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चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा,उत्पीडन, शोषण आदि विषय पर प्रकाश डाल रही है आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंशः-

 


जनपदीय दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन की पूर्व कोषाध्यक्ष व राष्ट्रीय लोक दल महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट से ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया की खास बातचीत

 




अपराध चाहे महिला के साथ हो या फिर पुरूष के साथ हो, सुस्त न्याय प्रक्रिया हमेशा ही जिम्मेदार रही हैः चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट

 


मौहम्मद इल्यास-दनकौरी’/गौतमबुद्धनगर

----------------------------------------------गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा शहर में जिस तरह से बसावट बढती जा रही है, विभिन्न तरह की संस्कृतियां और समाज भी जन्म लेते जा रहे हैं। सृष्टि की रचना और समाज के निर्माण में नारी शक्ति का भी खासा योगदान रहा है। ग्रेटर नोएडा के निर्माण और विकास में भी नारी यानी महिलाओं का भी महत्वपूर्ण स्थान हैं। समाज के अन्य वर्गो के साथ महिलाओं को भी सुरक्षा व्यवस्था की खामियों से दो चार होना पडता है। कहीं चैन लूट ली जाती है तो कहीं अस्मत तो कहीं अपहरण व हत्याएं अर्थात यों कहें कि असुरक्षा की शिकार तो ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं। घरेलू हिंसा, यौन शोषण और दहेज जैसे अपराधों की शिकार भी महिलाएं होती हैं। इस तरह की पीडित महिलाओं की मद्द के लिए समाज के बीच से निकल कर महिलाएं आती हैं। यहां पर महिलाओं के हकों की आवाज बुलंद करने के लिए कानूनी पेशे महिला में आ चुकी है चौधरी प्रियंका अत्री जैसी महिला शक्ति हमेशा तत्पर रहती हैं। कानूनी मद्द की बात की जाए तां गरीब और बेसहारा लोगों की बिल्कुल फ्री मद्द की जाती है। इसके अलावा महिला सुरक्षा के मामले में प्रिंयका अत्री सबसे पहले आगे आकर पीडित की मद्द करती हैं। कानून व्यवस्था पर एक नजर विशेष कॉलम में इस बार जनपदीय दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन की पूर्व कोषाध्यक्ष व राष्ट्रीय लोक दल महिला प्रकोष्ठ की गौतमबुद्धनगर जिलाध्यक्ष चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट से  ’’विजन लाइव’’ डिजिटल मीडिया  ने खास बातचीत की है। चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट कानून व्यवस्था, महिला सुरक्षा,उत्पीडन, शोषण आदि विषय पर प्रकाश डाल रही है आइए जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंशः-



जीवन परिचयः-

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नामः- चौधरी प्रियंका अत्री एडवोकेट

पति का नामः-चौधरी अरूण कुमार अत्री एडवोकेट

जन्म तिथिः- 07-06-1990

जन्म स्थानः- ग्राम खंडवाया, जिलाः- बुलंदशहर, 0 प्र0


मूल पताः- ग्राम माचड, जिलाः- बुलंदशहर, 0 प्र0

हाल पताः- एन0आर0आई0, एस0डी0एस0 रेजीडैंसी सोसायटी, ग्रेटर नोएडा, जिलाः- गौतमबुद्धनगर, 0 प्र0

शिक्षाः-बी00- खुर्जा ए0के0पी0 डिग्री कॉलेज, खुर्जा, जिलाः- बुलंदशहर

     एल0एल0बी0- एन0आर00सी0 डिग्री कॉलेज खुर्जा, जिलाः- बुलंदशहर

पदः-जिला उपाध्यक्ष- राष्ट्रीय लोक दल ( वर्ष-2014)

उत्तर प्रदेश उपाध्यक्ष- विधि प्रकोष्ठ राष्ट्रीय लोक दल ( वर्ष-2018)

जिलाध्यक्ष- महिला प्रकोष्ठ राष्ट्रीय लोक दल, गौतमबुद्धनगर( सितंबर, वर्ष-2021)

सांस्कृतिक सचिव- जनपदीय दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर ( वर्ष-2017-18)

कोषाध्यक्ष- जनपदीय दीवानी एवं फौजदारी बार एसोसिएशन गौतमबुद्धनगर ( वर्ष-2018)




विजन लाइवः- महिला सुरक्षा को लेकर कैसे सर्तक रहें और क्या जरूरी सांवधनियां बरती जानी चाहिए?

चौधरी प्रियंका अत्री :-देखिए, महिलाएं चाहे जिस सेक्टर में हों सुरक्षा को लेकर हमेशा ही सर्तक रहना चाहिए। खासकर बच्चियां जब स्कूल जाती हैं, उस समय सुरक्षा की चिंता बनी रहती है। पता नही कब कौन हैवानियत कर बैठे, यानी बच्चियां हो या फिर नौकरी पेशा महिलाएं जब भी घर से ऑफिस अथवा कामकाज के लिए आती जाती हैं, सुरक्षा को लेकर डर बना रहता है। कई बार लोग अकेला पाकर मजबुरी का फायदा उठा लेते हैं। ताकि हमारी बहन बेटियां सुरक्षा पूर्वक आ जा सकें इसके लिए समाज में जागरूकता लानी पडेगी और साथ ही बच्चियां को शुरू से ही आत्मरक्षा के गुर भी सिखाने चाहिए।

 

विजन लाइव :- महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के लिए सुस्त न्याय प्रक्रिया किस हद तक जिम्मेदार है?

 चौधरी प्रियंका अत्री :- बिल्कुल सही, अपराध चाहे महिला के साथ हो या फिर पुरूष के साथ हो सुस्त न्याय प्रक्रिया हमेशा ही जिम्मेदार रही हैं। इससे पीडित को त्वरित यानी समय से न्याय नही मिल पाता है, जिससे कुंठा की भावना पैदा होने लगती है वहीं अपराधियों का मनोबल बढने लगता है।

विजन लाइवः - महिला अपराधों में त्वरित न्याय मिलें, क्या किया जाना चाहिए और कैसे कमी आ सकती है?

चौधरी प्रियंका अत्री :- निर्भया जैसे बलात्कार कांड के बाद सरकार जागी है, अब पोस्को एक्ट में फास्ट ट्रेक कोर्ट जल्दी निणर्य देने लगे है। इससे महिलाओं का मनोबल बढा है और वहीं अपराधियों के मन में कानून का डर बना है। इसी प्रकार सरकार को जघन्य अपराधों के लिए कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि फास्ट ट्रेक कोर्ट की तर्ज पर त्वरित निर्णय आ सके। इससे अपराधों में वाकई कमी आनी शुरू हो जाएगी।

विजन लाइव  :- महिला आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे संस्थाएं है?

चौधरी प्रियंका अत्री :- देखिए, महिला आयोग हो या फिर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इन्हें निर्णय देने का अधिकार नही है ये सिर्फ रिपोर्ट सौंपती हैं और जांच के झमेले में पीडित को न्याय मिलने मे देरी होती रहती है, ऐसी स्थिति में या तो पीडित कोर्ट कचहरी के चक्कर काटता है या फिर थक हार कर बैठ जाता है अथवा डिप्रेसन का शिकार हो, कोई गलत कदम उठा बैठता है।

विजन लाइव :- लिव इन रिलेशनशिप के क्या दुष्पपरिणाम हो सकते हैं?

चौधरी प्रियंका अत्री :- भारत दुनिया का एक बडा लोकत्रांतिक देश हैं यहां अनेकता में एकता की संस्कृति के दर्शन होते हैं। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप को हरी झंडी भी दे दी है। किंतु लिव इन रिलेशनशिप की जोडी लंबे समय तक नही चल पाती है। होता है ऐसा ही है कि जब तक एक पार्टनर दूसरे पार्टनर की जरूरतों को पूरा कर रहा है तब तक सब कुछ ठीक चलता रहता है, मांगे नहीं पूरी हुई, कि झंट से तकरार और फिर आरोपों प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो जाता है। तमाम बातों के बाद रेप तक के मामले पुलिस थानों और कोर्ट कचहरी में पहुंच जाते हैं। इस पर सरकार और माननीय सुप्रीम कोर्ट को पुर्नविचार किए जाने की जरूरत है।

विजन लाइव :-महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हो जाती है, किसे जिम्मेदार मानती है?

चौधरी प्रियंका अत्री :- घरेलू हिंसा तब होती है जब महिलाओं के सम्मान पर चोट पहुंंचाई जाती है, सविधान में महिलाओं को मौलिक अधिकार दिए गए हैं किंतु कई बार परिवार में महिला को वह सम्मान नही दिया जाता, जिसकी वह हकदार है, कह दिया जाता है तू- बीच में क्यों बोल गई। इससे तकरार बढ जाती है और फिर नौबत मारपीट तक आ जाती है। इसके अलावा दहेज जैसी कुरूति को लेकर भी महिलाओं को सताया जाता है। इसके लिए समाज में जागरूता बेहद जरूरी हैं।

विजन लाइव :- भ्रूण हत्या जैसा अपराध यदि होता है तो उसमें महिलाएं ही अक्सर पिसती है?

चौधरी प्रियंका अत्री :- जी, बिल्कुल, भू्रण हत्या एक बडा अपराध है, सरकार द्वारा भ्रूण हत्या की रोकथाम के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। किंतु इसके बावजूद महिलाएं भू्रण हत्या की शिकार हो जाती है। अखिर लिंगभेद के अनुपात में लडकियों की दर लगातार घट रही है। लडके ही चाह में ऐसा होता है और वहीं दूसरी ओर दहेज और महिला सुरक्षा को लेकर चिंता भी इसका बडा कारण है।

विजन लाइव :-देखा जाए तो महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के प्रति सरकारें गंभीर है और पोस्को एक्ट आदि में त्वरित निर्णय आ रहे हैं किंतु वहीं दहेज की बात हो या फिर बलात्कार अथवा दूसरे मामले हों क्या महिलाएं भी पुरूषों का शोषण और उत्पीडन करने से पीछे हैं?

चौधरी प्रियंका अत्री :- बात बिल्कुल सही है, महिलाएं ही पीडित नही है कहीं कहीं पुरूष भी अपराधों का शिकार हो चुके होते हैं। कई बार देखा जाता है कि ब्लैकमेल कर रेप का मामला, दहेज का मामला, यौन शोषण का झूठा मामला दर्ज करवा दिया जाता है। ऐसे मामले में धारा-182 की कार्रवाई का प्रावधान कानून में पहले से ही है। यदि कोई महिला परिवार के लोगों और अथवा पुरूष सहयोगी के खिलाफ झूठा मामला लिखवाती है, तो पुलिस को अधिकार है उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज करवाने की धारा-182 में कार्रवाई करें।

विजन लाइव :- महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है, क्या कहेंगी?

चौधरी प्रियंका अत्री :-33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था महिलाओं के लिए सिर्फ एक दिखावा है। सबसे पहले तो यह 33 प्रतिशत से बढ कर 50 प्रतिशत होना चाहिए। राजनीति में ही देख लीजिए आखिर कौन सा दल टिकट देने के समय महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण की बात याद रखता है। सरकार जब बनती है तो हर राजनीतिक दल 33 प्रतिशत आरक्षण की बात भूल जाता है। मंत्रीमंडल में महिलाओं की बात को छोड कर सिर्फ अपने चहेतों को भर लेने की धुन सवार हो जाती है।