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देश की जनता जागरूकता की तरफ आए तो भाजपा का सफाया जरूर होगा

 


ठोकर लगने के बाद भी नहीं समझ पाए तो उम्मीद लगाना बेईमानी होगी

 




चौधरी शौकत अली चेची


---------------------------- ठोकर लगने के बाद भी नहीं समझ पाए तो उम्मीद लगाना बेईमानी होगी। करीब 800 साल मुगलों ने हिंदुस्तान पर राज किया और करीब 200 साल अंग्रेजों ने भारत को गुलाम बनाए रखा। लोकतांत्रिक प्रणाली में करीब 60 साल कांग्रेस ने देश को दिए। सवाल पैदा हो रहा है कि क्या हिंदू भाई कभी इतने खतरे में थे जितना आज महसूस कर रहे हैं। यदि ऐसा नही है तो भाजपा सरकार के आते ही आखिर हिंदुओं के लिए हिंदुत्व का मामला सुर्खियों में आ ही जाता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब भगवान श्री राम का भव्य मंदिर भी बनने के लिए तैयार है। ऐसा लगता है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद और कई राज्यों में भाजपा की सरकार के रहते ही सबसे ज्यादा हिंदु भाई खतरे में कैसे हो गए? यह कोई चुनावी खिचडी होती है या फिर भावनाओं के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत होती है। हिंदुत्व क्या है? हिंदू धर्म भारत का प्राचीन धर्म है। इसमें बहुत सारे संप्रदाय हैं। संप्रदायों को मानने वाला व्यक्ति अपने आपको हिंदू कहता है लेकिन हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है जिसका प्रतिपादन 1924 में वीडी सावरकर ने अपनी किताब हिंदुत्व में किया था। सावरकर इटली के उदार राष्ट्रवादी चिंतक माजिनी से बहुत प्रभावित हुए थे। उनके विचारों से प्रभावित होकर ही उन्होंने हिंदुत्व का राजनीतिक अभियान का मंच बनाने की कोशिश की थी। सावरकर ने हिंदुत्व की परिभाषा भी दी। उनके अनुसार .हिंदू वह है जो सिंधु नदी से समुद्र तक के भारतवर्ष को अपनी पितृभूमि और पुण्यभूमि माने। इस विचारधारा को ही हिंदुत्व नाम दिया गया है। ज़ाहिर है हिंदुत्व को हिंदू धर्म से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन हिंदू धर्म और हिंदुत्व में शाब्दिक समानता के चलते पर्यायवाची होने का बोध होता है। इसी भ्रम के चलते कई बार सांप्रदायिकता के खतरे भी पैदा हो जाते हैं। इस हिंदुत्व के एजेंडे पर सत्ता तक पहुंची भाजपा क्या हिंदुओं का विकास सही मायने में करना चाहती हैं? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही ले लें वह कोई संन्यासी नहीं हैं, बल्कि वह एक महत्वाकांक्षी राजनीतिक नेता हैं। पहले विकास के वादों और अब उसके दावों में उलझे प्रधानमंत्री, ख़ुद को हिंदू धर्म के प्रधान.रक्षक और शीर्ष.सेवक के रूप में पेश करने का कोई मौक़ा नहीं चूक रहे। वे इस बात का भरपूर ध्यान रखते हैं कि उनकी हर भाव.भंगिमाए पहनावे और भाषण में हिंदू पवित्रता की सुगंधि व्याप्त हो। उनके कार्यकाल के पहले दो सालों में मेक इन इंडिया,स्मार्ट सिटी, डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया जैसी धूम थी, वैसा ही उत्साह इस बार चारधाम यात्रा, शंकराचार्य प्रकटोत्सव, नर्मदा सेवा यात्रा और मंजूनाथ स्वामी के दर्शन करने में दिखाई दिया।् इसकी वजह समझना आसान है विकास की कहानी को आंकड़ों का सामना करना पड़ता है जबकि धार्मिक प्रवचन में तर्क.तथ्य विघ्न नहीं डाल सकते। ऐसा नहीं है कि राजनीति में धर्म के घालमेल का फॉर्मूला नरेंद्र मोदी का आविष्कार हो, यहां तक कि महात्मा गांधी ने अपनी अपील का दायरा बड़ा रखने के लिए धार्मिक कथाओं और प्रेरक प्रसंगों का सहारा लिया, अंग्रेज़ों के खिलाफ़ लड़ाई में मुसलमानों को साथ रखने के लिए उन्होंने खिलाफ़त आंदोलन का समर्थन किया जिसके लिए आज तक उनकी आलोचना होती है। नेहरू ने धर्म और राजनीति को भरसक अलग रखा लेकिन उनकी बेटी इंदिरा गांधी कभी जनसंघ के दबाव में और कभी जनभावनाओं का दोहन करने के लिए, बाबाओं के चरण छूतीं या रूद्राक्ष की माला पहने काशी विश्वनाथ के ड्योढ़ी पर फोटो खिंचवाती नज़र आईं। अयोध्या में राम जन्मभूमि का ताला खुलवाने, कट्टरपंथी नेताओं के दबाव में विधवा मुसलमान औरतों को अदालत से मिले इंसाफ़ को पलटने और बनारस में नाव पर तिलक लगाकर गंगा मैया की जय.जयकार करने वाले राजीव गांधी ही थे। लेकिन नरेंद्र मोदी का दौर अलग है जिसमें सोशल मीडिया है, गोदी मीडिया हैं जो सीधा प्रसारण दिखाते हैं और वे उस संस्था से जुड़े हैं जिसका घोषित लक्ष्य भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना है इसलिए दूसरे नेताओं के मुक़ाबले भारतीय लोकतंत्र को भगवा रंगना उनके लिए वैचारिक प्रतिबद्धता भी है, दूसरों के लिए ये केवल अवसरवादिता थी। ज़ाहिर है, बहुत सारे लोगों को यह सब सुहावना लग रहा है, पीएम और उनके रणनीतिकारों का आकलन है कि इस देश की बहुसंख्यक हिंदू आबादी से हर हर महादेव के साथ.साथ हर हर मोदी का जयघोष करवाना संभव है, बस इसके लिए मोदी की हिंदू पहचान को लगातार पुख्ता करते रहना ज़रूरी है। इसका सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि जो उनकी इस राजनीतिक शैली से असहमति प्रकट करेंगे उन्हें हिंदू.विरोधी साबित करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। मोदी अपनी हार को हिंदू धर्म की हार और अपनी जीत को हिंदू धर्म की जीत में तब्दील करने में जुटे हैं। देश का माहौल इतना बदल चुका है कि अब संविधान का हवाला देते हुए यह याद दिलाना फिज़ूल है कि सेकुलर , डेमोक्रेटिक, रिपब्लिक के पीएम का ऐसा करना ठीक नहीं है क्योंकि इस देश में दूसरे धर्मों को मानने वाले करोड़ों लोग रहते हैं। ऐसे कहने वाले व्यक्ति को सिकुलर या हिंदू विरोधी या वामपंथी कहकर तुरंत ख़ारिज कर दिया जाएगा और इसके लिए बहुत हद तक ज़िम्मेदार हैं सेकुलरिज्म के झंडाबरदार ज़िम्मेदार हैं, वामपंथियों को छोड़कर लालू, मुलायम, पवार और ममता जैसे हर नेता पर भ्रष्टाचार या जातिवाद या फिर दोनों के पक्के दाग़ हैं। आखिर में सभी देशवासी विचार करें आपस में प्यार करें, हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई सभी भारतवासी भाई भाई जय जवान जय किसान हम सब की एकता एक साथ रहेगी तो भारत देश दुनिया में महान। भारत देश जिंदाबाद था जिंदाबाद है जिंदाबाद रहेगा देश की जनता जागरूकता की तरफ आए तो भाजपा का सफाया अवश्य होगा।

लेखकः. चौधरी शौकत अली चेची भारतीय किसान यूनियन  (बलराज)  के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष  हैं।