करती हैं और विनर टीम को मेडल भी दिए जाते हैं। इन 4 कैटेगरी साईकिल राईड में खिताब जीतने पर सुपर रैंडोनियर में मौका दिया जाता है जो 600 किमी दूरी की होती है। शौक से शुरू हुआ यह सफर अब एस,आर यानी सुपर रैंडोनियर खिताब पर ही रूकेगा। कानून की कंजी से निकल कर साईकिल राईडर बने पूर्व बार अध्यक्ष संजीव वर्मा एडवोकेट 200,300 और 400 किमी की राईंडिंग मेंं मेडल हासिल कर चुके हैं और अब है तैयारी सुपर रैंडोनियर में मेडल जीतने की। पूर्व बार अध्यक्ष व साईकिल राईड विनर संजीव वर्मा एडवोकेट ने विजन लाइव डिजिटल मीडिया को खास बातचीत में बताया कि 200,300 और 400 किमी की साईकिल रेस में मेडल हासिल कर चुके हैं और अब है बारी सुपर रैंडोनियर में मेडल जीतने की। संभवत दिसंबर-जनवरी तक सुपर रैंडोनियर राईडिंग होगी जिसमें भाग लेते हुए मेडल जीत लेना प्रमुख लक्ष्य हैं। साईकिल राईडिंग को बढावा देने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकारों की ओर से साईकिल रेस को बढावा देने के लिए कोई प्रोत्साहन नही दिया जा रहा हैं। ग्रेटर नोएडा में ही साईकिल ट्रैक बनाए गए थे मगर रखरखाव के अभाव या तो क्षतिग्रस्त हो चुके हैं या फिर अतिक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। यही हाल यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा दनकौर बुद्ध इंटरनेशल सार्किल तक बनवाए गए साईकिल ट्रैक का भी है वहां भी खुद बुर्द हो गए हैं। उन्होंने बताया कि साईकिल राईडिंग औलंपिक और एशियाड में भी शामिल हैं। किंतु इन सबके बावजूद बदलते दौर में साईकिल की सवारी करना शान से जोड कर देखा जाता है, पहले शौकीन लोग साईकिल की सवारी किया जा करते थे। लेकिन आज के दौर में लग्जरी कार ही ज्यादा तौर पर हैसियत में चार चांद लगाने के लिए जानी जाती हैं। यही कारण है क्रिकेट, बैंडमिंटन बॉलीबाल जैसे खेल आज सबकी पहली पंसद हैं, साईकिल राईंडिंग जो कभी शान की सवारी हुआ करती थी, आज बदलते हुए दौर में खत्म सी होती जा रही है। साईकिल की सवारी ज्यादा से ज्यादा की जाए तो तय मानिए इसके एक ओर ईधन की बचत होगी और दूसरी ओर प्रदूषण यानी पर्यावरण शुद्ध और स्वच्छ होगा तथा तीसरा स्वास्थ्य तरो ताजा और हष्ट पुष्ट होगा। उन्होंने बताया कि जब से साईकिल राईडिंग करनी शुरू की है तब से शुगर लेवल, बीपी लेवल और तनाव सब कुछ दूर चले गए हैं। हर रोज साईकिल राईंडिग को दिनचर्या का हिस्सा बनाना जरूरी है।