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जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने वालों को खुद भी सार्वजनिक करना चाहिए कि वह कितने भाई बहन हैं और कितने बच्चे हैं?

 


 

वोट देकर जिताए जनता, टैक्स जीएसटी दे जनता, कानून का पालन करें जनता, बर्बादी का आलम भुगते जनता, मौज बनाएं ऐसो आराम की जिंदगी जिए शातिर लोग सत्ता में बैठे नेता 

 


 


जय जवान, जय किसान, तिरंगा देश की शान, वर्ल्ड में हम सबके भारत की पहचान, सभी देशवासी लगाओ ध्यान।





चौधरी शौकत अली चेची


----------------------------------1950 में भारत की जनसंख्या लगभग 50 करोड़ थी जिसमें मुस्लिमों की जनसंख्या लगभग 12 करोड, सिक्ख, इसाई, बौद्ध, जैन और पारसी लगभग 8 करोड थी।़ हिंदुओं की जनसंख्या लगभग 30 करोड़ इस समय भारत की जनसंख्या लगभग 138 करोड़ बताई जाती है, जिसमें मुस्लिम जनसंख्या लगभग 20 करोड़ बताई जा रही है। गोदी मीडिया और अंधभक्त सत्ता में बैठे लोग जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर एक समुदाय को टारगेट पर रखकर लोगों में भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने वालों को खुद भी सार्वजनिक करना चाहिए कि वह कितने भाई बहन हैं और  कितने बच्चे हैं? धर्म और जाति से उठ कर देखें तो जागरूकता के आधार पर सभी देशवासी रोजी रोजगार को लेकर छोटा परिवार रखने की कोशिश कर रहे हैं। समझने का विषय यह भी है बुद्धिजीवी लोगों को मूर्ख समझा जा रहा है। बुद्धिहीन अनजान स्वार्थी लोगों को बुद्धिजीवी माना जा रहा है, जबकि टैक्स व जीएसटी देने में सभी देशवासियों का योगदान रहता है। देश में सरकारी सुविधाएं लगभग 40 प्रतिशत लोगों को ही प्राप्त होती है, लेकिन सत्ता में काबिज स्वार्थी नेता उम्र भर सरकारी सुविधाएं लेते रहते हैं। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, बलात्कार, हत्याएं, आत्म हत्याएं पर कोई ध्यान नहीं दे कर देशवासियों को सत्ता पर काबिज होने के लिए जाति धर्म विशेष की नफरत में उलझाए  रहते हैं। सच्चाई की आवाज उठाने वाला बुद्धिजीवी इंसान आतंकवादी, अपराधी, अलगाववादी, पाकिस्तानी और देशद्रोही कहलाया जाता है या बना दिया जाता है। विश्व में चीन की जनसंख्या सबसे ज्यादा है तो चीन गरीब देशों की श्रेणी में क्यों नहीं आता है? नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि देशों की जनसंख्या बहुत कम है तो यह देश गरीब क्यों हैं? झूठ, गुमराह, नफरत की गंदी राजनीति कुछ सालों से हमारे देश को बर्बादी की तरफ ले जा रही है। अच्छे नेताओं की कदर नहीं है, गलत नेताओं को सब्र नहीं। हमारे देश में ज्यादातर नेता जाति धर्म विशेष के कारण बनकर उभर रहे हैं। यूपी में भी एक बार फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून और धर्मांतरण जैसा मुद्दा उछाल कर लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है। मगर ऐसा नही लगता है कि इन जैसे मुद्दों की चाशनी में शायद जनता बहक जाएगी। धर्म परिवर्तन सदियों से होता चला आ रहा है और यह खत्म होने वाला नहीं है। मजेदार बात यह है किसी भी जाति धर्म में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। संविधान भी इसकी इजाजत नहीं देता तो फिर इस तरह के सवाल देश में बार.बार क्यों उठते हैं? समझने का विषय यह भी है जो लोग मुस्लिमों से रिश्तेदारी जोड़ते हैं वही सबसे ज्यादा मुस्लिमों को अपराधी मानते हैं, लेकिन देश में मुस्लिमों से ज्यादा बर्बाद गैर मुस्लिम ही हो रहे हैं। गहराई से समझा जाए तो बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, अत्याचार, हत्याआत्महत्या से प्रभावित देश का गैर मुस्लिम भी हो रहा है। देश के 2 प्रतिशत लोग हैं जो 98 प्रतिशत भारतवासियों को अपने निजी स्वार्थ में उंगलियों पर नचाते रहते हैं। गलत इंसान हर जाति धर्म में पाए जाते हैं जिनकी जनसंख्या नाम मात्र होती है, उद्देश्य उनका कुछ भी हो यह एक अलग विषय है, लेकिन समझना होगा हम सभी देशवासियों को एक गलत इंसान के साथ पूरी कौम को गाली देना या बुरा भला कहना इंसानियत, सहनशीलता, मान मर्यादा के खिलाफ है। गलत और सही कामों व बातों  के इतिहास लिखे जाते हैं, दुनिया में इंसान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है, लेकिन निजी स्वार्थ में इंसान ही सबसे बड़ा अपराधी हो रहा है। इन सभी बातों पर अगर गौर किया जाए तो 2 प्रतिशत निजी स्वार्थी लोगों से 98 प्रतिशत लोग जागरूक होकर अपने आप को बचा सकते हैं। नेताओं का झंडा उठाकर नारा लगाने वालों को आखिर क्या हासिल होता है? वोट देकर जिताए जनता, टैक्स जीएसटी दे जनता, कानून का पालन करें जनता, बर्बादी का आलम भुगते जनता, मौज बनाएं ऐसो आराम की जिंदगी जिए शातिर लोग सत्ता में बैठे नेता। करनी का फल भोगना पड़ेगा आज नहीं तो कल समझना पड़ेगा लाखों कहानियां इतिहास के पन्नों में भरी पड़ी हैं। इलाज नहीं मिलने पर मृत्यु, अंतिम संस्कार नहीं होने पर नदियों में बहती हुई लाशे, पंछी जानवर दुर्गति करते लाशों की, श्मशान घाट से घर जाती लाशें, निर्दोष इंसान सजा काटता, चोरी करने वाला दूसरों को चोर बना कर अपने आप सत्यवादी हरिश्चंद्र कहलाता है। सीमा पर शहीद होते जवान, खेत में पसीना बहाता किसान, अपने हक की आवाज के लिए सड़कों पर दौड़ता इंसाफ नहीं मिलने पर शहीद होता या आत्महत्या करता सच्चा भारतीय। मगर इंसाफ करने वालों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। इन सभी बातों में इतिहास तो लिखा जाएगा, लेकिन समझना यह भी होगा नेताओं से ज्यादा 80 प्रतिशत देश की जनता दोषी मानी जाए तो कोई बुराई नहीं। जागरूकता के लिए दिमाग की जरूरत होती है, ठोकर लगने के बाद भी बुद्धिहीन इंसान ऊपर वाले को ही दोषी मानता है। ऊपर वाले ने तो इंसान को सब कुछ दिया है। भगवत गीता हो या कोई भी पवित्र धर्म ग्रंथ सभी में स्पष्ट लिखा है कर्म ही फल है। हर समस्या का हल है बस जागरूकता की जरूरत है। इन शब्दों पर कितना विश्वास होगा समझना देखना बाकी है। जय जवान, जय किसान, तिरंगा देश की शान, वर्ल्ड में हम सबके भारत की पहचान, सभी देशवासी लगाओ ध्यान।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन ( बलराज) के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।