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श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में मथुरा में हुआ

 


श्री कृष्ण जी हांडी से माखन चुराते थे, दही हांडी की मटकी फोड़ने की रस्म इस पर्व पर कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है

 


चौधरी शौकत अली चेची


------------------------श्री कृष्णा जन्माष्टमी मनाने का मुख्य उद्देश्य क्या है? समझने के लिए बुद्धिजीवियों द्वारा कई उद्देश्यों से दर्शाया गया है? वैसे तो सभी जाति धर्मों के न जाने कितने ही त्यौहार हर साल मनाए जाते हैं। पवित्र त्योहारों से अच्छी सीख, परंपरा, खूबसूरती, बलिदान, त्याग, भाईचारा, सम्मान तथा ज्ञान की तरक्की होती है। श्री कृष्णजन्माष्टमी मुख्यत श्री कृष्ण जी के जन्म से जुड़ी मानी जाती है। श्री कृष्ण जी का जन्म द्वापर युग में भगवान विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में मथुरा में हुआ। माना जाता है कि श्री कृष्ण जी के बाद कोई अवतार धरती पर नहीं उतरे। धरती पर बढ़ते अधर्म से भगवान विष्णु जी ने श्री कृष्ण जी का अवतार लिया। श्रावण माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी मध्य रात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा की भूमि पर पूर्णावतार कहा जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी जन्माष्टमी तिथि को मध्य रात्रि के रोहिणी नक्षत्र में श्री कृष्ण का जन्म हुआ। इसलिए जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा नगरी भक्ति के रंगों से सराबोर हो उठती है। जन्माष्टमी भारत में ही नहीं विदेशों में भी आस्था व उल्लास से मनाई जाती है। पूरे दिन नर नारी बच्चे व्रत रखते हैं और रात्रि 12.00 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। बताया जाता है कि श्री कृष्ण जी, देवकी व वासुदेव के आठवें पुत्र थे, मथुरा नगरी का राजा देवकी का भाई कंस जो बहुत अत्याचारी था, देवकी को बड़े हर्ष के साथ डोली में ससुराल विदा करने जा रहा है, अचानक रास्ते में आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तू विदा कर रहा है, उसकी आठवीं संतान द्वारा मारा जाएगा। कंस बहुत घबराया और पिफर उसने देवकी व वासुदेव को काल कोठरी में डाल दिया। इतना ही नही अत्याचारी कंस ने जन्म लेते रहे देवकी और वासुदेव सभी 7 बच्चों को ने मार डाला। श्री कृष्ण जी के जन्म पर घनघोर वर्षा हो रही थी, देवकी व वासुदेव की बेड़ियां खुल गई। कारागार खुल गए  और पहरेदार गहरी नींद में सो गए। वासुदेव ने सूप में कृष्ण जी को लेकर उफनती यमुना को पारकर गोकुल में अपने मित्र नंद के घर ले गए। नंद की पत्नी यशोदा को कन्या पैदा हुई थी, वासुदेव जी ने श्री कृष्ण को यशोदा के पास सुलाकर कन्या को ले आए। कंस ने कन्या को मारना चाहा लेकिन असफल रहा, कन्या कंस के हाथों से छूट कर आकाश की तरफ चली गई, कन्या ने कहा तेरे मारने वाला गोकुल में पैदा हो चुका है। बाल अवस्था में कंस के भेजे हुए बहुत सारे राक्षसों को श्री कृष्ण ने बार.बार मारा। अंत में श्री कृष्ण ने कंस का वध किया, तब से श्री कृष्णा जन्माष्टमी मनाई जाती है। गोकुल में यह त्यौहार गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है। श्री कृष्ण जी हांडी से माखन चुराते थे, दही हांडी की मटकी फोड़ने की रस्म इस पर्व पर कृष्ण जी की यादों को ताजा कर देती है।   श्री कृष्ण जी ने महाभारत के युद्ध में अर्जुन का सारथी बनकर पांडवों को जीत दिलाई तथा द्रोपदी का भाई बनकर द्रोपदी चीर हरण में कौरवों से लाज बचाई। सुदामा की मित्रता को राजकीय सम्मान दिया तथा सुदामा की गरीबी को दूर करने के लिए अपने राज्य का कुछ हिस्सा देकर मालामाल किया। लेखों के अनुसार श्री कृष्ण जी विष्णु जी के अवतार यदुवंशी कहलाए जाते हैं, राधा जी गुर्जर चेची महालक्ष्मी का रूप, राधा कृष्ण एक हैं कहलाई जाती हैं।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।